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शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की अर्जी मथुरा कोर्ट में स्वीकार, ओवैसी बोले- पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन है

Updated May 19, 2022 | 20:42 IST

एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मथुरा जिला न्यायालय द्वारा शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने के लिए दायर याचिक पर कहा कि यह पूजा स्थल अधिनियम, 1991 और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है, प्रधानमंत्री इस सब पर विराम लगाएं।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी

नई दिल्ली : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को कहा कि शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने के लिए मथुरा कोर्ट में याचिका दायर की गई है। यह पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का ही उल्लंघन है। मथुरा जिला न्यायालय का कहना है कि मुकदमा चलने योग्य है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है, और संसद अधिनियम के खिलाफ है। गौर हो कि कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में मथुरा की एक अदालत ने मस्जिद हटाने का अनुरोध करने वाली याचिका को विचार करने के लिए स्वीकार कर लिया।

ओवैसी ने कहा कि ज्ञानवापी हो या मथुरा, इस आइडिया के जरिये अविश्वास का माहौल पैदा करना, मुस्लिम समुदाय के प्रति ज्यादा नफरत फैलाना, हमारे हिंदू भाइयों में सुरक्षा की कमी और इस देश को पीछे ले जाना है। ओवैसी ने कहा कि अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री इस सब पर विराम लगा दें और कहें कि उनकी सरकार 1991 के अधिनियम के साथ खड़ी है और ऐसे मुद्दों का समर्थन नहीं करेगी जो देश में और विभाजन पैदा करते हैं।

उधर वाराणसी की अदालत में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले की अगली सुनवाई 23 मई को होगी। कोर्ट ने गुरुवार को यह नई तारीख तय की। हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि आज दोनों पक्षों ने अपनी आपत्तियां और जवाबी आपत्तियां दायर की। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों को शुक्रवार तक इस मामले में आगे नहीं बढ़ने का निर्देश दिया है, जिसे देखते हुए अदालत ने सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख तय की है।

ओवैसी ने मंगलवार को कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट ज्ञानवापी मामले पर अगली सुनवाई के दौरान निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाएगा और पूर्ण न्याय करेगा। ओवैसी ने कहा था कि जब वाराणसी की अदालत ने नमाजियों की संख्या 20 तक सीमित करने और शिवलिंग पाए जाने के स्थान की सुरक्षा का आदेश दिया, तो उनकी राय में उस समय गंभीर प्रक्रियात्मक अन्याय हुआ। उन्होंने कहा कि उन्होंने नमाजियों को ज्ञानवापी मस्जिद में जाकर इबादत करने की इजाजत दी है। इससे पहले निचली अदालत के आदेश ने इसे 20 लोगों तक सीमित कर दिया था। इसलिए हमें उम्मीद है कि सुनवाई की अगली तारीख पर सुप्रीम कोर्ट पूर्ण न्याय करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वाराणसी के जिलाधिकारी को ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के अंदर उस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। जहां सर्वे के दौरान शिवलिंग मिलने की बात कही गई है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को वहां नमाज अदा करने और धार्मिक रस्म निभाने की अनुमति दे दी।
 

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