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अहीर रेजीमेंट बनाने की फिर उठने लगी मांग, रेजांग ला लड़ाई से क्या है कनेक्शन

Updated Mar 24, 2022 | 11:08 IST

अहीर रेजीमेंट की मांग एक बार फिर उठ रही है। इसे लेकर गुरुग्राम में मोर्चा भी निकाला गया था। यूनाइटेड अहीर रेजीमेंट मोर्चा ने अपनी मांग के समर्थन में रेजांग ला की लड़ाई याद दिलाया है।

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अहीर रेजीमेंट बनाने की फिर उठने लगी मांग, रेजांग ला लड़ाई से क्या है कनेक्शन (सौजन्य: wikimedia)
मुख्य बातें
  • रेजांग ला की लड़ाई में अहीर रेजीमेंट ने निभाई थी खास भूमिका
  • पूर्ण इंफ्रैंट्री रेजीमेंट बनाए जाने की मांग
  • यूनाइटेड अहीर रेजीमेंट ने सिख, मराठा रेजीमेंट की दी दलील

एक बार अहीर रेजीमेंट बनाए जाने की मांग तेज हो गई है। बुधवार को गुरुग्राम में मार्च भी निकाला गया था। मार्च में शामिल लोगों का कहना है कि जब सेना में जाट, राजपूत और मराठा रेजीमेंट हो सकते हैं तो अहीर रेजीमेंट क्यों नहीं। अहीर रेजीमेंट के समर्थकों का कहना है कि आखिर हम 1962 की रेजांग ला की लड़ाई को क्यों भूल जाते हैं। समर्थकों का कहना है कि कुमाऊं रेजीमेंट में पहले अहीर सैनिक खासतौर से हरियाणा के हुआ करते थे उन्हें अहीर रेजीमेंट के नाम से जाना भी जाता था। जब यह व्यवस्था पहले से मौजूद थी तो पूर्ण इंफैंट्री रेजीमेंट का दर्जा देने में क्या परेशानी है। बता दें कि बुधवार को यूनाइटेड अहीर रेजीमेंट मोर्चा ने गुरुग्राम में प्रदर्शन किया था और उसकी वजह से करीब 6 किमी तक यातायात पर भी असर पड़ा था। 

हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र से रेजांग ला का संबंध

  1. हरियाणा के दक्षिणी जिलों रेवाड़ी, गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ को आम तौर अहीरवाल क्षेत्र के तौर पर जाना जाता है। 
  2. राव तुलाराम से इस इलाके का संबंध रहा है, 1857 की आजादी की लड़ाई में उनका खासा योगदान था। 
  3. रेवाड़ी के रामपुरा रियासत से राव तुलारान का संबंध था। 
  4. 1962 में रेजांग ला की लड़ाई में यहां के वीर सपूतों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया जो कुमाऊं रेजीमेंट के हिस्सा थे। 
  5. रेजांग ला की लड़ाई में 117 अहीर सैनिकों की शौर्य की चर्चा आज भी होती है। 
  6. ये सभी सैनिक कुमाऊं रेजीमेंट की 13वीं बटालियन के हिस्सा थे।
  7. इनके शौर्य के आगे चीनी सैनिकों को झुकना पड़ा और रेजांग ला चौकी को बचाने में भारतीय सैनिक कामयाब रहे। 
  8. 120 सैनिकों ने चीन के 400 सैनिकों को मार गिराया था।
  9. 117 जवान शहीद हो गए थे जिसमें 114 अहीर थे
  10. तीन जवान जिंदा बचे थे। 

पूर्ण इंफैट्री का दर्जा देने की मांग
रेजांग ला की लड़ाई के बाद इस तरह की मांग उठने लगी कि जब सेना में जातीय या क्षेत्रीय आधार पर रेजीमेंट बनाए जा सकते हैं तो अहीर रेजीमेंट क्यों नहीं हो सकता है। इस संबंध में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत का कहना है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से इस विषय पर चर्चा हुई और वो आगे भी इस मांग के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद करते रहेंगे। 2012 में यह मांग जोर पकड़ी और अब इस मुद्दे को संसद में भी उठाया गया है। 15 मार्च को कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार से मांग की इस विषय पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। 

जाति या क्षेत्र के नाम पर सेना में कई रेजीमेंट
भारतीय सेना में जाति और क्षेत्र के नाम पर कई रेजीमेंट हैं। कुमाऊं, जाट, राजपूत जैसी रेजिमेंट में अहीर जवान  निश्चित संख्या में और मिश्रित श्रेणी में क्लास रेजिमेंट जैसे पैराशूट रेजिमेंट और इंजीनियर, सिग्नल, आर्टिलरी कोर में सभी जातियों के लोगों की भर्ती होती है। 

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