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Exclusive : 'सियासी दलों का मुखौटा है किसान आंदोलन, असलियत समझ गए हैं वेस्‍ट यूपी के किसान'

Updated Jul 12, 2021 | 06:48 IST

उत्तर प्रदेश जिला पंचायत और ब्लॉक प्रमुख चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शानदार प्रदर्शन किया है। पार्टी इन चुनाव नतीजों को विधानसभा चुनाव के लिए काफी अहम मान रही है।

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष मोहित बेनीवाल।

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के नतीजों को विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। उम्मीदवारों को पहली बार पार्टी सिंबल पर जिला पंचायत का चुनाव लड़ाने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने प्रदर्शन से उत्साहित एवं आत्मविश्वास से लबरेज है। किसान आंदोलन को देखते हुए यह माना जा रहा था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भगवा पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष एवं ब्लॉक प्रमुख चुनाव में पार्टी ने क्लीन स्विप किया है। भाजपा का मानना है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भी वह इसी तरह की सफलता दोहराएगी। पंचायत चुनाव नतीजों और किसान आंदोलन पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष मोहित बेनीवाल ने टाइम्स नाउ हिंदी के आलोक कुमार राव से विस्तार से बातचीत की, पेश हैं इस बातचीत के मुख्य अंश

पंचायत चुनाव नतीजों को आप कैसे देखते हैं-

जवाब-जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख चुनाव के जो नतीजे आए हैं, वे प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी और प्रदेश के ऊर्जावान एवं लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की जनकल्याणकारी योजनाओं की जीत हैं। यह माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जी, माननीय प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, माननीय संगठन मंत्री सुनील बंसल जी और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष जी के कुशल मार्गदर्शन और कार्यकर्ताओं के परिश्रम की जीत है। इन चुनावों में लोगों ने भाजपा की विचारधारा में अपना विश्वास जताया है। यह जीत बताती है कि जनता का विश्वास भाजपा की विचारधारा के साथ है। 

'ऐसी सीटें भी जीते जहां भाजपा कमजोर थी'  

जिला पंचायत का चुनाव जब शुरू हुआ तो विपक्ष ने भ्रम फैलाया कि भाजपा यह चुनाव हारेगी। भाजपा उम्मीदवारों को हराने के लिए कांग्रेस, सपा और बसपा ने संयुक्त रूप से अपने प्रत्याशी उतारे। पिछली बार पश्चिमी यूपी में हमारा केवल एक जिला पंचायत अध्यक्ष जीतकर आया था। ब्लॉक प्रमुख जीतने वालों की संख्या दोहरे अंक में भी नहीं पहुंच पाई थी। इसका एक बड़ा कारण इन चुनावों में पार्टी की अपनी सक्रिय भागीदारी न निभाना था। इस बार पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतारे। पश्चिमी यूपी के 14 जिलों में से 13 जिलों में भाजपा के प्रत्याशी जिला पंचायत अध्यक्ष बने। सहारनपुर और गौतमबुद्धनगर में पार्टी जीतती नहीं थी लेकिन इस बार इन जिलों में अच्छे अंतर से भाजपा प्रत्याशी जीते हैं। सामाजिक एवं राजनीतिक समीकरण की दृष्टि से पश्चिमी उत्तर प्रदेश एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र रहा है। ब्लॉक प्रमुख चुनावों में भी हमने 109 में से 96 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे और इसमें से हमारे 85 प्रत्याशी जीते। इस चुनाव के नतीजों ने विधानसभा चुनावों की दिशा तय की है। 

आपका मानना है कि पश्चिमी यूपी के लोगों ने भाजपा पर भरोसा जताया है?

