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पूर्वी लद्दाख में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी, गतिरोध वाले जगहों का भारत-चीन ने किया भौतिक सत्यापन 

Updated Sep 13, 2022 | 14:59 IST

Disengagement process in Eastern Ladakh sector : समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से कहा कि पीछे हटने के साथ ही दोनों पक्षों ने एक दूसरे के स्थानों का भौतिक रूप से सत्यापन भी किया। दोनों पक्षों ने यह देखा कि जिन जगहों को लेकर गतिरोध बना हुआ था, उन स्थानों से सैनिक पीछे हटे हैं कि नहीं।   

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
गलवान घाटी की घटना के बाद से भारत-चीन के रिश्तों में आया तनाव। -प्रतीकात्मक तस्वीर
मुख्य बातें
  • 16वें दौर की बातचीत में सैनिकों को पीछे हटाने पर बनी सहमति
  • पूर्वी लद्दाख के गोगरा हाइट्स, हॉट स्प्रिंग एवं पीपी-15 से पीछे हटे सैनिक
  • मई 2020 की गलवान घाटी की घटना के बाद दोनों देशों के रिश्ते खराब हो गए थे

LAC News : सीमा पर गतिरोध वाले जगहों से पीछे हटने पर सहमत हुए भारत और चीन मंगलवार को इस दिशा में अंतिम एवं निर्णायक कदम उठाया। सरकारी सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख के जिन जगहों (पेट्रोलिंग प्वाइंट -15 (PP-15), गोगरा हाइट्स एवं हॉट स्प्रिंग) को लेकर गतिरोध बना हुआ था, उन जगहों से दोनों देशों के सैनिक पीछे आ गए हैं। दूसरे शब्दों में इन स्थानों से पीछे  हटने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से कहा कि पीछे हटने के साथ ही दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के स्थानों का भौतिक रूप से सत्यापन भी किया। दोनों पक्षों ने यह देखा कि जिन जगहों को लेकर गतिरोध बना हुआ था, उन स्थानों से सैनिक पीछे हटे हैं कि नहीं।

मई 2020 के बाद चौथी बार पीछे हटे दोनों देशों के सैनिक 
पूर्वी लद्दाख से दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया सोमवार से शुरू हुई। रिपोर्टों की मानें तो दोनों देशों के सैनिकों ने अपने अस्थाई ढांचे को वहां से हटा लिया। बताया जा रहा है कि मई 2020 के बाद यह चौथी बार है जब दोनों देशों के सैनिक गतिरोध वाले स्थानों से पीछे हटे हैं। 

दो से चार किलोमीटर के इलाका हो सकता है बफर जोन
भारत और चीन दोनों ने पिछले सप्ताह यह कहा कि वे पीपी-15 से अपने सैनिकों को पीछे हटाने जा रहे हैं। रिपोर्टों की मानें तो इस जगह के दो से चार किलोमीटर के दायरे को बफर जोन बनाया जा सकता है। हालांकि, इस बारे में अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। इन गतिरोध वाले जगहों से सैनिकों को पीछे हटाने के लिए भारत शुरुआत से ही चीन पर दबाव बनाया हुआ था। विदेश मंत्री एस जयशंकर कई बार कह चुके थे कि सीमा पर जब तक शांति नहीं होगी तब तक दोनों देशों के रिश्ते पहले की तरह सामान्य नहीं हो सकते। 

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16वें दौर की बातचीत में बनी सहमति 
मई 2020 की गलवान घाटी की घटना के बाद भारत और चीन के बीच रिश्ते नाजुक दौर में पहुंच गए। सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों का भारी जमावड़ा हो गया। नौबत टकराव तक पहुंच गई। हालांकि, तनावपूर्ण माहौल के बावजूद दोनों देशों ने कूटनीतिक स्तर पर एवं सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत जारी रखा। बातचीत का नतीजा भी सामने आया। दोनों देशों के बीच 16वें दौर की बातचीत में पूर्वी लद्दाख के बाकी गतिरोध वाले स्थलों से सैनिक पीछे हटाने पर सहमति बनी।    

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