- वायुसेना को है 114 मीडियम मल्टीरोल फाइटर जेट की जरूरत
- 36 राफेल के बाद 114 लड़ाकू विमानों के सौदे के लिए चर्चा
- सीडीएस बोले- इनकी जगह स्वदेशी 'तेजस' खरीदेंगे, वायुसेना अध्यक्ष ने कही कुछ और ही बात
नई दिल्ली: बीते सालों में एक बात लगातार बार बार सामने आती रही है कि भारतीय वायुसेना को तेजी से अपने लड़ाकू विमानों के बेड़े को बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि उसके पास दो मोर्चों पर संभावित युद्ध की संभावना से निपटने के लिए जरूरी 42 लड़ाकू स्क्वाड्रन में पहले से ही 10 कम यानी 32 स्क्वाड्रन उपलब्ध हैं और इनमें में भी बहुत सारे मिग 21 जैसे पुराने विमान मौजूद हैं जो लगातार रिटायर किए जा रहे हैं। ऐसे में स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस के अलावा 114 नए राफेल जैसे मीडियम मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट खरीदने की योजना थी, जिसे MMRCA 2.0 का नाम भी दिया जाता है। बीते दिनों भविष्य की ये संभावित योजना वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के बयानों के बाद चर्चा में आ गई।
दरअसल वजह इसे लेकर भारतीय वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के बयान हैं। सीडीएस बिपिन रावत ने कहा था कि अब स्वदेशी हथियारों की खरीद पर ज्यादा जोर दिया जाएगा और ऐसे में मीडिएम मल्टीरोल एयरक्राफ्ट विदेश से खरीदने की जगह 'तेजस' जैसे स्वदेशी विकल्पों को और ज्यादा संख्या में खरीदा जाएगा।
इसके कुछ दिन बाद वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने बयान देते हुए भविष्य के वायुसेना के भविष्य पर बात करते हुए 450 से ज्यादा विमानों को अपने बेडे़ में शामिल करने की बात की। जिसमें उन्होंने फ्रांस से डील के तहत खरीदे गए 36 राफेल, 83 तेजस मार्क 1ए स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान, 200 तेजस मार्क 2 विमान, 100 स्वदेशी एएमसीए 5वीं पीढ़ी के विमान के साथ 114 मीडियम मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट को भी शामिल किया। साल 2050 तक वायुसेना के प्लान के बारे में बात करते हुए उन्होंने यह बात कही।
बयान में अंतर से असमंजस:
अब मीडिया सहित तमाम रक्षा विशेषज्ञों के मन में दो बयानों के इस अंतर से असमंजस और हैरानी की स्थिति उत्पन्न हो गई है और अटकलें लग रही हैं कि क्या सीडीएस ने विमानों पर बयान देने से पहले वायुसेना प्रमुख से इस बारे में बात नहीं की थी? और साथ ही सवाल यह भी कि 114 राफेल की श्रेणी के फाइटर जेट की जगह क्या तेजस को खरीदा जा सकता है? आइए इस विषय के कुछ पहलुओं पर डालते हैं नजर।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणा:
सीडीएस बिपिन रावत का बयान कोरोना काल के बीच आत्मनिर्भर भारत के लिए रक्षा क्षेत्र के स्वदेशीकरण को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणा के बाद सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अब ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी सैन्य उपकरणों की खरीद पर जोर दिया जाएगा और लिस्ट बनाकर विदेशी उपकरणों के आयात पर पाबंदी भी लगाई जाएगी।
स्वदेशी विकल्प की संभावना:
अगर एमएमआरसीए के विकल्प के तौर पर देश में बन फाइटर जेट पर विचार करें तो एकलौता स्वदेशी लड़ाकू विमान जो भारत में बनाता है वह है- तेजस जो कि एक हल्का फाइटर जेट है। अगर भविष्य की बात करें तो मीडियम वजन की श्रेणी का विमान तेजस का मार्क 2 वैरिएंट इसका विकल्प हो सकता है और साथ ही पांचवी पीढ़ी के स्वदेशी लड़ाकू विमान AMCA पर भी काम चल रहा है।
इसके अलावा भारतीय नौसेना के लिए एक दो इंजन वाला फाइटर जेट भी बनाया जा रहा है जिसमें कुछ बदलाव करके इसे वायुसेना में शामिल किया जा सकता है, इसे ORCA (ओमनी रोल फाइटर जेट) या TDBF (ट्विन इंजन डेक बेस्ड फाइटर) के तौर पर जाना जाता है। ये सभी विमान राफेल की श्रेणी या इससे भी बेहतर रूप में सेवा देने में सक्षम होंगे हालांकि तेजस के विकास में लगे लंबे समय को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि यह सभी विकल्प भारतीय वायुसेना के लिए कब तक उपलब्ध हो पाएंगे।
क्या 'तेजस' बन सकता है 'राफेल' का विकल्प?
सीडीएस के बयान के बाद यह सवाल खड़ा हो सकता है कि क्या राफेल जैसे विमान की जगह तेजस ले सकता है तो इसका जवाब है- नहीं। तेजस एक हल्की श्रेणी का सिंगल इंजन लड़ाकू विमान है जो डबल इंजन मीडियम वजन वाले राफेल का विकल्प नहीं हो सकता है। हथियार ले जाने की क्षमता, उड़ान रेंज, स्पीड सहित तमाम पहलुओं में राफेल जैसे विमान तेजस से कहीं ज्यादा घातक साबित होते हैं।
फिलहाल भारत के पास राफेल की श्रेणी का कोई ऐसा फाइटर जेट मौजूद नहीं है जो एमएमआरसीए के लिए विकल्प बन सके। हालांकि भविष्य की योजनाओं पर अगर ठीक ढंग से काम किया गया तो जल्द भारत इस तरह की जरूरतों में आत्मनिर्भर बन सकता है। हालांकि इसके लिए जेट इंजन जैसी कुछ बेहद अहम तकनीक विकसित करने की दिशा में बड़े कदम उठाने की जरूरत है।
114 लड़ाकू विमानों के लिए MMRCA 2.0:
भारत की ओर से 114 लड़ाकू विमानों की जरूरत पूरी करने को लेकर एमएमआरसीए 2.0 के लिए दुनिया की कई कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। इसमें अमेरिकी कंपनियों की ओर से एफ-21, एफए-18 सुपर हॉर्नेट, एफ-15 ईएक्स, रूस के मिग-35 और सुखोई 35, स्वीडन की साब कंपनी का ग्रिपेन, फ्रांस का राफेल, यूरोपीय कंपनियों का यूरो फाइटर टाइफून शामिल हैं। हालांकि 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के बाद राफेल के ही इस डील के तहत फिर से चुने जाने की संभावना जताई जा रही है।
भारत सरकार की ओर से मेक इन इंडिया और टेक्नॉलॉजी ट्रांसफर सहित कई शर्तो की बात भी सामने आई थी। अब स्वदेशी को प्राथमिकता देने के सरकार के फैसले के बाद देखना होगा कि विदेशी फाइटर जेट खरीदने की यह डील होती है या फिर स्वदेशी लड़ाकू विमान जल्द से जल्द तैयार करने पर जोर दिया जाता है।