जवाब-जी, बिल्कुल, साढ़े चार वर्षों के अंदर माननीय योगी जी और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव जी के नेतृत्व में सरकार और संगठन ने लोगों के बीच जाकर उनका विश्वास जीतने का काम किया है। कई काम तो ऐसे हुए हैं जिन्होंने इतिहास रचा है। पहले की सरकारों में ग्रामीण क्षेत्रों में खतौनी को लेकर किसान परेशान रहते थे। खतौनी का डिजिटलाइजेशन होने से किसानों को सहूलियत हुई। कानून-व्यवस्था को लेकर लोगों में विश्वास पैदा हुआ। 2012 में जब सपा की सरकार बनी तो अपराध का ग्राफ बेतहाशा बढ़ गया। कैराना के पलायन का मसला पूरे प्रदेश को झकझोरता रहा। देश और दुनिया में इसकी चर्चा रही। पश्चिमी उत्तर प्रदेश चाहे वह मुरादाबाद हो, संभल का क्षेत्र हो, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत क्षेत्र हो, पलायन यहां प्रमुख मुद्दा बना रहा। 2013 के सहारनपुर दंगों में एकतरफा कार्रवाई हुई। सहारनपुर दंगों में पुलिस प्रशासन और समाजवादी पार्टी की एकतरफा कार्रवाई से लोग परेशान थे। आज पलायन बंद है, लोग वापस आ रहे हैं। यूपी में निवेश हो रहा है। सैमसंग जैसी कंपनी ने नोएडा में आकर अपना संयंत्र लगाया है। ई-टेंडरिंग जैसी पारदर्शी व्यवस्था लागू हुई है। माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सरकार में विकास की गाथा लिखने का काम शुरू हुआ है। इज आफ डुइंग बिजनेस में यूपी की रैकिंग बढ़ी है। गुड गर्वनेंस में हम लोग आगे बढ़े हैं। सरकार ने बिजली, सड़क जैसी बुनियादी संरचनाओं की उपलब्धता बढ़ाई है। 

पश्चिमी यूपी में क्या सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि का फायदा पार्टी को मिला?

जवाब- जिस ईमानदार छवि एवं परिश्रम के साथ मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश को आगे बढ़ाया है उससे भाजपा और उसकी नीतियों के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है। कोरोना संकट के दौरान सीएम लोगों के बीच गए, कोविड सेंटरों पर जाकर सरकार की तैयारियों एवं प्रबंधन की समीक्षा की। भाजपा ने 2017 के चुनाव में अपराध पर नियंत्रण लगाने का वादा किया था उस पर बहुत हद तक नियंत्रण पाया गया है। पिछले आठ-10 महीनों के बीच में पश्चिमी यूपी में विधानसभा के उपचुनाव भी हुए, बुलंदशहर में विधायक वीरेंद्र सिंह सिरोही और अमरोहा में चेतन चौहान जी का देहांत हुआ। अमरोह के नौगांवा सीट और बुलंदशहर इन दोनों सीटों पर हुए उपचुनाव में विपक्ष ने अपने संयुक्त प्रत्याशी उतारे। इन दोनों सीटों पर भाजपा की विजय हुई। इसके बाद पश्चिमी यूपी में एमएलसी चुनाव, शिक्षक स्नातक चुनाव हुए। मुरादाबाद की एक और सहारनपुर कमिश्ननरी में दो सीटों पर हुए चुनाव में पार्टी ने क्लीन स्वीप किया। खास बात यह है कि मेरठ और सहारनपुर जैसी सीटों पर विपक्ष के दबदबे को ध्वस्त करते हुए भाजपा ने अपना परचम लहराया। 

किसान आंदोलन का पंचायत चुनाव पर आप कितना असर देखते हैं?

जवाब- शामली, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बागपत, मेरठ, सहारनपुर, अमरोहा, गाजियाबाद ये इलाके गन्ना किसानों के बेल्ट के रूप में जाने जाते हैं। यहां के 70 से 80 प्रतिशत किसान गन्ने की खेती करते हैं। किसान आंदोलन में गन्ना किसानों की नहीं कृषि कानूनों की चर्चा होती है। इन कृषि कानूनों का प्रत्यक्ष प्रभाव गन्ना किसानों पर नहीं है। दूसरा, यह आंदोलन पूर्ण रूप से राजनीतिक आंदोलन बन चुका है। इसकी पृष्ठभूमि देखेंगे तो ऐसा लगेगा कि विपक्ष मुखौटा पहनकर बैठा है। आप इन मुखौटे को उतारेंगे तो कहीं कांग्रेस, कहीं सपा और कहीं लेफ्ट के दल नजर आएंगे। कृषि कानूनों के जरिए किसानों में भ्रम फैलाने का काम किया जा रहा है। भाजपा की विकासपरक नीतियों को रोकने का यह विपक्ष का एक प्रयास है। पश्चिम यूपी का किसान भाजपा के साथ है। पश्चिमी यूपी में भाजपा का ग्राफ कितना बढ़ गया है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि मुजफ्फरनगर में जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में लोकदल के जिलाध्यक्ष को भाजपा के जिला पंचायत के एक प्रत्याशी ने हराया। बागपत जिले में 2015 के जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में 20 में से विपक्ष के 14-15 सदस्य जीतकर आए थे। इस बार वे घटकर 7 पर पहुंच गए। वहीं, हम बढ़कर 7-8 सीट तक पहुंचे हैं। शामली में लोकदल निरंतर जीतती आई है लेकिन इस बार यहां भाजपा का प्रत्याशी जिला पंचायत अध्यक्ष बना है। सहारनपुर में भाजपा पंचायत चुनाव जीत नहीं पाती थी। यहां भी इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष भाजपा का बना है। उपचुनाव, एमएलसी, पंचायत चुनाव के नतीजे बताते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा ऐतिहासित जीत दर्ज करने जा रही है। 

