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Bathroom TIPS: जानिए नहाने का हेल्दी और सही तरीका

Updated Mar 12, 2018 | 19:00 IST | Medha Chawla

श्रीदेवी की दुर्घटनावश डूबने से हुई मौत के बाद से नहाने के तरीके पर भी चर्चा होनी लगी है। यहां जानें इस बारे में क्‍या बातें सुझाई गई हैं और आपको कैसे अलर्ट रहना चाहिए -

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तस्वीर साभार:&nbspThinkstock

नई दिल्ली: जानीमानी अदाकारा श्रीदेवी के निधन की वजह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में एक्सीडेंटल ड्राउनिंग यानी दुर्घटनावश डूबने से हुई बताई गई है। इसके बाद से बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि इस प्रकार की मौत कैसे होती है। एक्सीडेंटल ड्राउनिंग यानी डूबकर होने वाली मौत। दरअसल इस प्रकार की मौत की खबरें भारत में काफी कम हुआ करती हैं और इसे लेकर कोई विस्तृत अध्ययन नहीं है लेकिन जापान और अमेरिका में इस प्रकार की मौतें काफी देखने-सुनने में आती है जब किसी व्यक्ति की बाथरूम में नहाने के दौरान ही मौत हो जाती है। 

श्रीदेवी के निधन के बाद उनके पति बोनी कपूर ने एक बातचीत में बताया है कि बाथरूम में जाने के महज 20 मिनट में ही वह चल बसीं। इस तरह की डेथ पर बताया जाता है कि थकान, ब्‍लड प्रेशर आद‍ि में इंसान की मौत इस तरह हो सकती है। वैसे श्रीदेवी के निधन के बाद से ही  एक्सीडेंटल ड्राउनिंग पर काफी चर्चा हो रही है। और साथ नहाने के सही तरीके के बारे में भी लोग जानना चाह रहे हैं। 

क्या है एक्सीडेंटल ड्राउनिंग?
खलीज टाइम्स से बातचीत में फोरेंसिक एक्सपर्ट भूपेश शर्मा ने बताया कि एक्सीडेंटल ड्राउनिंग के कई अलग-अलग कारण होते हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी शारीरिक बदलाव जैसे लो ब्लड प्रेशर, नशा या फिर मेडिकल इमेरजेंसी जैसे स्ट्रोक या हार्ट अटैक आए तो वह बेहोशी या फिर अर्धबेहोशी की हालत में आ सकता है। ऐसी परिस्थिति में यदि आस-पास पानी हो तो एक्सीडेंटल ड्राउनिंग हो सकती है। इसके अलावा बहुत ज्यादा थकान के चलते भी व्यक्ति टब में डूब सकता है। 

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नहाना क्यों जरूरी?
खुद को तरोताजा होने के लिए रोजाना नहाना बेहद जरुरी है। नियमित रूप से नहाने वालों में बैक्टीरिया के पनपने की आशंका कम होती है। तन की दुर्गंध से निजात पाने के लिए हर रोज नहाना बेहद जरूरी है। कील-मुंहासों की समस्या से दूर रहने के लिए भी नहाना बहुत जरूरी है। हर रोज नहाने से चेहरे पर गंदगी जमने नहीं पाती, जिससे बैक्टीरिया नहीं पनपते और ये समस्या नहीं होने पाती। अगर आप नहीं नहाते हैं तो खतरनाक बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं जिससे ये संतुलन बिगड़ जाता है और संतुलन बिगड़ने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।

नहाने से ना सिर्फ हमारा शरीर और त्वचा साफ होती है बल्कि इससे शरीर से अतिरिक्त उष्मा भी निकल जाती है जो आपके शरीर की सेहत के लिए जरूरी है। स्नान करने से तन की साफ-सफाई तो होती है लेकिन साथ ही साथ मन को शांति और स्वच्छ उर्जा भी मिलती है। स्नान एक ऐसी प्रकिया है जिसमें जल के द्वारा पूरे शरीर का शुद्विकरण किया जाता है। यही वजह है नहाने के बाद आप तरोताजा महसूस करते हैं क्योंकि शरीर से गंदगी साफ होने के बाद अतिरिक्त उष्मा आपके शरीर से बाहर निकल जाती है। 

अतिरिक्त उष्मा यानी वैसी गर्मी जिसकी जरूरत आपके शरीर को नहीं है और ऐसा होने के बाद आपका शरीर शीतल होकर उर्जावान महसूस करता है। सुबह के समय नहाने से दिमाग से सारा तनाव और दबाव हट जाता है और आपकी रचनात्मकता बढ़ती है, जिससे आप बेहतर सोच पाते हैं।

