भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के तहत पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) ने एक मरीज के नमूने से मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus) को अलग कर दिया है, जो बीमारी के खिलाफ जांच किट और टीके के विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
भारत द्वारा वायरस को अलग किए जाने के साथ ही आईसीएमआर ने टीका विकास और जांच किट बनाने में संयुक्त सहयोग के लिए अनुभवी टीका निर्माताओं, फार्मा कंपनियों, अनुसंधान और विकास संस्थानों तथा इन-विट्रो डायग्नोस्टिक (IVD) किट निर्माताओं से रुचि पत्र (EoI) भी आमंत्रित किया।
Monkeypox: मंकीपॉक्स वायरस क्या है, कितना खतरनाक है, कैसे फैलता है और क्या है इलाज?
एनआईवी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव ने कहा कि वायरस को अलग करना कई अन्य दिशाओं में अनुसंधान और विकास करने की भारत की क्षमता को बढ़ाता है।यह खबर भारत में मंकीपॉक्स के चार मामले सामने आने के बीच आई है।
भारत में सामने आए मामले भी कम गंभीर और पश्चिम अफ्रीकी वैरियंट से जुड़े हैं
डॉ. यादव ने कहा, 'राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान ने एक मरीज के जांच नमूने से मंकीपॉक्स वायरस को सफलतापूर्वक अलग कर दिया है जो भविष्य में नैदानिक किट और टीके के विकास में मदद कर सकता है।' उन्होंने कहा, 'हाल के प्रकोप ने कई देशों को प्रभावित किया है, जिससे चिंताजनक स्थिति पैदा हुई है, जो पश्चिम अफ्रीकी स्वरूप के कारण है, जो पहले सामने आए कांगो स्वरूप की तुलना में कम गंभीर है। भारत में सामने आए मामले भी कम गंभीर और पश्चिम अफ्रीकी वैरियंट से जुड़े हैं।'
ईओआई दस्तावेज में कहा गया है कि आईसीएमआर मंकीपॉक्स रोग के विरुद्ध टीका विकास और जांच किट के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी मोड में संयुक्त सहयोग के तहत विनिर्माण कार्य के वास्ते मंकीपॉक्स वायरस स्वरूप/ आइसोलेट्स उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। दस्तावेज में कहा गया है कि आईसीएमआर मंकीपॉक्स वायरस आइसोलेट्स और और इससे संबंधित विधि प्रोटोकॉल पर सभी बौद्धिक संपदा अधिकार और व्यावसायीकरण के अधिकार सुरक्षित रखती है।