लाइव टीवी

World Autism Awareness Day: आज भी रहस्य बनी है ये बीमारी, बच्चों में मिलते हैं अलग-अलग लक्षण

Updated Apr 02, 2018 | 07:46 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

यूएन महासभा ने वर्ष 2007 में 2 अप्रैल को विश्व आटिज्म जागरूकता दिवस मनाने के लिए घोषित किया था। नीला रंग ऑटिज्म का प्रतीक माना गया है। 

Loading ...
तस्वीर साभार:&nbspThinkstock
ऑटिज्म एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है।

नई दिल्ली. दो अप्रैल को दुनिया भर में आटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है। ऑटिज्म एक तरह की मानसिक बीमारी है जिसके लक्षण बचपन से ही नजर आने लग जाते हैं। इस रोग से पीड़ित बच्चों का विकास तुलनात्मक रूप से धीरे होता है। ये जन्म से लेकर तीन वर्ष की आयु तक विकसित होने वाला रोग है जो सामान्य रूप से बच्चे के मानसिक विकास को रोक देता है।

यूएन महासभा ने वर्ष 2007 में इस दिन को विश्व आटिज्म जागरूकता दिवस मनाने के लिए घोषित किया था। नीला रंग ऑटिज्म का प्रतीक माना गया है। ऑटिज्म एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है, जो बातचीत और दूसरे लोगों से व्यवहार करने की क्षमता को सीमित कर देता है। इसे ऑटिस्टिक स्पैक्ट्रम डिसॉर्डर कहा जाता है। अभी इस बीमारी के होने के स्पष्ट कारणों का पता नहीं चल पाया है। हालांकि एक्सपर्ट्स के मुताबिक ऑटिज्म होने की वजह सैंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान होना है। इसके अलावा मस्तिष्क की गतिविधियों का आसामान्य होना भी है। 

Also Read: धीरे-धीरे हड्डियों को खत्‍म कर रही है ये बीमारी, आप भी हो जाएं सावधान

मिलते हैं अलग-अलग लक्षण
ऑटिज्म के प्रत्येक बच्चे में इसके अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते हैं।इनमें से कुछ बच्चे बहुत जीनियस होते हैं या उनका आईक्यू सामान्य बच्चों की तरह होता है, पर उन्हें बोलने और सामाजिक व्यवहार में परेशानी होती है।सामान्य तौर पर बच्चे मां का या अपने आस-पास मौजूद लोगों का चेहरा देखकर प्रतिक्रिया देते हैं पर ऑटिज्म पीड़ित बच्चे नजरें मिलाने से कतराते हैं। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे आवाज सुनने के बावजूद प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। इस बीमारी से पीड़ित बच्चे अपने आप में ही गुम रहते हैं वे किसी एक ही चीज को लेकर खोए रहते हैं। 

Also Read: मूंगफली को कहते हैं सस्ता बादाम, कुछ दाने ही करेंगे कमाल

कैसे करें ऑटिस्टिक बच्चे की मदद
ऑटिस्टिक बच्चों को कुछ सिखाने के लिए जल्दबाजी न करें। उन्हें धीरे-धीरे बात समझाने की कोशिश करें। इसके बाद उन्हें बोलना सिखाएं। बड़े-बड़े शब्दों की जगह पर उनसे छोटे-छोटे वाक्यों में बात करें।बच्चा बोलने में असमर्थ है तो उनसे इशारों के जरिए बात करें। एक-एक शब्द बोलना सिखाएं। हर वक्त इन पर नजर रखना बहुत जरूरी है। किसी बात पर वे गुस्सा हो जाए तो उन्हें प्यार से शांत करें। 

Health News in Hindi के लिए देखें Times Now Hindi का हेल्‍थ सेक्‍शन। देश और दुन‍िया की सभी खबरों की ताजा अपडेट के ल‍िए जुड़िए हमारे FACEBOOK पेज से।