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Depression: क्या आपको भी लंबे समय तक काम करने की आदत है? सावधान! हो सकते हैं डिप्रेशन का शिकार

Updated Jun 16, 2020 | 08:01 IST

Overtime work lead to depression: अगर आपको भी जरुरत से ज्यादा लंबे समय तक काम करने की आदत है तो संभल जाएं, इससे आपको डिप्रेशन होने का खतरा बढ़ जाता है।

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डिप्रेशन (Source: Pixabay)
मुख्य बातें
  • आपको भी जरुरत से ज्यादा लंबे समय तक काम करने की आदत है तो संभल जाएं
  • ज्यादा देर तक नियमित तौर पर काम करने से डिप्रेशन में जाने का खतरा बढ़ जाता है
  • इसी कारण किसी भी व्यक्ति के लिए 8 से 9 घंटों तक काम करने का नियम फिक्स किया गया है

आज भी कई ऐसे लोग हैं जो नियमित तौर पर तय समय से ज्यादा देर तक काम करते हैं। ऑफिस  में कभी-कभी अर्जेंट काम पड़ने पर ओवरटाइम करने की बात समझ में आती है लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो नियमित तौर पर ओवरटाइम करते हैं। इस तरह काम करके वे अपने कलीग्स और बॉस की नजर में तो अच्छे बन जाते हैं लेकिन ऐसा करके वे अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं।

काम करने के दौरान आपको अपने मेंटल हेल्थ को बिल्कुल भी अनदेखा नहीं करना चाहिए। कई सर्वे के मुताबिक 91 फीसदी से ज्यादा कर्मचारी तय समय से ज्यादा देर तक ऑफिस में रुकना पसंद करते हैं। इनमें से ज्यादातर ऐसे लोग होते हैं जो आने वाले दिन या आने वाले सप्ताह के लिए एडवांस में काम कर लेना चाहते हैं। कुछ लोग अपनी मर्जी से ऐसा करते हैं जबकि कुछ लोग अपने बॉस को काम के प्रति अपने समर्पण से इंप्रेस करना चाहते हैं। 

होता है ये खतरा

हालांकि ऐसा करने से आपका बॉस भले ही आपसे खुश हो जाए लेकिन इससे आपके फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर काफी बुरा असर पड़ता है। लंबे समय तक काम करने से क्रोनिक इंफेक्शन, दिल की बीमारी का खतरा, मधुमेह, डिप्रेशन, हाइपरटेंशन और एंग्जाइटी जैसी समस्या घर करने लगती है। मध्यम आयु वर्ग के लोगों के लिए ओवरटाम काम करना ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। इससे उन्हें दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है और उनकी असामयिक तौर पर मौत भी हो सकती है।

ना केवल पुरुषों में बल्कि महिलाओं में भी इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। महिलाओं में इसका खतरा ज्यादा रहता है। पुरुषों में ज्यादा देर तक काम करने से डिप्रेशन का खतरा 3.4 फीसदी होता है वहीं महिलाओं में इसका खतरा 4.6 फीसदी होता है। इससे ना सिर्फ उनके मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है बल्कि यह उनकी लाइफस्टाइल से लेकर सोशल लाइफ तक प्रभावित होती है। इससे लर्निंग क्षमता कम होती है। डिसिजन मेकिंग पावर कम होती है। 

बरतें ये सावधानी-

  • काम के बीच में समय-समय पर अपनी आंखों और अपने दिमाग को ब्रेक देते रहें।
  • सीमित मात्रा में कॉफी पीएं जबकि लंच को अपने टेबल से दूर रखें।
  • रोजाना सुबह नियमित तौर पर मॉर्निंग एक्सरसाइज करें ।
  • इसके अलावा ध्यान मेडिटेशन को भी अपने आदत में शामिल करें। 
  • नो कहने की आदत सीखें। अगर आपके ऑफिस में आपको ज्यादा देर तक रुकने को कहा जाता है तो आप मना करें।
  • हर किसी की मदद करना ज्यादा समय देना आपका काम नहीं है।
  • अगर आपको आपका कोई कलीग डिप्रेशन या एंग्जाइटी में दिखे तो उसकी जहां तक हो सके मदद करें उससे बात करें।
  • अगर आपको इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं तो अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें।

यही कारण है कि काम करने के लिए काम करने के लिए भी एक तय समयसीमा फिक्स कर दी गई है कि किसी भी व्यक्ति को 8 से लेकर 9 घंटों तक काम करना है। हालांकि ज्यादा काम होने से आपको कभी-कभी ज्यादा देर तक रुक कर काम करना पड़ जाता है।