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Locust Attack in UP: टिड्डियों के हमले से आगरा और मथुरा हाई अलर्ट पर,आखिर कहां से आ रही हैं टिड्डियां?

Updated May 27, 2020 | 14:56 IST

Agra And Mathura On High Alert Due To Locust Attack:टिड्डियों के हमले को देखते हुए यूपी के आगरा और मथुरा में अलर्ट जारी किया गया है,टिड्डियों के दल ने कई राज्यों की दिक्कतें बढ़ा दी हैं।

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खतरे को देखते हुए उत्तर प्रदेश के आगरा और मथुरा में अलर्ट जारी किया गया है
मुख्य बातें
  • टिड्डियों के हमले को देखते हुए तीन राज्यों के करीब 10 जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है
  • उत्तर प्रदेश के आगरा और मथुरा में अलर्ट जारी किया गया है ताकि यहां फसल को बचाया जा सके
  • टिड्डियों का दल इतना खतरनाक है कि ये अपने रास्ते की फसलों एवं सब्जियों को पूरी तरह से चट कर जा रहा है

नई दिल्ली: फसलों को चट करने वाला टिड्डियों का यह दल आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हमला कर फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है। टिड्डियों के इस प्रकोप का सामना करने के लिए राज्य सरकारों ने भी अपनी तैयारी कर ली है। टिड्डियों के हमले को देखते हुए तीन राज्यों के करीब 10 जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है।पाकिस्तान की तरफ से आने वाले टिड्डियों का दल इतना खतरनाक है कि ये अपने रास्ते की फसलों एवं सब्जियों को पूरी तरह से चट कर जा रहा है।

उनके इस खतरे को देखते हुए उत्तर प्रदेश के आगरा और मथुरा में अलर्ट जारी किया गया है ताकि यहां फसल को बचाया जा सके, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महारष्ट्र में इनका प्रकोप बढ़ता जा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि अब ये यूपी की तरफ कूच कर सकते हैं। 

फसलों एवं सब्जियों को ये जिस तरह से बर्बाद कर रहे हैं उससे आने वाले समय में खाद्य आपूर्ति की चेन और करोड़ों लोगों की आजीविका पर संकट खड़ा हो सकता है।पाकिस्तान से राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा होते हुए मध्य प्रदेश तक टिड्डियों का दल तांडव कर रहा है। 

आखिर इतने भारी संख्या में टिड्डियां आ कहां से रही हैं?

वहीं इस बारे में जानकार आईएफएस अधिकारी प्रवीण कासवान बताते हैं कि टिड्डियों की बाढ़ के पीछे मुख्य कारण मई और अक्टूबर 2018 में खाड़ी देशों, ओमान और यमन में आए मेकुनू और लुबान चक्रवाती तूफान हैं।

उन्होंने विशेषज्ञों के हवाले से बताया कि उन चक्रवाती तूफानों के कारण ऐसे मौसमी हालात पैदा हुए जिनमें टिड्डियों की संख्या में अपार वृद्धि हो गई।

टिड्डियों की दुनिया भर में 10 हज़ार से ज़्यादा प्रजातियां बताई जाती हैं, लेकिन भारत में मुख्य तौर से चार प्रजातियां रेगिस्तानी टिड्डा, प्रव्राजक टिड्डा, बम्बई टिड्डा और पेड़ वाला टिड्डा ही सक्रिय ही रहती हैं, जब हरे-भरे घास के मैदानों पर कई सारे रेगिस्तानी टिड्डे इकट्ठे होते हैं तो भयानक नजारा होता है।

रेगिस्तानी टिड्डियों का मुख्य आहार हरी-हरी फसलें होती हैं

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के मुताबिक, एक स्क्वैयर किमी में टिड्डों का झुंड उतनी फसल चट कर सकता है जिससे 35 हजार लोगों को खाना मिल जाए।टिड्डों ने फरवरी में इथियोपिया, केन्या और सोमालिया में जमकर नुकसान पहुंचाया, पिछले साल असामान्य रूप से भारी वर्षा के कारण ऐसा जलवायु परिवर्तन हुआ जिससे पूरे पूर्वी अफ्रीका में टिड्डों की बाढ़ आ गई।

बताया जाता है कि ये एक दिन में करीब 200  किमी तक उड़ सकते हैं, जिससे उन्हें नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है, ये हजारों लाखों के झुण्ड में आकर पेड़ों, पौधों या फसलों के पत्ते, फूल, फल, सभी खा जाते हैं ये इतनी संख्या में पेड़ों पर बैठते हैं कि उनके भार से पेड़ तक टूट सकता है।

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