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अफगानिस्तान: पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने खुद को केयरटेकर राष्ट्रपति घोषित किया

Updated Aug 17, 2021 | 20:34 IST

अफगानिस्तान में हाल बद से बदतर हो रहे हैं। राष्ट्रपित अशरफ गनी देश छोड़कर जा चुके हैं, तालिबान ने अपना कब्जा कर लिया है। अब पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने खुद को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया है।

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अमरुल्ला सालेह

नई दिल्ली: अफगानिस्तान के पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने खुद को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया है। उन्होंने कहा कि वह सभी नेताओं का समर्थन और आम सहमति हासिल करने के लिए पहुंच रहे हैं। उन्होंने ट्वीट किया, 'अफगानिस्तान के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, पलायन, त्यागपत्र या मृत्यु में FVP कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है। मैं वर्तमान में अपने देश के अंदर हूं और वैध केयरटेकर राष्ट्रपति हूं। मैं सभी नेताओं से उनके समर्थन और आम सहमति के लिए संपर्क कर रहा हूं।' 

सालेह ने तालिबान के नियंत्रण को यह कहते हुए स्वीकार नहीं किया कि वह कभी भी इस्लामी कट्टरपंथियों के साथ 'एक छत' के नीचे नहीं होंगे। रविवार को अशरफ के गनी पूर्व डिप्टी ने कहा कि वह "आत्मा" और "मेरे नायक अहमद शाह मसूद की विरासत", दिवंगत अफगान राजनेता और सैन्य कमांडर की विरासत को कभी भी धोखा नहीं देंगे, जिन्होंने 1979 और 1989 के बीच सोवियत कब्जे के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।

युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान से भागते हुए राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपने हेलीकॉप्टर में ठूंस-ठूंस कर नकदी भरी, लेकिन जगह की कमी के कारण नोटों से भरे कुछ बैग रनवे पर ही छोड़ने पड़ गये। रूस की आधिकारिक मीडिया ने सोमवार को एक खबर में यह दावा किया।

गौरतलब है कि रविवार को काबुल पर तालिबान के कब्जे के साथ ही अमेरिका समर्थित गनी सरकार गिर गयी और राष्ट्रपति देश-विदेश के सामान्य लोगों की तरह देश छोड़ने पर मजबूर हो गए। काबुल स्थित रूसी दूतावास का हवाला देते हुए रूस की सरकारी समाचार एजेंसी 'तास' ने खबर दी है कि 72 वर्षीय राष्ट्रपति गनी नकदी से भरा हेलीकॉप्टर लेकर काबुल से भागे। अफगानिस्तान छोड़ने के बाद अपने पहले बयान में गनी ने रविवार को फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा। राष्ट्रपति ने लिखा है कि उनके सामने दो मुश्किल विकल्प थे, पहला राष्ट्रपति भवन में घुसने की कोशिश कर रहे हथियारबंद तालिबान और दूसरा अपने प्रिय देश को छोड़ना, जिसकी रक्षा में मैने अपने जीवन के 20 साल लगा दिये। 

गौरतलब है कि अफगानिस्तान पर 1996 से 2001 तक तालिबान का शासन था और 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद अमेरिका नीत सैन्य बलों ने देश से उसका शासन समाप्त कर दिया था।

(भाषा के इनपुट के साथ)

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