- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में जमीन खरीदने की केंद्र सरकार ने दी अनुमति
- केंद्र सरकार के इस फैसले का जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रीय दल कर रहे हैं विरोध
- बीजेपी का कहना है कि इस फैसले के बाद से सही मायने में जम्मू-कश्मीर शेष भारत से जुड़ेगा।
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में भारत का अब कोई भी नागरिक जमीन खरीद सकता है। इस संबंध में भारत सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। लेकिन जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों को इस अधिसूचना पर आपत्ति है। पीडीपी, एनसी समेत जम्मू-कश्मीर के कई राजनीतिक दल विरोध कर रहे है भारत सरकार जम्मू-कश्मीर की तासीर पर चोट कर रही है।
उमर अब्दुल्ला के विरोधी बोल
नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि अन्य राज्यों में भूमि कानून जम्मू-कश्मीर में नए भूमि कानूनों से अधिक मजबूत हैं। आज भी भारत के लोग एचपी, लक्षद्वीप, नागालैंड में जमीन नहीं खरीद सकते हैं, पता नहीं कि जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने की हमारी गलती क्या है। अगर हम इसके खिलाफ बोलते हैं, तो हमें राष्ट्र-विरोधी कहा जाता है।
बीजेपी ने बताया जम्मू-कश्मीर के लिए जरूरी
जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदे जाने की अनुमति का देश के अलग अलग राजनीतिक दलों की तरफ से अलग अलग प्रतिक्रिया आई है। राज्य के क्षेत्रीय दलों का कहना है कि यह वहां के स्थानीय लोगों पर मार है। सबसे बड़ी बात है यह पीडीपी के नेता ने तो यहां तक कह दिया कि सरकार के इस फैसले से घाटी में रेप की वारदात में बढ़ोतरी होगी। लेकिन बीजेपी ने कहा कि इस फैसले से जम्मू-कश्मीर शेष भारत से और अच्छी तरह से जुड़ेगा। जम्मू-कश्मीर के लोग भारत के दूसरे हिस्सों के लोगों से जुड़ सकेंगे। जमीन न खरीदना एक बड़ी बाधा थी जो अब दूर हो चुकी है।