- कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए होना है चुनाव
- अशोक गहलोत और शशि थरूर के अलावा कई और नेता हैं मैदान में
- राहुल गांधी ने अभी तक बना रखा है सस्पेंस
मंच सज चुका है...मोहरे बिछाए जा चुके हैं या बिछने वाले है...इस बार का कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव अपने आप में एक इतिहास बना सकता है। जिस तरह के समीकरण अभी तक दिख रहे हैं उसके अनुसार गांधी परिवार इस बार अध्यक्ष पद पर अपना दावा ठोकता नहीं दिख रहा है।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा पर हैं और पहले उन्होंने साफ मना कर दिया था कि वो अध्यक्ष पद के लिए चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे। हालांकि हाल के दिनों में उन्होंने थोड़ा सा सस्पेंस क्रिएट कर रखा है। साफ-साफ जवाब नहीं दे रहे हैं, लेकिन रिपोर्टों की मानें तो वो इस चुनाव में नहीं उतरने जा रहे हैं।
24 साल बाद दोहराएगा इतिहास
इस चुनाव से पहले 1997 में जब चुनाव हुआ था, तब गांधी परिवार का कोई भी सदस्य चुनावी मैदान में नहीं उतरा था। तब शरद पवार, राजेश पायलट और सीताराम केसरी चुनावी मैदान में थे। जहां केसरी के पक्ष में जबरदस्त वोटिंग हुई थी और वो कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए थे।
22 साल पहले चुनाव
पिछला चुनाव 22 साल पहले 2000 में हुआ था। तब गांधी परिवार की अहम सदस्य सोनिया गांधी चुनावी मैदान में उतरीं थीं, जिनके सामने जितेंद्र प्रसाद मैदान में थे। सोनिया गांधी यह बाजी जीत गईं और कांग्रेस का अध्यक्ष बन गईं। सोनिया गांधी के पास कांग्रेस अध्यक्ष पद की कुर्सी 1998 में आई थी। मतलब कि इस चुनाव से दो साल पहले। इसके बाद से यह पद गांधी परिवार के पास ही रहा है।
कौन कौन हैं दौड़ में
इस लड़ाई में दो नाम लगभग तय है। एक अशोक गहलोत और दूसरा शशि थरूर। थरूर जी-23 गुट से हैं, जिसने गांधी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोला था और गहलोत गांधी परिवार के करीबी और संगठन पर पकड़ रखने वाले तेज तर्रार नेता हैं। इन दोनों के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के बागी नेता मनीष तिवारी, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। दिग्विजय सिंह ने तो इसका इशारा भी कर दिया है।
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