नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 का नया वैरिएंट B.1.1.529 सामने आने के बाद इसे लेकर दुनियाभर में हड़कंप मच गया है। यूरोप के कई देशों में जहां पहले से ही कोविड संकट गहराता है, इस नए वैरिएंट ने और चिंता बढ़ा दी है। भारत में भी विशेषज्ञों ने इसे लेकर आगाह किया है, जिसके बाद सरकार ने इस संबंध में अलर्ट जारी किया है और राज्यों को अफ्रीका, बोत्सवाना और हॉन्कॉन्ग से आने वाले यात्रियों की सघन जांच करने कहा है।
अब सवाल है, कोविड-19 का ये नया वैरिएंट है क्या? इसे लेकर वैज्ञानिकों का क्या कहना है और किन आधारों पर इसे डेल्टा वैरिएंट से भी खतरनाक कहा जा रहा है, जिसने महामारी की दूसरी लहर के दौरान भारत सहित दुनियाभर में भीषण तबाही मचाई।
क्या है कोविड-19 का B.1.1.529 वैरिएंट?
कोरोना वायरस के इस नए B.1.1.1.529 वैरिएंट में कुल 50 तरह के म्यूटेशंस बताए गए हैं, जिनमें 30 तरह के म्यूटेशंस सिर्फ स्पाइक प्रोटीन के हैं। दुनियाभर में इस वक्त कोविड से बचाव के लिए जो भी वैक्सीन दिए जा रहे हैं, उनका लक्ष्य शरीर के भीतर स्पाइक प्रोटीन का निर्माण करना ही है, जो वायरस को इंसानी शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकता है। वैज्ञानिक अभी इसका पता लगा रहे हैं कि म्यूटेशन की यह स्थिति इस नए वैरिएंट को अधिक संक्रामक बनाती है या फिर यह पहले के अन्य वैरिएंट के मुकाबले अधिक घातक हो सकता है?
क्या डेल्टा से अधिक खतरनाक है ये वैरिएंट?
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन में 10 म्यूटेशंस पाए गए हैं, जबकि डेल्टा में यह सिर्फ दो था। इसी आधार पर इसे अधिक संक्रामक समझा जा रहा है। दक्षिण अफ्रीका में पहली बार सामने आने के सप्ताह भर के भीतर जिस तरह यह कई देशों में फैला है, उसे देखते हुए इसकी संक्रामकता को लेकर दुनियाभर में चिंता देखी जा रही है, जिस वजह से कई देशों ने अफ्रीका से आने वाली उड़ानों पर रोक लगा दी है। यहां म्यूटेशन का अर्थ वायरस में जेनेटिक बदलाव है, जो कई बार अधिक घातक हो सकता है।
कहां से हुई इस नए स्ट्रेन की उत्पत्ति?
कोविड-19 के इस नए वैरिएंट की उत्पत्ति दक्षिण अफ्रीका से मानी जा रही है, जहां इसी सप्ताह पहली बार कोरोना वायरस के इस नए वैरिएंट की पहचान की गई। इसके बाद यह बोत्सवाना सहित आसपास के कई अन्य देशों में फैल गया। दक्षिण अफ्रीका में ही इस वैरिएंट के 100 से अधिक मामले अब तक सामने आ चुके हैं, जबकि बोत्सवाना में भी तेजी से यह फैल रहा है। हॉन्गकॉन्ग में भी इसके दो केस सामने आ चुके हैं। इस स्ट्रेन से वे लोग भी संक्रमित हो रहे हैं, जिन्होंने कोविड-19 वैक्सीनेशन की पूरी डोज लगवाई हुई है। समझा जा रहा है कि यह किसी HIV/AIDS संक्रमित मरीज में पहली बार सामने आया और फिर दूसरे लोगों में फैला। इससे यह भी जाहिर होता है कि कोरोना वायरस का यह नया वैरिएंट भी उन लोगों को अधिक निशाना बनाता है, जिनकी इम्युनिटी बीमारी के कारण कमजोर हो चुकी है।
हवा के जरिये फैल रहा कोविड का ये स्ट्रेन?
हॉन्गकॉन्ग में जिन दो मरीजों के कोविड-19 के B.1.1.529 वैरिएंट से पीड़ित होने का पता चला है, वे दक्षिण अफ्रीका के अलग-अलग हिस्सों से आए थे और उन्होंने फाइजर वैक्सीन की पूरी डोज ले रखी थी। बताया जा रहा है कि उनके जो नमूने लिए गए हैं, उनमें वायरल लोड बहुत अधिक है। महामारी विशेषज्ञ डॉ. एरिक फीगल-डिंग ने शुक्रवार को एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने बताया कि दोनों यात्रियों के नमूनों में PCR काउंट वैल्यू 18 और 19 पाया गया है, जो बहुत अधिक है, जबकि हाल ही में हुए PCR टेस्ट में वे निगेटिव पाए गए थे। उन्होंने कोरोना वायरस के इस नए वैरिएंट के हवा के जरिये फैलने का भी अंदेशा जताया और कहा कि संभव है कि वैक्सीन इससे प्रतिरक्षा मुहैया कराने में सक्षम न हो। हालांकि इस पर अभी और रिसर्च किए जाने की आवश्यकता है।
क्या कहता है WHO?
कोरोना वायरस के जिस नए वैरिएंट को लेकर दुनियाभर में कोहराम मचा हुआ है, उसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी चौकस रहने की आवश्यकता जताई है। साथ ही कहा कि वह इस नए वैरिएंट के प्रभाव को लेकर अध्ययन करेगा, जिससे स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। WHO ने कोरोना वायरस के इस वैरिएंट को लेकर दुनिया के देशों की चिंताओं को वाजिब ठहराया और सतर्क रहने तथा इससे बचाव के लिए वैक्सीनेशन, नियमित अंतराल पर हाथों को साबुन से साफ करना, सैनिटाइजर का इस्तेमाल, मास्क पहनने सहित हर एहतियाती व जरूरी कदम उठाने पर जोर दिया।