- कर्नाटक पिछले कुछ समय से हिजाब और हलाल मीट को लेकर सुर्खियों में रहा है।
- अमित शाह राज्य के वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर नेतृत्व सहित कैबिनट विस्तार आदि की रूप रेखा तय कर सकते हैं।
- जुलाई 2012 में बी.एस.येदियुरप्पा की जगह बसवराज बोम्मई बने थे मुख्यमंत्री
Amit Shah In Karnatka: हिजाब और हलाल मीट को लेकर पिछले कुछ समय से सुर्खियों में रहे कर्नाटक में साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। और इन चुनावों के लिए भाजपा ने 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। अब जब चुनाव में करीब एक साल का समय रह गया है। उसे देखते हुए चुनावी रणनीति को अमल में लाने और उसके लिए अहम बदलाव पर चर्चा के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता और गृह मंत्री अमित शाह बेंगलुरू पहुंच गए हैं। सूत्रों के अनुसार इस दौरान अमित शाह राज्य के वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर नेतृत्व सहित कैबिनट विस्तार आदि की रूप रेखा तय कर सकते हैं।
येदियुरप्पा की जगह बोम्मई बने थे मुख्यमंत्री
साल 2019 में सत्ता में वापसी करने के बाद भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता बी.एस.येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के दबाव में 75 वर्षीय येदियुरप्पा को दो साल बाद जुलाई 2021 में मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। और उसके बाद बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री पद की कमान मिली थी। पार्टी नेतृत्व ने 225 विधानसभा सीटों में से इस बार 150 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में अमित शाह का यह दौरा पार्टी की चुनावी रणनीति के लिए बेहद अहम है। शाह ने पिछली बार कर्नाटक का दौरा एक अप्रैल को किया था और प्रदेश भाजपा कोर कमेटी की बैठक में हिस्सा लिया था। उस दौरान पार्टी के लिए लक्ष्य तय किए गए थे और आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने के तरीके और अन्य दलों के नेताओं को शामिल करने पर चर्चा की गई थी।इस दौरे में शाह द्वारा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, वरिष्ठ नेता बी एस येदियुरप्पा सहित अन्य नेताओं से मिलकर पार्टी की चुनाव तैयारियों की समीक्षा करने की संभावना है।
इसके पहले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष ने रविवार को कहा था कि नेतृत्व बदलने की पार्टी की क्षमता हमेशा से ही इसकी ताकत रही है। इस बयान के बाद ही राज्या के राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गई हैं।
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येदियुरप्पा ने कही ये बात
इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा ने शिमोगा में संवाददाताओं से कहा, वह (शाह) आ रहे हैं। मैं उनसे मुलाकात करूंगा। वह राज्य की राजनीतिक स्थिति जानने की कोशिश करेंगे। राज्य में चुनाव होने हैं, प्रधानमंत्री और अमित शाह ने कर्नाटक को प्राथमिकता देने का फैसला किया है। वह संभवत: 150 सीटों के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सुझाव देंगे जो हमने अगले विधानसभा चुनाव के लिए तय किया है।
साफ है कि अमित शाह का इस दौरे पर पूरा जोर चुनावी रणनीति पर रहेगा। जिस तरह भारतीय जनता पार्टी ने यूपी चुनावों के पहले कैबिनेट विस्तार किया था। और गुजरात में मुख्यमंत्री सहित पूरे कैबिनेट को बदल डाला था। ऐसे में संभावना है कि कर्नाटक में भी भाजपा वोटरों को लुभाने के लिए कुछ अहम बदलाव कर सकती है। इस दौरे पर शाह 12वीं सदी के समाज सुधारक व लिंगायत संत बसवन्ना को भी बसावा जयंती के मौके पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।कर्नाटक में लिंगायत एख प्रभावशाली समुदाय है और उसे भाजपा का मजबूत वोट बैंक माना जाता है।