स्नान के दौरान रखें इन बातों का ख्याल
जानकारों के मुताबिक नहाते समय बुजुर्ग को लकवा मारना, दिमाग की नस फटना, हार्ट अटैक आदि कुछ कारण गलत तरीके से नहाने की वजह से होते है। आम तौर पर कुछ लोगों को लंबे समय तक नहाना अच्छा लगता है लेकिन जानकारों के मुताबिक ये ना केवल आपकी स्किन बल्कि आपके हेल्थ के लिए हार्मफुल होता है। इसलिए आप उतना वक्त ही नहाने में दें जिससे आपके शरीर की गंदगी साफ हो जाए। इसलिए स्नान के दौरान आपको सावधानी बरतनी चाहिए जो आपके लिए किसी भी प्रकार से नुकसानदेह साबित नहीं हो। लोग नहाते समय अक्सर कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं जो हमारी स्किन और बालों को नुकसान पहुंचाती हैं। इसलिए नहाते समय कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखना बहुत ही जरूरी हैं। 

अक्सर यह देखा गया है कि महिलाएं जिस दिन सर शैंपू से धोती है उस दिन वह ज्यादा वक्त बाथरूम में बिताती है। लिहाजा शरीर पानी के संपर्क में काफी देर रहता है और काफी महिलाओं को बाद में सरदर्द की शिकायत होती है। जानकारों के मुताबिक महिलाएं मेंहदी लगाने के बाद उसे सर पर चार-पांच घंटे तक अमूमन रखती है और उसके बाद नहाती है। ऐसा करने के बाद वह लगभग आधे घंते तक नहाती है और फिर बाद में कई महिलाएं सरदर्द की शिकायत करती है। 

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बाथरूम में नहाने का सही तरीका 
बाथरूम में कुछ लोग सबसे पहले सर के उपर से पानी डालकर नहाना शुरू करते है जो बिल्कुल गलत माना जाता है। दरअसल जानकारों के मुताबिक बाथरूम में बसे पहले पैर के पंजो पर पानी डालना चाहिए। उसके बाद पिंडलियों पर, फिर घुटनो पर, फिर जांघों पर पानी डालना चाहिए। इसके बाद पेट , छाती और सबसे अंत में सर के उपर पानी डालना चाहिए। दरअसल यह समझने की जरूरत है कि आप जैसे ही नहाते है शरीर में खून का प्रवाह तेज होता है। साथ ही शरीर के जिस हिस्से पर पानी डालते है उसका तापमान बदलता होता है यानी जो पहले का तापमान होता है उसमें कमी आती है। 

सही तरीके से नहाना है जरूरी 
नहाने का तरीका सीधे तौर पर हमारे स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ा हुआ है। इसका सही तरीका पैरों से शुरू होना चाहिए। पानी पहले पैरों पर डालना चाहिए, फिर जांधों पर और उसके बाद शरीर के अन्‍य हिस्‍सों पर। दूसरे शब्दों में कहें तो इसकी शुरुआत नीचे से ऊपर की ओर की जानी चाहिए और अंत में आपको पानी अपने सिर पर डालना चाहिए। ऐसा करने में महज एक मिनट लगता है, लेकिन यह एक मिनट कई लोगों की जिंदगी बचा सकता है।

हम जानते हैं कि इस तरह की बातें किसी वैज्ञानिक तर्क या तथ्‍यों के बगैर निराधार हैं। कोई भी इससे सहमत नहीं होगा। तो हम आपको इसके वैज्ञानिक कारणों के बारे में बताते हैं। 

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शरीर में रक्त संचार और विद्युत प्रवाह
विद्युत क्षेत्र हर जगह होता है, हमारे शरीर के भीतर भी। शरीर में रक्‍त के लगातार प्रवाह की वजह से हमारी देह के भीतर एक विद्युत क्षेत्र बन जाता है। ऊपर से नीचे की ओर यानी सिर से पैरों के अंगूठे तक इसका प्रवाह स्‍वास्‍थ्‍यकर है। हमारे मस्तिष्‍क में बहुत सूक्ष्‍म नसें होती हैं, जहां रक्‍त का प्रवाह लगातार होता है। यदि कोई व्‍यक्ति एक मग पानी सीधे अपने सिर पर डालता है तो ये नसें धीरे-धीरे सिकुड़ने लगती हैं, जिसका परिणाम 'ब्‍लड क्‍लॉटिंग' यानी रक्‍त का थक्‍का जमने के रूप में सामने आ सकता है।

यदि कोई व्‍यक्ति कई वर्षों तक इसी तरह नहाता है तो इससे अंतत: हमारे मस्तिष्‍क को नुकसान पहुंचता है, जिससे उम्र बढ़ने के बाद पैरालाइसिस या ब्रेन हैमरेज यानी मस्तिष्‍काघात का खतरा पैदा हो सकता है। मस्तिष्‍क की गतिविधियां कमजोर पड़ने की वजह से जब स्थिति गंभीर हो जाती है तो हमारे हार्ट यानी हृदय को अधिक तेजी से काम करना पड़ता है। इससे हमारी धड़कन बढ़ जाती है और इसका नतीजा हार्ट स्‍ट्रोक, हार्ट अटैक या दिल से जुड़ी कई अन्‍य बीमारियों के रूप में सामने आ सकता है। ऐसा ही बच्‍चों के साथ भी होता है, जब स्‍नान के दौरान सीधे उनके सिर पर पानी डाला जाता है तो अक्‍सर वे सिहर उठते हैं।

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