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इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक फैसला बना था आपातकाल की वजह, फिर 21 महीने के लिए देश में सबकुछ बदल गया

Updated Jun 25, 2020 | 09:54 IST

25 June Emergency: 25 जून 1975 को लगे आपातकाल को आज 45 साल पूरे हो गए हैं। ऐसे में जानें इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले के बारे में जो एक बड़ा कारण बना कि देश में आपातकाल लगाया गया।

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25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा
मुख्य बातें
  • 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक 21 महीने तक भारत में आपातकाल घोषित था
  • इस दौरान नागरिक के अधिकारों को समाप्त कर दिया गया और कई प्रकार की मनमानी की गईं
  • जयप्रकाश नारायण ने इसे 'भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि' कहा था

नई दिल्ली: आजाद भारत के इतिहास में आपातकाल (Emergency) एक बड़ी घटना है। इसे हमारे लोकतंत्र में सबसे बड़े काले अध्याय के रूप में देखा जाता है। आज यानी 25 जून 2020 को आपातकाल को 45 साल पूरे हो गए हैं। 25 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा की गई थी और ये 21 माह तक लागू रहा। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल क्यों लगाया इसके पीछे इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले को बड़ा कारण माना जाता है। 

दरअसल, 1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी ने रायबरेली से सोशलिस्ट पार्टी के नेता राजनारायण को हरा दिया। हालांकि उन्होंने इंदिरा पर चुनावी धांधली का आरोप लगाया और मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंच गया। इंदिरा को कोर्ट में पेश होना पड़ा। 12 जून, 1975 को हाई कोर्ट ने राजनारायण के पक्ष में फैसला सुनाते हुए इंदिरा गांधी को दोषी ठहरा दिया। रायबरेली से उनके निर्वाचन को अवैध ठहराया गया। उन्हें चुनाव में धांधली करने का दोषी पाया गया और उन पर 6 वर्षों तक कोई भी पद संभालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत

इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले को इंदिरा गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए इंदिरा को सांसद के रूप में मिल रही सभी सुविधाओं से वंचित कर दिया। बतौर लोकसभा सदस्य वोट करने पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि इंदिरा को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बने रहने की इजाजत दी गई। 25 जून 1975 को जयप्रकाश नारायण ने देशभर में इंदिरा के खिलाफ प्रदर्शन करने का आह्वान किया और इस्तीफे की मांग की। इसके बाद 25 जून की रात राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने प्रधानमंत्री की सलाह पर देश में संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल घोषित कर दिया।

सरकार ने की मनमानी

इसके बाद जैसे सबकुछ बदलने वाला था। नागरिकों के मूल अधिकार खत्म कर दिए गए। राजनेताओं को जेल में डाल दिया गया। अखबारों पर सेंसरशिप लगा दी गई। चुनाव स्थगित हो गए।  प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर पुरुष नसबंदी अभियान चलाया गया।

चुनाव में निकला लोगों का गुस्सा

बाद में जनवरी 1977 में इंदिरा गांधी ने लोकसभा भंग करते हुए घोषणा की कि मार्च मे लोकसभा के लिए आम चुनाव होंगे। सभी राजनैतिक बंदियों को रिहा कर दिया गया। 23 मार्च 1977 को आपातकाल समाप्त हो गया। देश में लोकसभा चुनाव हुए। लोगों में आपातकाल के खिलाफ गुस्सा दिखा और कांग्रेस चुनाव हार गई। खुद इंदिरा गांधी अपने गढ़ रायबरेली से चुनाव हार गईं। जनता पार्टी भारी बहुमत से सत्ता में आई और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। 

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