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इन योगासनों से कंट्रोल करें Blood Pressure, दूर होगी सेहत की टेंशन

Updated Aug 08, 2018 | 19:48 IST | Dr. Yogi Amrit Raj

High blood pressure Yoga aasans : छोटी-छोटी बातों का तनाव और गलत खानपान व जीवनशैली के चलते हाई ब्‍लड प्रेशर एक आम समस्‍या हो गई है। ऐसे में योग इस मामले में बहुत मदद कर सकता है।

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तस्वीर साभार:&nbspThinkstock
रक्तचाप sphygmomanometer द्वारा मापा जाता है

नई द‍िल्‍ली : हृदय शरीर के सभी अंगो को नलिकाओं के द्वारा रक्त पहुंचाने का कार्य करता है। इसी रक्त प्रवाह के समय हृदय एक दबाव पैदा करता है जो रक्त नलिकाओं के अंधरूनी भाग पर पड़ता है। इस दबाव के रक्तचाप या Blood Pressure कहते हैं। रक्तचाप sphygmomanometer उपकरण द्वारा मापा जाता है।

एक सेहतमंद आदमी के लिए रक्तचाप सिकुड़ने के समय systolic blood pressure 120 mmhg होता है और आराम की स्‍थ‍ित‍ि में Diastolic Blood Pressure 80 mmhg होता है। इसे आमतौर पर 120/80 mmhg लिखा जाता है। 

जब आपका systolic blood pressure 140 mmhg या इससे ऊपर और Diastolic Blood Pressure 90 mmhg या इससे ऊपर हो जाता है तब उसे उच्च रक्तचाप कहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति का रक्तचाप प्रतिदिन और प्रतिदिन बदलता रहता है। 

रक्‍तचाप का खतरा : रक्‍तचाप का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि आपको कई बार मालूम ही नहीं पड़ता कि आप इस बीमारी से पीड़ि‍त हैं। दरसअल, करीब एक तिहाई लोग जो उच्‍च रक्‍तचाप से पीड़‍ित हैं, को अपनी बीमारी के बारे में मालूम ही नहीं होता। अपने रक्‍तचाप के बारे में पता लगाने का एकमात्र तरीका यही है कि आप इसकी नियमित जांच करवाते रहें। और अगर आपके किसी करीबी को रक्‍तचाप की समस्‍या है तो आपके लिए यह जांच करवानी और भी जरूरी हो जाती है।

उच्‍च रक्‍तचाप के लक्षण

कुछ ऐसे लक्षण भी होते हैं जिन पर यदि ध्‍यान दिया जाए तो आप उच्‍च रक्‍तचाप के बारे में जान सकते हैं। अगर आपका रक्‍तचाप बहुत ज्‍यादा है तो कुछ संभावित लक्षण आपको उनके बारे में जानकारी दे सकते हैं। आइए जानें क्‍या हो सकते हैं वे लक्षण : 

  1. तेज सिरदर्द : अगर आपको नियमित रूप से बहुत तेज सिरदर्द की शिकायत रहती है तो यह एक लक्षण है कि शायद आप उच्‍च रक्‍तचाप से पीड़‍ित हो सकते हैं। जब ब्‍लड प्रेशर बहुत ज्‍यादा होता है तो इसका सिर हमारे मस्तिष्‍क पर भी पड़ता है। यह हमारे दिमाग की नसों पर तेज दबाव डालने लगता है जिसके कारण सिरदर्द होता है।
  2. थकान अथवा दुविधा : थकान और दुविधा भी उच्‍च रक्‍तचाप का एक संकेत होता है। यदि आपको लगातार ऐसी परिस्थिति का सामना करना पड़ता हो, तो एक बार जरूर अपने रक्‍तचाप की जांच करवा लें। इसके साथ ही छाती, कान और  गर्दन में दर्द भी उच्‍च रक्‍तचाप का संकेत हो सकता है।
  3. देखने में परेशानी : अगर आपको देखने में परेशानी हो रही हो, यानी आपकी नजर कमजोर हो रही हो तो एक बार आंखों की जांच करवाने के साथ-साथ रक्‍तचाप की भी जांच करवा लें। उच्‍च रक्‍तचाप के कारण भी नजर पर असर पड़ता है।
  4. सांस लेने में परेशानी : अगर आपको सांस लेने में परेशानी होती हो और हृदयगति असामान्‍य रहती हो, तो डॉक्‍टर से रक्‍तचाप की जांच करवा लें। उच्‍च रक्‍तचाप के कारण आपको यह सब समस्‍याएं हो सकती हैं।

