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पुलवामा पर फवाद चौधरी के कबूलनामे के बाद भारत का रुख कड़ा, ब्लैक लिस्ट किए जाने पर विचार करे एफएटीएफ

Updated Oct 29, 2020 | 20:59 IST

पुलवामा मामले में पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी के कबूलनामे के बाद भारत का कहना है कि ब्लैक लिस्ट करने के बारे में अब फाइनेंसियल एक्शन टॉस्क फोर्स को सोचना चाहिए।

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केंद्रीय मंत्री वी के सिंह ने पाकिस्तान पर साधा निशाना
मुख्य बातें
  • भारत ने एफएटीएफ से पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने की मांग की
  • पुलवामा को पाक की संसद में इमरान खान सरकार की बड़ी कामयाबी बताया गया
  • एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा है

नई दिल्ली। 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा से जो खबर आई थी वो दिल दहलाने वाली। सीआरपीएफ के काफिले पर आरडीएक्स से भरी कार को आतंकियों ने टक्कर मारी थी। शुरुआती जांच में यह जानकारी सामने आई कि उस आतंकी हमले को पाकिस्तान की जमीन पर पलने वाले आतंकियों ने अंजाम दिया है। भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न सिर्फ कूटनीतिक कोशिश की बल्कि बालाकोट एयरस्ट्राइक के जरिए संदेश भी दे दिया कि आतंकी हरकत किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस बीच फाइनेंसियल एक्शन टॉस्क फोर्स ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया।

पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने पर विचार करे एफएटीएफ
केंद्रीय मंत्री वी के सिंह का कहना है कि  अब जब पाकिस्तान की संसद में इमरान सरकार ने मान लिया है कि पुलवामा उनकी सरकार की बड़ी कामयाबी थी तो इसका अर्थ यह है कि पाकिस्तान ने अपना हाथ होना भी स्वीकार कर लिया है। अब भारत ने कहा कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाले जाने के बारे में विचार करना चाहिए।  


पाकिस्तान अभी भी ग्रे लिस्ट में 
दरअसल हाल ही में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकार रखने का फैसला किया था। एफटीएफ की तरफ से पाकिस्तान को 27 कार्यों पर एक्शन के लिए अक्टूबर तक का समय दिया गया था और पाकिस्तान ने बताया कि उसने 21 बिंदुओंं पर कार्रवाी की है, पाकिस्तान ने भरोसा दिया कि वो शेष 6 बिंदुओं पर भी कार्रवाई करेगा और इस तरह से अगले साल फरवरी तक की मोहलत पा ली। पाकिस्तान ने इसे खुद की कामयाबी के तौर पर देखा। लेकिन अब जिस तरह से केंद्रीय मंत्री फवाद चौधरी ने संसद ने पुलवामा के मुद्दे पर कबूल किया है उससे भारत के उस रुख की पुष्टि होती है जिसमें बार बार कहा जाता है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने में सीमा पार से सहयोग मिलता है।

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