- कोविड पॉजिटिव CRPF कमांडेंट चेतन चीता की हालत नाजुक
- झज्जर स्थित एम्स में चल रहा है चेतन चीता का इलाज
- 2017 में आतंकियों की 9 गोली लगने के बाद, चीता ने दी थी मौत को मात
नई दिल्ली: शांति काल में बहादुरी के दूसरे सबसे बड़े सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कमांडेंट चेतन चीता (Chetan Cheetah) की हालत नाजुक बनी हुई हैं। कोविड के बाद चेतन चीता का हरियाणा के झज्जर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS)में इलाज चल रहा है। कोविड पॉजिटिव होने और ऑक्सीजन लेवल कम होने के बाद चीता के 9 मई को एम्स में लाया गया था। चीता इस समय आईसीयू में वेंटिलेर पर हैं।
वेंटिलेटर पर हैं चीता
एम्स द्वारा संचालित हरियाणा के झज्जर के राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (NCI) में कोविड सेवाओं की अध्यक्ष डॉ सुषमा भटनागर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि अगले 48 घंटे महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बताया, 'वह इस समय वेंटिलेटर पर है। एंटी-वायरल थेरेपी के अलावा, हम बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स का प्रबंध कर रहे हैं। इसके अलावा, उन्हें ब्लड प्रेशर की दिक्कत हैं जिसकी दवाइयां चलती हैं।'
रविवार को अचानक बिगड़ी तबीयत
बाद में भारत सरकार ने उन्हें शांतिकाल के दूसरे सर्वोच्च वीरता पदक कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। "वह एक लड़ाकू है। एनसीआई झज्जर में तैनात एक डॉक्टर ने कहा हमें उम्मीद है कि वह फिर से गंभीर अवस्था से उबरेंगे और जल्द ठीक होंगे। कोविड पॉजिटिव होने के बाद शुरुआत में उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर आईसीयू में रखा गया था। डॉक्टरों ने कहा कि एंटी-वायरल थेरेपी से उनकी हालत में सुधार हुआ है, लेकिन रविवार को अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। डॉक्टरों में से एक ने कहा, हम हर संभव कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।
कई गोलियां लगने के बाद भी दी थी तब मौत को मात
चेतन कुमार चीता की बहादुरी के कारनामे कौन नहीं जानता है। चेतन चीता के शरीर में 14 फरवरी 2017 को आतंकियों से लड़ते वक्त 9 गोलियां लगी थीं उसके बाद भी वे उनसे लड़ते रहे थे और उनकी टुकड़ी ने तीन आतंकियों को मार गिराया था। इस दौरान आतंकवादियों से लड़ते हुए उनके मस्तिष्क, दाहिनी आंख, पेट, दोनों हाथ, बाएं हाथ और में कई गोलियां लगी थीं। तब चीता कश्मीर घाटी में सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) थे। गंभीर रूप से घायल होने के बाद में उन्हें श्रीनगर के अस्पताल में भर्ती कराया गया बाद में उन्हें एम्स में शिफ्ट किया गया। जिसके बाद वो करीब तीन महीने तक कोमा में रहे थे लेकिन बाद में ठीक घर लौटे और बाद में ड्यूटी भी ज्वॉईन की।