उच्च रक्तचाप के लिए योग


   

  1. शवासन : इस आसन की मदद से आपका बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर और तनाव दोनों कम होता है। यह मात्र एक ऐसा आसन है जिसे हर उम्र के लोग कर सकते हैं। यह करने में भी बहुत सरल होता है। इस आसन को करने के लिए पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं। दोनों पैरों के मध्य एक फुट का अंतर होना चाहिए और दोनों हाथों में भी थोड़ी दूरी बनाते हुए, हाथों को ऊपर की ओर खोल दें। अपनी आंखों को बंद, गर्दन सीधी और पूरे शरीर को तनाव रहित अवस्था में छोड़ दें। फिर धीरे-धीरे गहरी सांस को भरें और छोड़ दें। यदि हम इसे पूरी सहजता के साथ करते हैं तो हम तनाव से दूरी, उच्च रक्तचाप को सामान्य और अनिद्रा को दूर कर सकते हैं।
  2. पश्चिमोत्तानासन : जब आप हाइपरटेंशन से ग्रसित होते हैं तो आपकी धमनियां सिकुड़ने लग जाती है, जिससे हार्ट अटैक यानि कि दिल का दौरा या स्ट्रोक जैसी स्थिति हो सकती है। पश्चिमोत्तानासन जैसे आगे की ओर झुकने वाले आसन से आपकी धमनियां लचीली होती हैं और ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में होता है।
  3. बालासन : हाइपरटेंशन की बीमारी में बहुत आम होता है किसी पर गुस्सा और क्रोध आना। बालासन जिसे हम बच्चे जैसी मुद्रा भी कहते हैं, यह आपके दिमाग से तनाव पैदा करने वाली अनावश्यक चीजें दूर करने में मदद करता है और साथ ही इससे जहरीले पदार्थ भी शरीर से बाहर निकलते हैं जिससे तनाव बढ़ी आसानी से कम हो जाता है।
  4. अनुलोम-विलोम प्राणायाम : अपने दिमाग को शांति प्रदान करना चाहते हैं तो प्राणायाम भी अच्छा तरीका है। जी हां, अनुलोम-विलोम प्राणायाम से चिंता दूर होती है, हार्ट रेट भी कम होता है, ब्लड प्रेशर कम होता है और साथ ही इम्यून सिस्टम और एंडोक्राइन सिस्टम का सही संतुलन बना रहता है। इस प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर चटाई बिछा के बैठ जाएं। फिर अपनी कमर और गर्दन को सीधा करें। इस प्राणायाम को अपनी बाईं नासिका से प्रारम्भ करें। अंगुष्ट से अपनी दाहनी नासिका बंध करके बाई नाक से श्वास को धीरे-धीरे अंदर की ओर भरे फिर अनामिका से बाई नासिका को बंध करके दाहनी नाक से धीरे-धीरे करके पूरा श्वास बाहर निकाल दें। फिर इससे सांस भरके दूसरी नासिका से बाहर निकालें। ऐसा दस से पन्द्रह बार करें। आपका बीपी कंट्रोल में आ जाएगा। 
  5. अधोमुखशवासन : यह आसन या फिर नीचे की ओर देखने वाले कुत्ते की मुद्रा से भी टेंशन दूर होती है और कंधों और पीठ का तनाव कम होता है।
  6. सुखासन : बता दें कि सुखासन की मुद्रा में बैठने से आपके दिल पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता है, यह भी हाइपरटेंशन को दूर करने में बहुत कारगर है। इस आसन से शरीर और दिमाग को शांति और आराम मिलता है।
  7. सेतुबंधासन : पुल मुद्रा बनाने से भी रक्त का संचार ठीक होता है, जागरुकता बढ़ती है और तनाव भी दूर होता है।आपके घर में जिस किसी को भी हाइपरटेंशन बीमारी अपने घेरे में लिए हुए है तो तुरंत उन्हें ऊपर दिए गए आसन को करने की सलाह दें और खुद भी योग आसन जरूर करें।  
  8. भ्रामरीप्राणायाम : इस प्राणायाम को करने के लिए श्वास को अंदर की ओर भर के मध्यमा उंगुलियों से नासिका के मूल में आंख के पास दोनों ओर से थोड़ा दबाकर रखें और अंगूठे के द्वारा दोनों कानों को अच्छे से बंद कर लें, इसके बाद भ्रमर की भांति गुंजन करते हुए ॐ का उच्चारण करें और श्वास को बाहर छोड़ दें। इस प्रकार कम से कम तीन बार और अधिक से अधिक दस से ग्यारह बार कर सकते हो। इसको करने से उच्च रक्तचाप, मानसिक तनाव, ह्रदय रोग आदि दूर होते हैं।
  9. मार्जरासन : इस आसन को करने के लिए घुटनों और हाथों के बल जमीन बैठ जाएं। इसी अवस्था में रहते हुए, अपनी गर्दन और कमर को उपर नीचे कम से कम दस बार करें। इसको करने से आपके ह्रदय और फेफड़ों की मांसपेशियां लोचदार बनती है।
  10. शशकासन : शशकासन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर वज्रासन की स्थिति में बैठ जाएं। फिर सामने की और झुकते हुए अपने हाथों को लंबा रखें, यदि हो सके तो अपने माथे को जमीन पर रखें। इसी स्थिति में रहते हुए सांस ले और छोड़ दें। इससे बीपी नियंत्रण में रहता है।

