- एम्स निदेशक रणदीप गुलेरिया ने स्कूलों को फिर से खोले जाने की वकालत की है
- उनका कहना है कि जहां पॉजिटिविटी रेट 5 फीसदी से कम है, वहां स्कूलों को फिर से खोलने पर विचार करना चाहिए
- उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों में इम्युनिटी वयस्कों के मुकाबले बेहतर है
नई दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ा है। स्कूल बीते साल मार्च से ही बंद हैं। बीते साल नवंबर में कई राज्यो में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में कमी के बीच नौवीं से 12वीं कक्षा के स्कूलों को खोला गया था, लेकिन इस साल मार्च में संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी के बीच एक बार फिर स्कूलों को बंद करना पड़ा। अब एक बार फिर संक्रमण के मामलों में कमी को देखते हुए कई राज्यों में 10वीं से 12वीं की कक्षाओं के लिए स्कूल खोलने की अनुमति दी गई है, लेकिन प्राथमिक स्कूलों को लेकर अब भी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
इस बीच एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि देश को एक बार फिर से स्कूलों को खोलने पर विचार करना चाहिए। उनका यह भी कहना है कि बच्चों की इम्युनिटी बेहतर है और वे बड़ों के मुकाबले अधिक बेहतर तरीके से वायरस के संक्रमण से उबरने में सक्षम हैं। फिर कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान भी बच्चों में बड़ों के मुकाबले संक्रमण कम देखा गया। जो बच्चे इस संक्रामक रोग की चपेट में आए, वे जल्द ठीक भी हुए। सीरो सर्वे में भी बच्चों में मौजूद एंटीबॉडी को वयस्कों के मुकाबले बेहतर पाया गया, इसलिए स्कूल खोले जा सकते हैं।
'ऑनलाइन एजुकेशन से बेहतर स्कूली पढ़ाई'
डॉ. गुलेरिया ने यह भी स्पष्ट किया कि देश के उन जिलों में स्कूल खोले जाने पर विचार किया जा सकता है, जहां कोरोना वायरस संक्रमण के मामले कम हुए हैं। जहां पॉजिटिविटी रेट 5 प्रतिशत से कम है, वहां स्कूल खोलने की योजना बनाई जा सकती है। 'इंडियो टुडे' को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अगर फिर से संक्रमण फैलने के संकेत मिलते हैं तो स्कूलों को तुरंत बंद किया जा सकता है। बच्चों को 50 प्रतिशत क्षमता के साथ स्कूल बुलाया जा सकता है। स्कूलों को खोलने के अन्य तरीकों पर भी विचार किया जा सकता है और इस दिशा में योजना बनाई जानी चाहिए।
स्कूल बंद होने के दौरान इंटरनेट से होने वाली पढ़ाई को बच्चों के लिए बहुत उपयोगी न मानते हुए डॉ. गुलेरिया ने यह भी कहा कि यह पढ़ाई न तो आसान है और न ही सभी बच्चों के लिए ऑनलाइन एजुकेशन आसान पहुंच वाला है। बच्चों के समग्र विकास के लिए स्कूली शिक्षा का अपना अलग महत्व है, जिसकी जगह ऑनलाइन एजुकेशन नहीं ले सकती। उन्होंने बच्चों के लिए कोवैक्सिन के क्लीनिकल ट्रायल के शुरुआती आंकड़ों को 'अच्छा बताते हुए उम्मीद जताई कि बच्चों को कोविड-19 का टीका लगवाने के लिए वैक्सीन सितंबर तक भारत में उपलब्ध हो जाएगी।