- कश्मीरी पंडित सुनील भट्ट की गोली मारकर हत्या
- आतंकियों ने दो भाइयों को गोली मारी, 1 घायल
- घाटी में इस साल टारगेट किलिंग की 24 वारदात
Target Killing in Kashmir : कश्मीरी पंडितों की जिंदगी में दहशत, दर्द, गुस्सा और नाराजगी अब घर कर गई है। जो कश्मीरी पंडित कभी आतंकियों के दौर में भी घाटी छोड़कर कहीं नहीं गए अब वो ही लोग लगातार आतंकियों के निशाने पर हैं। जम्मू-कश्मीर में फिर दहशतगर्दों ने बड़ी बेरहमी से एक कश्मीरी पंडित को मौत के घाट उतार दिया। शोपियां में सेब के बाग में काम कर रहे दो भाइयों पर आतंकियों ने फायरिंग सुनील कुमार भट्ट को मौत के घाट उतार दिया। वहीं उनके भाई पीतांबर भट्ट मौत से संघर्ष कर रहे हैं। चार बेटियों के पिता सुनील कुमार भट्ट 45 साल के थे और अपने परिवार के साथ चोटीगाम में रहते थे। आतंकियों ने उन्हें सेब के बाग में काम करते वक्त निशाना बनाया। बताया जा रहा है कि दोनों लोगों से आतंकियों ने पहले नाम पूछे और फिर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। जिसमें सुनील की जान चली गई और उनके भाई अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं।
टारगेट किलिंग से गुस्से में लोग
घाटी में बढ़ती टारगेट किलिंग के खिलाफ लोगों का गुस्सा भी सामने आ रहा है। बडगाम में कश्मीरी पंडितों ने इंसाफ की मांग को लेकर सड़क पर उतरकर फिर अपने हक की आवाज बुलंद की। प्रदर्शनकारियों की सिर्फ एक मांग है कि उन्हें सुरक्षित जगहों पर भेज दिया जाए। हालांकि ऐसी मांग घाटी के ज्यादातर कश्मीरी पंडित खासकर सरकारी कर्मचारी करते आ रहे हैं। सरकार के सुरक्षा के दावों को आइना दिखाने के लिए घाटी में आए दिन कश्मीरी पंडितों की हत्याएं काफी हैं। चार बेटियों के पिता सुनील भट्ट की मौत से जहां घाटी फिर दहशत में हैं... तो उनके घर वालों का रो-रोकर बुरा हाल है। प्रशासन के खिलाफ लोगों का गुस्सा सुनील भट्ट की अंतिम यात्रा में दिखा। बड़ी संख्या में लोगों ने आतंकवाद के खिलाफ कड़े एक्शन की मांग की।
2022 में अब तक 24 हत्याएं
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटा तो उम्मीद थी कि अब कश्मीर की फिजाएं आतंकियों से मुक्त हो जाएंगी लेकिन ऐसा होता हुआ फिलहाल दिख नहीं रहा है। साल 2022 के करीब साढ़े 8 महीनों में 24 से ज्यादा टारगेट किलिंग की घटनाएं हो चुकी हैं। पिछले साल से तुलना करे तो ये आंकड़ा बढ़ा है क्योंकि पिछले साल यानि 2021 में 15 ऐसी वारदातें सामने आईं थी। इस साल मई से अगस्त के बीच ही अब तक घाटी में टारगेट किलिंग के 10 से ज्यादा मामले सामने आए हैं।
- 7 मई को श्रीनगर में पुलिस कॉन्स्टेबल गुलाम सन डार की गोली मारकर हत्या
- 12 मई को बडगाम में कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट का तहसील में घुसकर मर्डर
- 13 मई को पुलवामा में पुलिस कॉन्स्टेबल रियाज अहमद की गोली मारकर हत्या
- 17 मई को बारामूला में ग्रेनेड अटैक में रंजीत सिंह की मौत
- 24 मई को श्रीनगर में पुलिसकर्मी सैफुल्ला कादरी की घर में गोली मारकर हत्या
- 25 मई को बडगाम में टीवी आर्टिस्ट आमरीन भट्ट की गोली मारकर हत्या
- 31 मई को कुलगाम में स्कूल टीचर रजनी बाला को गोली मारकर मौत के घाट उतारा
- 2 जून को कुलगाम में बैंक मैनेजर विजय कुमार का गोली मारकर कत्ल
- 2 जून को बडगाम में मजदूर दिलखुश कुमार की फायरिंग में मौत
- 12 अगस्त को बांदीपोरा में प्रवासी मजदूर की गोली मारकर हत्या
- 16 अगस्त को शोपियां कश्मीरी पंडित सुनील भट्ट की गोली मारकर हत्या
लोगों का प्रदर्शन, सेना का ऑपरेशन
आतंकियों की गोली से घायल पीतांबर भट्ट का अस्पताल में इलाज जारी है। श्रीनगर में सेना के 92 बेस अस्पताल में उनका हाल जानने के लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पहुंचे। इस दौरान आतंकियों की गोली से मारे गए सुनील भट्ट के परिवार के प्रति सिन्हा ने संवेदना जताते हुए कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया। सुनील भट्ट की हत्या को बीजेपी ने आतंकियों की कायराना करतूत बताया है और दावा किया कि कश्मीरी पंडित डरने वाले नहीं हैं। कश्मीरी पंडितों को लगातार निशाना बनाए जाने से नाराज बजरंग दल कार्यकर्ता सड़क पर उतरे और पाकिस्तान का पुतला जलाकर बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने आतंकवाद के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। लोगों में आतंकियों के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है उधर सेना ने सुनील भट्ट के हत्यारों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन लॉन्च किया हुआ है। जम्मू-कश्मीर के DGP दिलबाग सिंह खुद शोपियां पहुंचे और हालात का जायजा लिया।
जमीन पर एकता, नेताओं को खटकता!
'कत्ल-ए-नाहक... नामंजूर' और 'खूनखराबी... नामंजूर' जैसे नारे लगाते हुए मुस्लिम समाज ने भी आतंकी वारदात का विरोध किया। सुनील कुमार भट्ट की अंतिम यात्रा में एकता की मिसाल भी देखने को मिली। यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने 'हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई- आपस में हैं भाई-भाई' के नारे लगाए। कत्लेआम के खिलाफ घाटी में आवाज बुलंद हो रही है तो PDP इस पर सियासत करने से बाज नहीं आ रही है। PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में हालात को 'बनावटी सामान्य स्थिति' बताते हुए सरकार को निशाने पर लिया। लेकिन इतना याद रखिए सियासत और दावे तो होते रहेंगे लेकिन घाटी की हकीकत इन दिनों कश्मीरी पंडितों के लिए भयावह है। ऐसे में सुनील भट्ट जैसे कई लोगों के परिवारों को इंसाफ दिलाना और कायराना हमलों पर लगाम लगाने के लिए सरकार को सख्त एक्शन तो लेना ही होगा। वरना घाटी में फिर 1990 का दौर लौटने का डर बना हुआ है।