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Bihar OBC Census:तेजस्वी यादव का ऐलान- बिना ओबीसी गणना के बिहार में 'जनगणना' नहीं होने देंगे

Updated May 04, 2022 | 22:09 IST

Tejashwi yadav on OBC census: तेजस्वी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में एक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे जिसने पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी ताकि जातिगत जनगणना की मांग को लेकर केंद्र पर दबाव बनाया जा सके।

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बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव

पटना: राजद नेता तेजस्वी यादव ( Tejashwi yadav)ने बुधवार को कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जातियों के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग (obc) की गणना के बिना बिहार में कोई जनगणना नहीं होने देंगे। उन्होंने इसके साथ ही भाजपा पर सामाजिक न्याय विरोधी पार्टी होने का आरोप लगाया।केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय जो स्वयं ओबीसी समुदाय से आते हैं, ने संसद में दिए गए एक लिखित बयान कहा है कि सरकार दलितों और आदिवासियों के अलावा अन्य सामाजिक समूहों की गिनती नहीं कराएगी।

तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा, 'भाजपा घोर सामाजिक न्याय विरोधी पार्टी है। बिहार विधानसभा से जातिगत जनगणना कराने का हमारा प्रस्ताव दो बार सर्वसम्मति से पारित हो चुका है।लेकिन भाजपा और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री राय ने लिखित में जातिगत जनगणना कराने से मना कर दिया है। बिना इसके बिहार में कोई जनगणना नहीं होने देंगे।'


बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी का भी विचार था कि यदि केंद्र सहमत नहीं होता है तो राज्य सरकार को अपने संसाधनों से उक्त कवायद पर विचार करना चाहिए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सैद्धांतिक रूप से इस राज्य विशेष कवायद पर सहमत हो गए हैं। लेकिन इसके तौर-तरीकों पर चर्चा करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक में भाग लेने की भाजपा की कथित अनिच्छा से यह मामला अधर में लटका हुआ है।

जाति जनगणना पर केंद्र की ना, तेजस्वी यादव ने 33 नेताओं से मांगा समर्थन

बाद में तेजस्वी ने नीतीश पर मामले में अपने पैर पीछे खींचने का आरोप लगाते हुए सवाल किया था कि राज्य विधानसभा में भाजपा सदस्यों के समर्थन सहित सर्वसम्मति से दो बार प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद भी एक और बैठक की आवश्यकता कहां थी।

OBC आरक्षण नीतीश और लालू प्रसाद जैसे राजनीतिक नेता के लिए अहम मुद्दा 

ओबीसी आरक्षण नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद जैसे राजनीतिक नेता के लिए अहम मुद्दा है जो मंडल युग में हुए सामाजिक आंदोलन से उभरे हैं। उनका तर्क है कि पिछली बार 1921 में जाति जनगणना हुई थी और एक नई कवायद से विभिन्न सामाजिक समूहों की वर्तमान आबादी का पता लगाया जा सकता है और उनके लिए बेहतर तरीके से नीतियों का निर्माण किया जा सकता है।इस बीच, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और पार्टी के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने सामाजिक न्याय के प्रति अपनी पार्टी के व्यावहारिक दृष्टिकोण को एक बयान के जरिए रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह नरेंद्र मोदी सरकार के कई 'ऐतिहासिक' फैसलों में परिलक्षित हुआ है।

'जातिगत जनगणना के नाम पर 5,500 करोड़ रुपये का घोटाला किया'

आनंद ने कहा कि ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देना, 27 ओबीसी मंत्रियों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करना, नीट में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस को आरक्षण देना, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय, सैनिक स्कूलों में ओबीसी आरक्षण देना सामाजिक न्याय के मोर्चे पर मोदी सरकार द्वारा किए गए 'शानदार' काम हैं।उन्होंने कहा कि भाजपा का दृष्टिकोण सामाजिक न्याय के प्रति बहुत व्यवहारिक है।आनंद ने आरोप लगाया कि वर्ष पूर्ववर्ती संप्रग सरकार जिसका राजद हिस्सा थी ने जातिगत जनगणना के नाम पर 5,500 करोड़ रुपये का घोटाला किया।

'जनगणना अधिनियम के तहत जनगणना की जाती है'

उन्होंने कहा कि आमतौर पर जनगणना अधिनियम के तहत जनगणना की जाती है, हैरानी की बात यह है कि संप्रग सरकार ने नियमित जनगणना के साथ जातिगत जनगणना नहीं कराया बल्कि जनगणना अधिनियम का उल्लंघन करते हुए अलग से अपनी पसंद की निजी एजेंसियों और गैर सरकारी संगठनों द्वारा जाति जनगणना करवाई जिसपर जनता की गाढ़ी कमाई के 5500 करोड़ रुपये बर्बाद किए गए। आनंद ने कांग्रेस पर जातिगत जनगणना के नाम पर 'धोखाधड़ी' करने का आरोप लगाया।

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