- मानव सभ्यता के समक्ष कोविड-19 ने एक बड़ी चुनौती पेश की है
- इस संकट का दूरगामी असर पड़ना तय माना जा रहा है
- गत दिसंबर में इस बीमारी की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई
मानव सभ्यता के समक्ष कोविड-19 ने एक बड़ी चुनौती पेश की है। दुनिया का शायद ही ऐसा कोई देश है जो इसके प्रकोप से बचा हो। चारों तरफ कोविड-19 का खतरा महसूस किया जा रहा है। हर एक देश अपनी पूरी ताकत से इस संकट का मुकाबला कर रहा है लेकिन इस महामारी के कहर के आगे दुनिया बेबस और लाचार नजर आ रही है। इस अदृश्य दुश्मन ने दुनिया की बड़ी-बड़ी ताकतों को घुटने के बल ला दिया है। अर्थव्यवस्थाएं कराह रही हैं। कोविड-19 के प्रकोप से पूरी तरह उबरने में कितना समय लगेगा इसके बारे में अभी फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। इस संकट का दूरगामी असर पड़ना तय माना जा रहा है।
गत दिसंबर में इस बीमारी की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई। इस बीमार के फैलाने के पीछे वैसे तो कई तरह की बातें सामने आई हैं। एक बात जो मोटे तौर पर मानी गई है कि वह यह कि वुहान शहर के कुछ लोग वहां के स्थानीय मीट मार्केट गए थे और इन लोगों में इस बीमारी के शुरुआती लक्षण सामने आए। इस शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस से संक्रमण ने धीरे-धीरे हुबोई प्रांत को अपनी चपेट में ले लिया। रिपोर्टों की मानें तो इस रहस्यमय बीमारी के खिलाफ डॉक्टरों सहित स्थानीय लोगों ने चीन सरकार को आगाह किया लेकिन अब यह बात सामने आ रही है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और इसे महामारी बनने दिया।
अमेरिका सहित कई चिकित्सा विशेषज्ञों ने आरोप लगाया है कि चीन ने इस महामारी की भयावहता के खिलाफ समय रहते दुनिया के देशों को आगाह नहीं किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर तथ्य छिपाने के आरोप लगाए हैं। ट्रंप ने धमकी दी है कि यह बात अगर साबित हुई कि वायरस की उत्पति अगर वुहान के सैन्य अस्पताल में हुई तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। चीन की मंशा पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि ऐसे कई लोग जिन्होंने इस बीमारी की सच्चाई बाहर लाने की कोशिश की लेकि अब वे लापता हैं। एक डॉक्टर जिसने पहली बार चीन की सरकार को आगाह किया उनकी मौत हो गई। इसके बाद सोशल मीडिया पर कोविड-19 से निपटने में चीन सरकार की भूमिका पर सवाल उठाने वाले लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वे लापता बताए जा रहे हैं।
सवाल उठता है कि कोविड-19 पर चीन सरकार की नीतियों एवं इससे निपटने के लिए उठाए गए कदमों की आलोचना करने वाले लोगों को चुप क्यों करा दिया गया। वे लोग अभी कहां हैं। उनके बारे में चीन की सरकार से सवाल क्यों नहीं पूछा जा रहा है? डेली मेल की एक रिपोर्ट में ऐसे लोगों के बारे में जानकारी दी गई है जिन्होंने कोविड-19 के फैलाव के बारे में जानकारी दी थी और चीन की सरकार पर सवाल उठाए थे। इन्हीं में से एक हैं फैंग बिन। बिन पेशे से कारोबारी हैं। बताया जाता है कि फिंग ने वायरस से संक्रमित व्यक्तियों के दम तोड़ते हुए वीडियो बनाया था लेकिन अब इनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है।
इस रिपोर्ट में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि मिस्टर फेंग, उनके वकील चेन किउसी और पूर्व टीवी रिपोर्टर ली जेहुआ को प्रताड़ित कर उनसे जबरन सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कराया जा रहा है। साथ ही कोविड-19 पर सरकार का साथ नहीं देने वाले वकीलों एवं एक्टिविस्ट्स को देश विरोधी बताया जा रहा है। कई लोगों का कहना है कि ऐसे लोगों को चीन की सरकार ने डिटेंशन सेंटर में रख दिया है। हालांकि, चीन की सरकार का कहना है कि उसे गुमशुदा लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।