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पंजाब निकाय चुनावों में क्या कृषि कानून BJP पर पड़े भारी! कृषि मंत्री तोमर ने बताई हार की वजह 

BJP 's loss in Punjab local body Polls, Tomar says No link to farm stir
Updated Feb 19, 2021 | 08:15 IST

कांग्रेस इसे अपने लिए एक सकारात्मक संकेत मान रही है। जबकि विपक्ष के लिए चुनौती बड़ी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कहना है कि इन चुनाव नतीजों को किसान आंदोलन से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।

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BJP 's loss in Punjab local body Polls, Tomar says No link to farm stir BJP 's loss in Punjab local body Polls, Tomar says No link to farm stir
तस्वीर साभार:&nbspPTI
पंजाब निकाय चुनाव में कृषि मंत्री तोमर ने बताई भाजपा की हार की वजह।
मुख्य बातें
  • पंजाब स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस ने इस बार शानदार प्रदर्शन किया
  • विपक्षी दलों का सूपड़ा साफ, कांग्रेस की नजर अब विधानसभा चुनाव पर
  • कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पंजाब में भाजपा कमजोर रही है

नई दिल्ली : पंजाब में स्थानीय निकाय चुनाव में  कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया है। इन चुनावों में कांग्रेस ने एक तरह से विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया। राज्य के सात नगर निगमों में उसका कबजा हो गया है। वार्ड, नगर परिषद और नगर निगम सभी में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहा है। इन नतीजों ने कांग्रेस में उत्साह एवं जोश भरा है। खास बात यह है कि ये चुनाव ऐसे समय हुए हैं जब राज्य के किसान तीन नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। यही नहीं, राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में ये नतीजे ज्यादा महत्वपूर्ण माने जा रहा हैं। 

अपने लिए सकारात्मक संकेत मान रही कांग्रेस
कांग्रेस इसे अपने लिए एक सकारात्मक संकेत मान रही है। जबकि विपक्ष के लिए चुनौती बड़ी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कहना है कि इन चुनाव नतीजों को किसान आंदोलन से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि राज्य में भाजपा कमजोर रही है और वह शिअद के साथ मिलकर चुनाव लड़ती रही है। इस बार पार्टी ने अलग होकर चुनाव लड़ा जिसकी वजह से उसे नुकसान हुआ। तोमर ने गुरुवार को कहा, 'पंजाब के निकाय चुनाव के परिणामों को किसान आंदोलन से जोड़ना उचित नहीं होगा। हम पंजाब में कमजोर थे और हम अकाली दल के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ते आए हैं। इस बार हमने अलग होकर चुनाव लड़ा और हमें नुकसान उठाना पड़ा।'

शिअद से अलग होकर भाजपा ने लड़ा चुनाव
इस चुनाव में भाजपा को मिली हार को सीधे तौर पर किसान आंदोलन से जोड़कर देखा जा रहा है। तीन नए कृषि कानूनों की खिलाफत का पंजाब गढ़ है। यहां भाजपा का कभी दबदबा नहीं रहा है। लेकिन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में किसानों की भावनाओं को शिअद ने समझा और वह केंद्र की एनडीए सरकार से अलग हो गई। शिअद की तरफ से हरसिमरत कौर बादल केंद्र में मंत्री थी लेकिन गत सितंबर में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 

पठानकोट और गुरदासपुर में भी भाजपा की हुई हार
इस स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा को राज्य के उस क्षेत्र में भी हार का सामना करना पड़ा जहां उसकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। पठानकोट को भगवा पार्टी का गढ़ माना जाता है लेकिन पार्टी को यहां भी नुकसान उठाना पड़ा है। पंजाब से भाजपा के तीन सांसद-दो लोकसभा से और एक राज्य सभा के लिए आते हैं। भाजपा नेता सोम प्रकाश होशियारपुर से सांसद हैं जबकि अभिनेता सनी देओल गुरदासपुर से चुनकर आए हैं। इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। 

कांग्रेस की नजर अब विस चुनाव पर
इस बड़ी जीत के बाद कांग्रेस की नजर प्रदेश में विधानसभा चुनाव पर भी है। निकाय चुनावों में कांग्रेस की जीत से उत्साहित पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि लोगों ने विपक्ष की 'नकारात्मक राजनीति' को खारिज किया और सत्ताधारी दल के विकासवादी एजेंडे का समर्थन किया। उन्होंने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में लोगों से मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को एक और मौका देने की अपील की।   

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