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मंत्र योग : जिसने डाकू रत्नाकर को बना दिया था महर्षि वाल्मीकि

Mantra Yoga Spiritual Treatment of Physical Obstacles
Updated Mar 06, 2021 | 12:36 IST

मंत्र का साधारण अर्थ होता है- मन को एक तंत्र में लाना या तंत्र में बांधना। नकारात्मक उर्जा से मन को मुक्ति देना ही मंत्र है और योग साधना इसके आध्यात्मिक उपचार हैं।

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Mantra Yoga Spiritual Treatment of Physical ObstaclesMantra Yoga Spiritual Treatment of Physical Obstacles
मंत्र योग : भौतिक बाधाओं का आध्यात्मिक उपचार
मुख्य बातें
  • मंत्र योग : भौतिक बाधाओं का आध्यात्मिक उपचार
  • मंत्र योग साधना हमारी भौतिक बाधाओं का आध्यात्मिक उपचार है

नई दिल्ली: मंत्र का साधारण सा अर्थ है - मन को एक तंत्र में लाना । मंत्र मन और त्र से मिलकर बना है। मन का अर्थ है सोच विचार या मनन करना। त्र का अर्थ है मुक्त करने वाला या बचाने वाला, सब प्रकार की नकारात्मक उर्जा से, भय से एवम अनर्थ से। जो मन के भीतर में समाहित हो जाए वही मंत्र है  "मननात त्रायते इति मंत्र:।" अर्थात मन को त्राय (पार कराने वाला मंत्र ही है) इस तरह से मंत्र योग साधना हमारी भौतिक बाधाओं का आध्यात्मिक उपचार है।

 विधि  :

साफ आसन पर किसी भी ध्यानात्मक आसन ( सुखासन,पद्मासन या वज्रासन )  में बैठकर आंखे बंद कर गहरी सांस भरते हुए ऊं मंत्र, गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं। मन जब मंत्र के अधीन हो जाता है तो वह सिद्ध होने लगता है।

मंत्र योग के फायदे :

मंत्र साधना से इंसान के मन मस्तिष्क को संतुलित करने में सहायता मिलती है। मंत्र साधना से एकाग्रता की स्थिति प्राप्त होती है। मंत्र योग का माध्यम से मन,बुद्धि व चित्त का बिखराव रुकता है। मंत्र योग से सकारात्मत उर्जा का प्रवाह बढ़ता है। मंत्र में बहुत शक्ति होती है, मंत्र योग की साधना से डाकू रत्नाकर (वाल्मिकि) को लेकर किस्सा मशहूर है और कहा जाता है कि वो मंत्र योग की साधना से ब्रम्हष्रि वाल्मिकि कहलाए। 

(डिस्क्लेमर: लेखक,  शरद दीक्षित  योगा एंड फिटनेस एक्सपर्ट  हैं। प्रस्तुत लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और टाइम्स नेटवर्क इन विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है।)