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Corona Side-Effects: UN ने बताया, महामारी के बाद ये हो सकता है सबसे भयानक 'साइड-इफेक्ट'

Updated May 15, 2020 | 06:55 IST

Covid-19 Post pandemic side-effects: कोरोना वायरस की वजह से दुनिया में वैसे ही काफी कुछ बिगड़ चुका हैं लेकिन महामारी के बाद कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो इतनी आसानी से खत्म नहीं होंगी। ये हैं इसके साइड इफेक्ट्स।

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तस्वीर साभार:&nbspAP
Coronavirus pandemic might leave side effects (representative image)

Covid-19 side-effects: कोरोना वायरस ने आज पूरी दुनिया को बिखेर कर रख दिया है। अर्थव्यवस्था से लेकर खेल जगत तक, सब कुछ बर्बाद होता नजर आ रहा है। बेशक ये जंग लंबी होगी लेकिन फिर भी उस दौर के आने की पूरी उम्मीद है जब महामारी वाले भयानक रूप से मुक्ति मिल जाएगी। लॉकडाउन खत्म हो जाएगा और सब कुछ पहले की तरह चलने लगेगा। लेकिन फिर भी इस महामारी के बाद कुछ ऐसे साइड-इफेक्टस होंगे जिनसे पार पाना अहम होगा और उसके लिए तैयार भी रहना होगा। ऐसी ही एक आशंका के बारे में संयुक्त राष्ट्र (UN) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेताया है।

मानसिक समस्याओं में इजाफा

आमतौर पर किसी बीमारी या उसकी दवाई के बाद उसके साइड-इफेक्ट्स शरीर के किसी अंग या फिर अंदरूनी हिस्से से जुड़े होते हैं, लेकिन महामारी के बाद के साइड इफेक्ट्स में मानसिक समस्या भी एक भयानक साइड इफेक्ट होती है। संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में जो खुलासे किए हैं कि आने वाले दिनों में बेशक दुनिया को धीरे-धीरे कोरोना से मुक्ति मिल जाए या फिर वैक्सीन आने से चीजें सुधर जाएं लेकिन पिछले कुछ महीनों में जिस स्थिति से लोग गुजरे हैं, वे दिमाग पर गहरा घात छोड़ रही हैं। जो आंकड़े मिले हैं उनके मुताबिक इसका सबसे गहरा असर स्वास्थ्यकर्मियों और बच्चों पर हो रहा है या आगे होगा।

आंकडे़ भी दे रहे हैं गवाही, स्वास्थ्यकर्मी सबसे ज्यादा परेशान

गुरुवार को WHO के प्रमुख ने सीधे तौर पर कहा कि, 'इस महामारी का लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर अभी से दिखने लगा है और ये चिंताजनक है।' संयुक्त राष्ट्र के द्वारा कुछ देशों में सर्वे के बाद जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के दौरान कनाडा के 47 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं जताई हैं। चीन में 50 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों ने अवसाद (Depression) की शिकायत की जबकि पाकिस्तान में 42 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों ने अवसाद और मानसिक समस्याओं की शिकायत की है।

बच्चों पर जरूर ध्यान दें

संयुक्त राष्ट्र की इसी रिपोर्ट में बच्चों से जुड़े आंकड़े भी मौजूद हैं। इटली और स्पेन में महामारी के दौरान लगातार जारी लॉकडाउन के बीच परिजनों ने अपने बच्चों में अजीबोगरीब बदलाव देखे हैं। परिजनों ने 77 फीसदी बच्चों द्वारा एकाग्रता में कमी की शिकायत की, 37 फीसदी बच्चों में बढ़ती खीझ के लक्षण दिखे जबकि तकरीबन 60 फीसदी बच्चों में अकेलेपन या फिर बेचैनी की समस्याएं नजर आईं। कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका की बात करें तो वहां 45 फीसदी आम जनता में बेचैनी और तनाव की स्थिति देखने को मिली है।

भारत में सबसे ज्यादा खतरा लेकिन..रास्ता है

इस साइड-इफेक्ट का सबसे ज्यादा खतरा भारत में हो सकता है। इसकी वजह है दो साल पहले आई WHO की रिपोर्ट जिसमें भारत को सबसे ज्यादा अवसादग्रसित देश बताया गया था। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कई गंभीर समस्याएं भारत में तेजी से बढ़ी हैं। भारत कुछ मामलों में इस लिस्ट में शीर्ष पर नहीं है लेकिन फिर भी भारत इस सूची के टॉप-5 के करीब ही रहा है। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बाद भारतीय लोगों को भी इससे हिम्मत से लड़ना होगा। कुछ ही दिन पहले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी अपने एक बयान के जरिए भारतीय लोगों में जागरुकता फैलाने का प्रयास किया था, दरअसल, भारत में मानसिक समस्या को आमतौर पर 'पागलपन' करार दे दिया जाता है, जबकि ऐसा नहीं है। इससे कोई भी गुजर सकता है, ऐसे में परिजनों और करीबी लोगों के साथ की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, वहीं डॉक्टरों से सही सलाह लेकर इस समस्या से आसानी से पार भी पाया जा सकता है। बस सकारात्मक रहने की जरूरत है।