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'ओमिक्रोन में डेल्टा से 6 गुना ज्यादा तेजी से फैलने की क्षमता', मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी भी हो सकती है बेअसर'

Updated Nov 29, 2021 | 08:42 IST

Omicron (B.1.1.529) : मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज लैब में तैयार वे एंटीबॉडीज होती हैं जो एक दूसरे का सौ प्रतिशत प्रतिरूप होती हैं। ये एक विशेष प्रकार से कार्य करती हैं। मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज एक तरह से पैसिव इम्यूनाइजेशन (प्रतिरक्षण) होता है जो शरीर को बीमारी से लड़ने की क्षमता देता है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन से दुनिया भर में दहशत। -प्रतीकात्मक तस्वीर
मुख्य बातें
  • कोरोना संक्रमण के उपचार में कारगर साबित हुई है मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी
  • स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि मोनोक्रान पर बेअसर हो सकती है यह थेरेपी
  • कोरोना के इस नए वैरिएंट ओमिक्रोन को ज्यादा गंभीर एवं संक्रामक माना जा रहा है

हैदराबाद : कोविड-19 का नया वैरिएंट (रूप) बी.1.1.529 दुनिया के लिए चिंता का एक बड़ा कारण बन गया है। बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस इस नए वैरिएंट पर वैक्सीन का असर कम हो रहा है। इस बीच, विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि बी.1.1.529 मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार को भी चकमा दे सकता है। दक्षिण अफ्रीका एवं अन्य जगहों पर ओमिक्रोन संक्रमण की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट देखने के बाद विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के इस नए स्ट्रेन में कोविड-19 के डेल्टा वैरिएंट से छह गुना ज्यादा तेजी से फैलने की क्षमता है। भारत में कोरोना की दूसरी लहर डेल्टा वैरिएंट से ही आई। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस (ओमिक्रोन) शरीर की प्रतिरक्षण क्षमता (इम्यून सिस्टम) को धोखा दे सकता है। 

डेल्टा पर हुआ था मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी का असर

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक डेल्टा वैरिएंट जो कि बड़े पैमाने पर लोगों को संक्रमित किया और लोगों की मौत की वजह बना, उस पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी का असर हुआ था जबकि इसके बाद वाले वैरिएंट डेल्टा प्लस पर इस थेरेपी का असर नहीं हुआ। कोविड-19 के शुरुआती संक्रमण के उपचार में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार काफी कारगर मानी गई। विशेषज्ञों का कहना है कि डेल्टा प्लस के बाद ओमिक्रॉन दूसरा 'वैरिएंट ऑफ कंसर्न' है जिस पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज का असर नहीं हो सकता है।  

क्या होती है मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज थेरेपी

मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज लैब में तैयार वे एंटीबॉडीज होती हैं जो एक दूसरे का सौ प्रतिशत प्रतिरूप होती हैं। ये एक विशेष प्रकार से कार्य करती हैं। मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज एक तरह से पैसिव इम्यूनाइजेशन (प्रतिरक्षण) होता है जो शरीर को बीमारी से लड़ने की क्षमता देता है। मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज वायरस के स्पाइक प्रोटीन से जुड़कर उन्हें निष्क्रिय करती हैं ताकि वह आगे स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित न कर सके। उपचार में मोनोक्लोनल एंटीबाडीज का इस्तेमाल अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई देशों में किया जाता है।  

'ज्यादातर वैरिएंट्स में प्रतिरक्षण से बचकर निकलने की क्षमता'

रिपोर्ट में इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटेग्रेटिव बायलॉजी (IGIB) की रिसर्च स्कॉलर मर्सी रोफिना के हवाले से कहा गया है कि कोरोना के इस नए प्रकार में 32 स्पाइक प्रोटीन वाले कुल 53 वैरिएंट हैं। उन्होंने कहा, 'इनमें से ज्यादातर वैरिएंट्स में प्रतिरक्षण (इम्यूनिटी) से बचकर निकलने की क्षमता है। इनमें से स्पाइक प्रोटीन वाले छह वैरिएंट्स ऐसे हैं जिन पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज का असर नहीं हो सकता है।' जिनोम साइंस में एक्सपर्ट स्कैरिया ने इस नए वैरिएंट पर कई ट्वीट किए हैं। उनका कहा है कि इजरायल में एक व्यक्ति बी.1.1..529 संक्रमित पाया गया। इस व्यक्ति के बारे में कहा गया है कि उसने कोविड-19 का बूस्टर डोज लिया था। अगर ऐसा है तो यह कहा जा सकता है यह ओमिक्रॉन वैरिएंट वैक्सीन को भी चकमा दे सकता है।