पटना: हाल ही में ब्राह्मणों के लिए अपशब्दों का उपयोग कर विवाद पैदा करने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को ब्राह्मण समुदाय की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष मांझी ने शनिवार को भुइयां-मुसहर समुदाय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पंडितों (ब्राह्मण समुदाय के पूजा-पाठ कराने वालों) के लिए अपशब्दों का उपयोग करते हुए कहा था, 'आज कल हमारे गरीब तबके में धर्म की परायणता ज्यादा आ रही है। सत्य नारायण पूजा का नाम हम नहीं जानते थे लेकिन अब हम लोगों के हर टोले में यह पूजा हो रही है। पंडित आते हैं और कहते हैं कि हम खाएंगे नहीं, हमको नगद ही दे दीजिए।'
हालांकि मांझी ने बाद में अपनी टिप्पणी के बारे में कहा था, 'अगर उन्हें (ब्राह्मण समाज) मेरी बातों से ठेस पहुंची है तो मैं माफी मांगता हूं।' वहीं, मांझी के उक्त बयान के बाद मधुबनी जिले के भाजपा नेता गजेंद्र झा द्वारा उनकी (मांझी) जीभ काटने वाले को 11 लाख रुपये इनाम की घोषणा किए जाने पर भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है। बयान को लेकर ब्राह्मण समुदाय की बढती नाराजगी के बीच मांझी ने कई बार अपना रुख बदला और शुरू में दावा किया था कि उन्होंने अपने मुसहर समुदाय को चेतावनी देने के लिए 'हरामी' शब्द का इस्तेमाल किया था और यह ब्राह्मणों के खिलाफ निर्देशित नहीं था।
मांझी ने फिर करवट लेते हुए कहा कि वह अपनी उक्त टिप्पणी पर कायम हैं
अपना बयान मुसहर समुदाय को लेकर देने की सफाई पर अपने दलित भाइयों के नाराज़ होने की संभावना के मद्देनजर मांझी ने फिर करवट लेते हुए कहा कि वह अपनी उक्त टिप्पणी पर कायम हैं, उन्होंने पुरोहितवाद की निंदा करके भीम राव आंबेडकर के नक्शे-कदम पर चलने की कोशिश की है।अपने नवीनतम बयान में मांझी ने इस पूरे मामले को कमतर आकने का प्रयास करते हुए कहा कि उनका अपशब्द वास्तव में जो शराब पीते हैं, मांस-मछली खाते हैं और जिन्हें पढ़ने लिखने नहीं आता, उनके लिए था।
मांझी ने पूर्व में ट्वीट कर कहा था, 'ब्राह्मण भाइयों को लेकर मेरे विडियो के उतने ही अंश को वॉयरल किया जा रहा है जिससे विवाद उत्पन्न हो, सत्यता जानने के लिए उसे पूरा सुनने की आवश्यकता है।' उन्होंने कहा, 'मेरे दिल में समाज के हर तबके के लिए उतनी ही इज्जत है जितना मैं अपने परिवार का करता हूं।'मांझी ने कहा, 'काश दलितों को पीटे जाने पर, उठक-बैठक कराए जाने पर, दलितों की हत्या किए जाने जैसे मामलों पर भी ऐसी ही राजनीतिक बयानबाजी होती।'
उन्होंने कहा, 'दलितों को अपमानित किए जाने के मामलों पर सभी तथाकथित राजनेताओं, कार्यकर्ताओं की घिघ्घी बंध जाती है पर झूठे वॉयरल विडियो पर सब एक साथ बिल से बाहर निकल जाते हैं।' मांझी ने कहा, 'पंडितों के खिलाफ बोले गए मेरे शब्द 'स्लिप ऑफ टंग' हो सकता है जिसके लिए मैं खेद प्रकट करता हूं। वैसे मैं ब्राह्मण नहीं ब्राह्मणवाद के खिलाफ हूं। ब्राह्मणवाद दलितों से नफरत करता है। दलितों को अछूत बताता है। गले में हंडिया, कमर में झाडू, पैर में घूंघरू बंधवाया है। इनका विरोध जारी रहेगा।'