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टिकरी बॉर्डर पर खुला किसान मॉल, मुफ्त में दिया जा रहा है जरूरत का सामान

Updated Dec 25, 2020 | 07:39 IST

नए कृषि कानूनों के विरोध में पिछले करीब एक महीने से किसानों का आंदोलन चल रहा है। दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर अब किसानों को जरूरत का सामान उपलब्ध कराने के लिए 'किसान मॉल' खुल गया है।

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टिकरी बॉर्डर पर खुला किसान मॉल, मुफ्त में मिल रहा है सामान
मुख्य बातें
  • नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है
  • दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों के लिए खुला मॉल
  • इस मॉल में जरूरत का सामान किसानों को दिया जा रहा मुफ्त

नई दिल्ली: कृषि कानूनों को वापस करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमाए किसानों का आंदोलन दिन प्रतिदिन तेज होते जा रहा है। आंदोलन को करीब एक महीना हो गया है और किसान कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बीच भी किसानों का हौंसला कम नहीं हुआ है। इस बीच किसानों की जरूरत के सामान की दिक्कतों को दूर करने के लिए टिकरी बॉर्डर पर एक किसान मॉल खुल गया है।

मिल रहा है मुफ्त सामान
इस मॉल में किसानों को डेली यूज का सामान मुफ्त मुहैया कराया जा रहा है। खालसा ऐड द्वारा स्थापित किए इस मॉल में किसानों को साबुन, वॉशिंग पाउडर, थर्मल्स और मफलर, स्लीपर, हेयर ऑयल, टूथपेस्ट, सुई धागे से लेकर कम्बल और रजाई तक का सामान मुफ्त में दिया जा रहा है। इस मॉल के मैनेजर गुरुचरण सिंह ने कहा, 'हम किसानों को टोकन दे रहे हैं जहां वो अपनी जरूरत का सामान ले सकते हैं।'

किसानों ने कही ये बात

आपको बता दें कि सरकार लगातार किसानों को बातचीत की पेशकश कर रही है। वहीं आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने आरोप लगाया कि वार्ता के लिए सरकार का नया पत्र कुछ और नहीं, बल्कि किसानों के बारे में एक दुष्प्रचार है ताकि यह प्रदर्शित किया जा सके कि वे बातचीत को इच्छुक नहीं हैं। साथ ही, किसान संगठनों ने सरकार से वार्ता बहाल करने के लिए एजेंडे में तीन नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने को भी शामिल करने को कहा। किसान संगठनों ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग से अलग नहीं किया जा सकता है।

इससे पहले आज कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के नेताओं को पत्र लिखकर उन्हें वार्ता के लिए फिर से आमंत्रित किया, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित किसी भी नयी मांग को एजेंडे में शामिल करना ‘‘तार्किक’’ नहीं होगा क्योंकि नए कृषि कानूनों से इसका कोई संबंध नहीं है।

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