दाद का दर्द शायद आपने सहा होगा। त्वचा, चेहरे और जोड़ों पर होने वाले दाद को ही हम शिंगल्ज कहते हैं। शिंगल्ज वायरस के संक्रमण से होने वाला रोग है। शिंगल्ज वेरिसेला जोस्टर वायरस के संक्रमण के कारण होता है। आमतौर पर अधिक उम्र के लोगों में यह समस्या देखी जाती है लेकिन जिन लोगों में तनाव, चोट या दवाइयों के सेवन के कारण इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, उनको भी यह समस्या परेशान करती है। अगर आपको एक बार चिकनपॉक्स हो चुका है तो शिगल्ज का वायरस शरीर की कोशिकाओं में सुप्त अवस्था में रह जाता है।
अगर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता ठीक नहीं है तो यह वायरस शरीर में दोबारा सक्रिय हो जाता है और शिंगल्ज रोग को जन्म देता है। कई बार दवाइयां खाने से भी यह वायरस सक्रिय हो जाता है और त्वचा पर दाद (रेशेज) के रूप में उभर कर सामने आता है। डॉक्टर्स की बातों पर गौर करें तो शिंगल्ज एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं होता है, या कहा जाए कि इस बीमारी को संक्रामक रोग की श्रेणी में नहीं रखा गया है। लेकिन शिंगल्ज का वायरस ऐसे इंसान के भीतर जा सकता है जिसने चिकनपॉक्स का टीका न लगवाया हो।
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लक्षण
शुरुआती लक्षणों में सिर दर्द और धूप से जलन होना शामिल है। इसके बाद आपका शरीर फ्लू जैसा महसूस करता है लेकिन आपको पूरी तरह बुखार नहीं आता है। इसके बाद शरीर के सभी हिस्सों में खुजली और दर्द शुरू हो जाता है। खुजलाने पर शरीर के जोड़ों में या अन्य हिस्सों में दाद उभर आते हैं। फफोलों जैसे इन दाद में कुछ दिनों में पस भर जाता है और यह गहरे लाल रंग के होने लगते हैं। इन रेशेज में जलन भी होती और कपड़े पहनने में भी दिक्कत होती है।
इलाज में देरी नहीं
शिंगल्ज कोई खतरनाक बीमारी नहीं है लेकिन इसकी अनदेखी करना घातक हो सकता है। इसलिए शुरुआती लक्षण सामने आने पर ही डॉक्टर से परामर्श ले लें। आमतौर पर शिंगल्ज का इलाज दवाइयों से ही किया जाता है। इसमें एंटीवायरल दवाइयों के अलावा दर्द में राहत प्रदान करने वाली दवाइयां दी जाती हैं। शुरुआत में ही दवा लेने से उभरते रेशेज दब जाते हैं। इसके अलावा कई स्किन ट्यूब्स का इस्तेमाल भी डॉक्टर की सलाह के बाद कर सकते हैं।
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घर पर देखभाल
दवाओं के अलावा शिंगल्ज में राहत पाने के लिए घर में देखभाल बहुत जरूरी है। शरीर के किसी भी हिस्से में दाद या रेशेज होने पर तुरंत उपचार लें। अनदेखी न करें। दवाइयों का नियमित सेवन करें। अगर आपको एक बार चिकनपॉक्स हो चुका है या शिंगल्ज का खतरा है, तो एक वैक्सीन आपको सुरक्षा प्रदान कर सकती है। डॉक्टर की सलाह पर शिंगल्ज वैक्सीन का टीका लगवा सकते हैं।
कम उम्र, त्यादा खतरा
50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में शिंगल्ज का खतरा अधिक होता है। लेकिन अगर 40 वर्ष से कम उम्र में किसी को शिंगल्ज की समस्या हो तो स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए युवा अवस्था में आपको यह समस्या हो तो गंभीरता से लें।
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एक्सपर्ट टॉक
लोक नायक अस्पताल, दिल्ली की सीनियर रेजिडेंट एवं त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. तनवी गुप्ता कहती हैं कि डायबिटीज या किसी बीमारी की वजह से जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, उनमें शिंगल्ज की समस्या की संभावना अधिक होती है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में पहले से आशंका जताई नहीं जा सकती है लेकिन लक्षण दिखाई देने पर ही इसका इलाज करा लिया जाए तो अधिक दिक्कत नहीं होती है।