नई दिल्ली. किसी भी महिला के लिये मां बननना बेहद ही सुखद होता है जिसे वह अपने मन में जीवन भर संजोकर रखती है। गर्भवती महिला को चौथे या पांचवे महीने में गर्भ में पल रहा बच्चा पैर मारता हैं। कई गर्भवती महिलाएं इसे मातृत्व के सबसे सुखद अनुभवों में से एक मानते हैं। बच्चा कैसे किक कर रहा है, कितनी बार किक कर रहा है ? ऐसे कई सवाल गर्भवती महिला के दिमाग में आते हैं।
बच्चे का गर्भ में लात मारने उसके स्वस्थ होने का संकेत देता है। बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा होता है तो ऐसे में बच्चा पेट के अंदर कुछ ना कुछ मूमेंट करता रहता है। इसके अलावा बच्चा आस-पास वातावरण में परिवर्तन के प्रति तुरंत प्रतिक्रिया दिखाता है, विशेष रूप से तब जब वह कोई बाहरी आवाज सुनते हैं। यदि आपके बच्चे के किक सामान्य से कम हो रहे हैं तो इससे यह पता चलता है कि बच्चे को ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो रही। ऐसे में यह चिंता का कारण हो सकता है।
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बाईं करवट मारता है किक
मां जब बाईं करवट पर लेटती है तब बच्चे का किक मारना बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब मां बाईं करवट पर सोती है तब भ्रूण को रक्त की आपूर्ति बढ़ जाती है जिसके कारण बच्चे की हलचल बढ़ जाती है। गर्भवती महिलाओं का यह कहना है कि खाना खाने के बाद ही बच्चे का किक मारना बढ़ जाता है। दरअसल इससे अहसास होता है कि अब बच्चा भी अपनी जरूरी खुराक ले रहा है।
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इस समय मरता है बच्चा किक
नौ सप्ताह के बाद ही बच्चा किक करना शुरू कर देता है यह बात सच है कि जब बच्चा गर्भ में नौ सप्ताह पूरे कर लेता है तो यह किक मारना शुरू कर देता है। वे माताएं जो दूसरी बार मां बन रही है उनमें गर्भावस्था के 13 सप्ताह पूरे होते ही बच्चा किक मारना शुरू करता है। 36वें हफ्ते के बाद लात मारना कम होता है। दरअसल एक समय ऐसा आता है जब बच्चा गर्भ में 40-50 मिनट तक आराम करता है। प्रेग्नेंसी के 36वें हफ्ते के बाद आपके बच्चे का आकार बढ़ जाता है जिसकी वजह से वह ज्यादा हिल नहीं पाता है।
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