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JNU में 'राम के नाम' डॉक्यूमेंट्री को लेकर खड़ा हुआ विवाद, जेएनयू प्रशासन ने लगाई रोक

Updated Dec 05, 2021 | 07:42 IST

जेएनयू प्रशासन ने छात्र संघ को 'राम के नाम' वृत्तचित्र दिखाए जाने का कार्यक्रम रद्द करने की सलाह देते हुए कहा था कि इस तरह की अनधिकृत गतिविधि सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ सकती है।

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JNU में 'राम के नाम' डॉक्यूमेंट्री को लेकर खड़ा हुआ विवाद
मुख्य बातें
  • जेएनयू में 'राम के नाम' डॉक्यूमेंट्री पर विवाद,रजिस्ट्रार का सर्कुलर जारी
  • परिसर के सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ सकती स्क्रीनिंग- प्रशासन
  • JNU छात्रसंघ ने किया प्रशासन के फैसले का विरोध

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में 'राम के नाम' डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल छात्रों ने यूनिवर्सिटी में डॉक्यूमेंट्री चलाने के लिए पंपलेट जारी किए थे लेकिन JNU प्रशासन ने इस पर रोक लगा दी और रजिस्ट्रार की तरफ से सकुर्लर जारी करते हुए कहा गया कि इस तरह के आय़ोजन के लिए पहले से कोई परमिशन नहीं ली गई। जेएनयू प्रशासन ने कहा कि  इस तरह की गतिविधियां सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ सकती हैं।

जेएनयू प्रशासन का संज्ञान

जेएनयू रजिस्ट्रार ने एक परिपत्र में कहा कि JNUSU के नाम पर छात्रों के एक समूह ने छात्र संघ हॉल में आज रात 9: 30 बजे एक फिल्म 'राम के नाम' की स्क्रीनिंग के लिए एक पर्चा जारी किया है।  इस आयोजन के लिए कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई है। इस तरह की अनाधिकृत गतिविधि विश्वविद्यालय परिसर के सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ सकती है। संज्ञान के मुताबिक, 'संबंधित छात्रों / व्यक्तियों को सलाह दी जाती है कि वो प्रस्तावित कार्यक्रम को तुरंत रद्द कर दें, ऐसा ना करने पर इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जा सकती है।'

आइशी घोष का फेसबुक पोस्ट

जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि उन्होंने यूनियन हॉल में 'राम के नाम' की स्क्रीनिंग निर्धारित की है। उन्होंने कहा, 'इस तरह आरएसएस-भाजपा की कठपुतली संस्था एक परिपत्र के साथ सामने आई है कि इस वृत्तचित्र को दिखाना अनधिकृत है तथा यह सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ सकता है। 'राम के नाम' में सच्चाई दिखाई गई है कि भाजपा इस देश में क्या कर रही है और दक्षिणपंथी कट्टरपंथियों द्वारा इस धर्मनिरपेक्ष देश में किस तरह सांप्रदायिक नफरत फैलाई जा रही है।'

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