नई दिल्ली : भारत सहित दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव को लेकर टीकाकरण अभियान जारी है। भारत में यह 16 जनवरी से शुरू किया गया, जिसमें पहले चरण के तहत स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को प्राथमिकता दी गई। दूसरे चरण के तहत 60 साल से अधिक की उम्र के लोगों और 45 साल से अधिक की उम्र के उन लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है, जो पहले से किसी तरह की बीमारी से ग्रस्त हैं।
कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए टीकाकरण के दूसरे चरण के तहत ही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी टीका लियाा। इन सबके बीच लोगों की जेहन में लगातार सवाल आ रहा है कि आखिर बच्चों के टीकाकरण की प्रक्रिया कब शुरू होगी? यहां जान लेने की जरूरत है कि दुनिया के किसी भी देश में अभी बच्चों के टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।
बच्चे बन सकते हैं वायरस के वाहक
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण बच्चों को भले गंभीर रूप से प्रभावित न करें, लेकिन वे संक्रमण के वाहक हो सकते हैं और बुजुर्गों और बड़ों में तेजी से इस बीमारी को पहुंचा सकते हैं। ऐसे में विशेषज्ञ बच्चों के टीकाकरण को भी अहम मानते हैं, जिन्हें फिलहाल वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है। बच्चों पर टीकों का असर क्या होता है, इसके लिए ट्रायल जल्द शुरू होने की संभावना है।
ब्रिटेन, अमेरिका में बच्चों पर ट्रायल
बच्चों पर कोरोना वैक्सीन के ट्रायल की प्रक्रिया ब्रिटेन में शुरू हो चुकी है, जहां ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल में 6-17 साल के बच्चों को शामिल किया जा रहा है। इससे पता चल सकेगा कि जो वैक्सीन बड़ों की दी जा रही है, वह बच्चों व किशोरों पर कितनी सुरक्षित व असरदार होगी? इस ट्रायल के तहत उन्हें वैक्सीन की दो खुराक दी जाएगी।
अमेरिका में भी फाइजर और मॉर्डना द्वारा विकसित वैक्सीन का ट्रायल किशोरों पर किया जा रहा है। यहां 12 साल तक के बच्चों पर वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल किया जा रहा है, जिसके नतीजे इस साल के मध्य तक सामने आने की उम्मीद है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले महीनों में छोटे बच्चों पर भी ट्रायल शुरू होगा। भारत में अभी बच्चों पर ट्रायल शुरू नहीं किया गया है।
भारत में क्या है स्थिति?
इसकी एक बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि बच्चों का इम्यून सिस्टम बड़ों के मुकाबले काफी अलग होता है। ऐसे में उन पर किसी भी तरह का क्लिनिकल ट्रायल शुरू किए जाने से पहले इसकी पुष्टि जरूरी है कि वैक्सीन उनके लिए कितनी सुरक्षित है और इसका क्या असर उन पर होता है। अमेरिका और ब्रिटेन में किशोरों पर हो रहे वैक्सीन ट्रायल के नतीजों के बाद भारत में भी इस संबंध में फैसले लिए जाने का अनुमान है।