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सूरज की धूप को ना लें हल्‍के में, सन प्वाइजनिंग के हो सकते हैं ये गंभीर लक्षण

Updated Jun 16, 2019 | 13:47 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

सन बर्न जब बढ़ जाता है तो वह सन प्वाइजनिंग के रूप में बदल जाता है। सन बर्न की ये गंभीर स्थिति बेहद कष्टदायक होता। तो आइए जानें की सनर्बन कब सन प्वाइजनिंग में तब्दील हो जाता है और इसके संकेत क्या हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram

अधिकतर लोग अपने लाइफ में कभी न कभी सन बर्न के शिकार हो ही जाते हैं। लेकिन आपने शायद ही सन प्वाइजनिंग के बारे में सुना होगा क्योंकि ये गंभीर सन बर्न का कारण होता है जो बेहद ही दर्दनाक और जटिलताओं से भरा होता है। डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ एसके सिंह बताते हैं कि सन बर्न जब सन प्वाइजनिंग की ओर बढ़ता है उससे पहले चार संकेत जरूर देता है। 

उस संकेत को पहचान कर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आप स्वयं ही इस संकेतों को समझ सकते हैं कि आप सन बर्न के शिकार हो चुके हैं और सन बर्न अब तेजी से बढ़ रहा है। इसकी गंभीरता को भापना आसान है। तो आइए आज उन चार गंभीर संकेतों को जानें जो सन प्वाइजनिंग का शिकार हो रहे हैं।

सन प्वाइजनिंग के गंभीर लक्षण 

1. फ्लू के साथ पसीना आना 
यदि आपकी स्किन पर सनबर्न ज्यादा होगा तो आपके शरीर को तापमान बनाए रखने के लिए ज्यादा ही संघर्ष करना पड़ता है। सन बर्न स्किन पर बढ़ता जाए तो समझ लें कि ये सन प्वाइजनिंग का कारण बन रहा है। इससे आपको कभी मुश्किल हो सकती है। शरीर जब तापमान बनाए रखने के लिए ज्यादा संघर्ष करेगा तो आपको असमान्य सा महसूस होगा। वयस्कों के शरीर का सामान्य तापमान 97 और 99 डिग्री फ़ारेनहाइट के बीच होता है जबकि बच्चों और शिशुओं का सामान्य तापमान आमतौर पर 97.9 और 100.4 डिग्री फ़ारेनहाइट के बीच होता है। यदि आपके शरीर का तापमान बहुत अधिक या कम है तो आपको फ्लू जैसे लक्षण भी दिखने लग सकते हैं। जैसे आपको ठंडा पसीना आ सकता है या आपको कपकपी फील हो सकती है।

2. मिचली और बेहोशी आना 
सन प्वाइजनिंग जब शरीर से इलेक्ट्रोलाइट्स को निकाल देता है तो आपके अंदर फ्लू के गंभीर लक्षण नजर आने लगते हैं। आपको मिचली सा महसूस होगा। इतना ही नहीं सन बर्न बढ़ेगा तो व्यक्ति के अंदर उलझन बढ़ती है, बेहोशी महसूस होती है, तेज ठंड लगना और मिचली के साथ उल्टी भी आने लगती है। ऐसी स्थित में बिना देर किए डॉक्टर को संपर्क करना चाहिए। शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का कम होना बहुत गंभीर संकेत होता है क्योंकि ये शरीर को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है। यदि ये कम होने लगता है तो शरीर की मासपेशियो में ऐंठन के साथ सुस्ती छाने लगती है।

3. बढ़ सकता है संक्रमण का खतरा
सन प्वाइजनिंग अगर स्किन पर बढ़ता जाता है तो इससे संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। सन प्वाइजनिंग में स्किन का संक्रमण इतना बढ़ता है तो उसमें मवाद या पानी भर जाता है। फट चुकी स्किन की सतह से पानी रिसने लगता है बिलकुल छाले की तरह और कुछ दिनों बाद उसमें सूजन और दर्द शुरू हो जाता है। अगर ऐसा लक्षण नजर आने लगे तो गंभीर हो जाएं।

4. इन तरीकों से बचें सन प्वाइजनिंग से 

  • ऐसे कई तरीके हैं जिनसे धूप, सन बर्न और सन प्वाइजनिंग से बचा जा सकता हैं। इन सारी समस्याओं से बचने के कई तरीके हैं बस उसे सही तरीके से अपनाना जरूरी है।
  • जब भी धूप में निकलना हो आप घर से निकलने से करीब 30 मिनट पूर्व सनस्क्रीन लगा लें।
  •  सन्स्क्रीन का एसपीएफ 30 या इससे ऊपर होना चाहिए।
  • जब भी धूप में निकलें सूती कपड़े ही पहनें।
  • अपने शरीर को पूरा ढक कर रखें, सन एक्सपोज से खुद को बचाएं। इसके लिए शरीर को कॉटन कपड़ें से कवर रखें।
  • स्किन कैंसर फाउंडेशन के अनुसार यूपीएफ को कपड़ों के जरिये भी स्किन में जाने से रोका जा सकता है। इसलिए बेहतर होगा की खुद को ऊपर से नीचे तक ढक कर रखें।
  • यदि आपको अधिक पसीना आता है या आप स्विमिंग करते हैं तो हर दो घंटे पर सनस्क्रीन जरूर लगाएं।

याद रखें सनस्क्रीन जब भी यूज करें उसे घर से निकलने से पहले ही लगाएं। तुरंत लगा कर धूप में निकलने से सनस्क्रीन का प्रभाव नहीं होगा।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। 

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