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संसद हमले की 20वीं बरसी: जब बाल-बाल बचे थे आडवाणी समेत 200 सांसद, गोलियों से दहल गया था लोकतंत्र का मंदिर

Updated Dec 13, 2021 | 05:45 IST

Parliament Attack Anniversary: 13 दिसंबर, 2021 को जब संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था तो अचानक एंबेसडर कार में सवार आतंकी लोकतंत्र के मंदिर में घुस गए और गोलियों की तड़तड़ाहट से लोकतंत्र का मंदिर गूंज उठा।

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जब बाल-बाल बचे थे 200 सांसद, गोलियों से दहल गई थी संसद
मुख्य बातें
  • संसद हमले की आज है 20वीं बरसी, बाल-बाल बचे थे 200 से अधिक सांसद
  • आज की के दिन संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान 13 दिसंबर 2001 को आतंकियों ने किया था संसद पर हमला
  • इस हमले में मारे गए थे सभी हमलावर आतंकी, शहीद हुए थे 9 बहादुर

नई दिल्ली: 13 दिसंबर 2001 की सुबह भला कौन भूल सकता है जब लोकतंत्र का मंदिर गोलियों की आवाज (2001 Parliament Attack) से दहल उठा था। आम दिन की तरह उस दिन भी संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था और विपक्ष के हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही करीब 40 मिनट तक स्थगित रही। इसके बाद नेता विपक्ष सोनिया गांधी और तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी घर की तरफ जा चुके थे। तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित करीब 200 सांसद पार्लियामेंट के अंदर ही मौजूद थे।

तेज रफ्तार से घुसी  एंबेसडर कार

करीब 11 बजकर 27 मिनट पर संसद के गेट नंबर 12 से गृह मंत्रालय के स्टीकर लगी लाल बत्ती वाली  एंबेसडर कार तेज रफ्तार से निकली तो यहां तैनात सुरक्षाकर्मी को शक हुआ। इसके बाद जैसे ही गार्ड जगदीश यादव ने कार का पीछा किया तो उसकी रफ्तार और तेज हो गई । इसी दौरान गेट नंबर 11 पर उस समय के उपराष्ट्रपति कृष्णकांत बाहर निकलने वाले थे और काफिले में तैनात गार्ड उनका इंतजार कर रहे थे तभी जगदीश यादव ने सुरक्षाकर्मियों को वह कार रोकने का इशारा किया वो अलर्ट हो गए लेकिन तब तक आतंकियों की कार ने उपराष्ट्रपति के काफिले को टक्कर मार दी थी। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने अपने हथियार निकाल लिए और गोलियों की बौछार शुरू हो गई। जगदीश यादव सहित चार सुरक्षाकर्मी तो मौके पर ही शहीद हो गए।

45 मिनट तक गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंजा संसद

आतंकी किसी भी कीमत पर संसद में घुसकर नेताओं को मार गिराना चाहते थे लेकिन किसी सुरक्षाकर्मी ने  ने संसद का आपातकालीन अलार्म बजा दिया और सभी गेट बंद कर दिए। इसके बाद भी सुरक्षाकर्मियों ने मोर्चा संभाला और एक-एक करके सभी आतंकियों को मार गिराय गया। करीब 45 मिनट तक चली गोलीबारी में सभी आतंकवादी ढेर हो गए, लेकिन ढेर होने से पहले आतंकियों ने संसद में घुसने की हरसंभव कोशिश की और संसद के अंदर हथगोले फेंके, आत्मघाती विस्फोट किया पर सुरक्षाकर्मियों के आगे उनकी एक ना चली। ये बात अलग है कि हमले में सात सुरक्षाकर्मियों समेत 8 लोग शहीद हो गए।

मुख्य आरोपी ढेर, अफजल को फांसी की सजा

इसके बाद इस मुद्दे को लेकर राजनीति भी खूब हुई और संसद की सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई। बाद में इस हमले के मुख्य आरोपी गाजीबाबा को श्रीनगर में सुरक्षाबलों ने मार गिराया। मारे गए आतंकियों के मोबाइल फोन से कुछ नंबर भी मिले जिसके बाद अब्दुल रहमान, मोहम्मद अफजल, शौकत गुरु और अब्दुल रहमान गिलानी को गिरफ्तार कर लिया गया। अदालती कार्यवाही के बाद नवोज को पांच साल कारावास की सजा हुई लेकिन पोटा कोर्ट से फांसी की सजा पाने वाले अब्दुल रहमान गिलानी को कोर्ट से रिहाई मिल गई। बाद में 2004 में रहमान की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। अफजल गुरु को हर कोर्ट से मायूसी मिली और फांसी की सजा बरकरार रही। फरवरी 2013 में तिहाड़ जेल में अफजल को फांसी दे दी गई।

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