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हिजाब केस में एक बार फिर तुरंत सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, याचिकाकर्ताओं को लताड़ा

Updated Mar 24, 2022 | 11:48 IST

हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को लताड़ भी लगाई है।

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हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर तुरंत सुनवाई से किया इनकार, याचिकाकर्ताओं को लताड़ा
मुख्य बातें
  • हिजाब केस में तुरंत सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का एक बार फिर इनकार
  • अदालत ने याचिकाकर्ताओं को लगाई लताड़
  • सुनवाई के लिए याचिकाकर्ताओं ने परीक्षा शुरू होने का दिया था हवाला

हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए  याचिकाकर्ताओं को लताड़ भी लगाई है। अदालत से याचियों ने अपील की थी कि परीक्षाएं जल्द शुरू होने जा रही हैं, लिहाजा इस विषय पर सुनावई की जाए। लेकिन अदालत ने साफ कर दिया कि इस मामले की एग्जाम से क्या लेना देना है। चीफ जस्टिस ने कहा कि आप लोग इस विषय को सनसनीखेज ना बनाएं। बता दें कि इस विषय पर सुनवाई कब होगी उस संबंध में अदालत की तरफ से कोई खास तारीख भी मुकर्रर नहीं की गई है। 

इस्लाम का अभिन्न हिस्सा हिजाब नहीं हैं- कर्नाटक एचसी
हिजाब विवाद पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया था । मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने हिजाब को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं माना है। कोर्ट ने कहा कि हिजाब इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। पवित्र कुरान के मुताबिक मुस्लिम महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इससे सम्बंधित सूरा कहता है कि हिजाब न पहनने के लिए किसी तरह के दण्ड का प्रावधान नहीं है ऐसे में ये अनिवार्यता न होकर एक निर्देश भर है। सार्वजनिक स्थानों पर जाने के लिए हिजाब एक जरूरी कपड़ा जरूर है लेकिन ये एक धार्मिक बाध्यता नहीं है।

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तरक्की में बाधक है हिजाब
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था कि  हमारे देश के संविधान के निर्माता ने करीब 50 साल पहले परदा प्रथा को लेकर जो कहा था वही हिजाब, नकाब पर भी लागू हो सकता है। इस तरह की प्रथाएं किसी भी तबके के महिलाएं खासकर के मुस्लिम महिलाओं की तरक्की में बाधक है। साथ ही इस तरह की प्रथाएं हमारे संविधान द्वार धर्मनिरपेक्षता और जनभागीदारी के समान अवसरों की मूल भावना के खिलाफ है। कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि क्लासरूम में हिजाब न पहनकर आने का आदेश कहीं से भी लड़कियों की स्वतंत्रता और उनकी मर्जी के कपड़े पहनने की आजादी के खिलाफ नहीं है। क्लासरूम के बाहर वो अपनी मर्जी के कपड़े पहन सकती हैं।

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