लाभदायक घरेलू औषधियां

  • 3 से 4 लहसुन लौंग, 10-12 तुलसी के पत्ते लेकर इनका रस निकाल लें और एक-चौथाई गिलास गेहूँ के जवारे के रस के साथ मिलकर रोज सेवन करें। 
  • 1 छोटे चम्मच प्याज़ के रस में बराबर मात्रा में शहद मिलकर एक हफ्ते तक सेवन करें। यदि लाभ मिले तो इस प्रयोग को कुछ और दिन तक जारी रखें।
  • लस्सी में एक छोटा चम्मच लहसुन का पेस्ट बनाकर दिन में दो बार लें। 
  • 10 ग्राम तरबूज के बीजों को भूनकर उन्हें पीस लें। इस पाउडर को 2 कप पानी में 10 से 15 मिनिट तक उबालें। प्राप्त मिक्स्चर को छान कर सेवन करें। यह प्रयोग रोज करें। 
  • त्रिफला का रोज रात्रि में सेवन और एक चम्मच मेथी दाना रात को भिगो कर रखने के बाद प्रातः काल उसका सेवन करना चाहिए। 

जानें आयुर्वेद उपचार 

  • सर्पगन्ध ( Rauwolfia serpentina): एक ऐसी बूटी है जिसे सदियों से उच्च रक्तचाप के उपचार में प्रयोग किया गया है। रसगंधा नामक औषधि जिसमें शूतशेखर, जटामांसी और सर्पगन्ध प्रयोग होते हैं। इस व्याधि के निराकरण में अत्यंत उपयोगी है। 
  • अर्जुन (Terminalia arjuna): शोथ द्वारा ये नतीजे पाये गए हैं क‍ि यह अंग्रेजी चिकित्सा में प्रयोग होने वाली Beta-blocker दवाइयों की तरह ही अपना कार्य करती है। इसके साथ-साथ यह औषधि, जिगर तथा हृदय की रक्षाकारक भी है। 
  • गोक्शूरा (Tribulus terrestris): यह औषधि भी रोगनिवारक है तथा इसकी कार्यपद्धति ACE Inhibitors के समान है। 

पंचकर्म चिकित्सा द्वारा उच्च रक्तचाप का उपचार 
निरूह बस्ती चिकित्सा यदि किसी समझदार वैद्य द्वारा करवाई जाए तो इस रोग के उपचार में बहुत लाभ देती है. इसी प्रकार धारा चिकित्सा भी ज़िद्दी रोग के उपचार में लाभदायक है। दुग्ध तथा बाला द्वारा सिद्ध किए हुए तेल को रोगी के मस्तक पर डाल जाता है।

(लेखक जाने-माने योग गुरु हैं) 

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