आपको क्यों लगता है कि पश्चिमी यूपी में भाजपा को इतनी सीटें मिलेंगी? 

जवाब- इसकी वजह भी है। पश्चिमी यूपी के गांवों में किसानों के बीच जाकर हमारे कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। कार्यकर्ता आने वाले दिनों में बूथ स्तर पर जाकर लोगों से संपर्क करेंगे। राज्य में अपराध पर लगाम लगा है। कांवड़ यात्रा, ऐतिहासिक कुंभ, कोरोना प्रबंधन, बुनियादी संरचनाओं के विकास, इज ऑफ डुइंग बिजनेस से पार्टी और सरकार की ईमानदार छवि निखर कर सामने आई है। बीते साढ़े चार सालों में पश्चिमी यूपी का विकास तीव्र गति से हुआ है। पहले दिल्ली से मेरठ जाने में चार घंटे लग जाते थे। दिल्ली से देहरादून जाने में सुबह से रात हो जाया करती थी। आज सवा घंटे में आप दिल्ली से मेरठ पहुंच सकते हैं। अब दिल्ली से पश्चिमी यूपी के किसी भी जिले में जाने में दो से ढाई घंटे से ज्यादा समय नहीं लगता। भाजपा की सरकार ने सड़कों एवं एक्सप्रेस-वे का जाल बिछाया है। सपा की सरकार में लोगों को मुश्किल से पांच से छह घटें बिजली मिल पाती थी लेकिन अब भाजपा की सरकार में जिले स्तर पर 24 घंटे और ग्रामीण स्तर पर 18 घंटे बिजली मिल रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से सड़कों का निर्माण हुआ है। योगी सरकार ने मात्र साढ़े चार वर्षों के अपने कार्यकाल में अभूतपूर्व विकास कार्य किए हैं। 

सपा का आरोप है कि धनबल, हिंसा और प्रशासन के दुरुपयोग से भाजपा को पंचायत चुनावों में जीत मिली, इस पर आप क्या कहेंगे?  
 
जवाब-पश्चिमी यूपी के किसी भी जिले में हिंसा की कोई घटना नहीं हुई। यहां सहजता एवं सरलता से चुनाव हुए हैं। बसपा के लोगों ने सहारनपुर में विपक्ष का संयुक्त प्रत्याशी तय किया था लेकिन उस प्रत्याशी को बसपा ने तुरंत पार्टी से निष्कासित किया। यहां भाजपा का उम्मीदवार निर्विरोध जीता। चुनाव परिणाम आने के बाद सपा ने जिलाध्यक्षों को निष्कासित किया है। लोकदल और कांग्रेस ने अपने नेताओं को बाहर किया। मेरठ और मुरादाबाद में नेता निष्कासित हुए। यह इस बात का प्रतीक है कि विपक्ष अपनी अपनी खामियों एवं कमजोरियों के चलते चुनाव हारा। वे अपनी हार छिपाने के लिए इस तरह के आरोप लगा रहे हैं। वे अपने बचाव के लिए कुछ न कुछ तो बोलेंगे।

योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान आप क्या खास बदलाव देखते हैं?

जवाब- साल 2007 से 12 तक राज्य में बसपा की सरकार थी। इस दौरान प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच गया। इसके बाद 2012 से 2017 तक सपा का शासन रहा। सपा के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के साथ-साथ अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा भ्रष्टाचार एवं अपराध मुख्त समाज के नारे के साथ जनता के बीच गई। जनता ने विश्वास जताया और हमारी सरकार बनी। यूपी की कानून-व्यवस्था की चर्चा आज पूरे देश में है। टेंडरिंग, डिजटलाइजेशन, इज ऑफ डुइंग, विदेशी निवेश, कोरोना प्रबंधन, रोजगार सृजन इन सभी क्षेत्रों में राज्य सरकार ने कीर्तिमान स्थापित किए हैं। एक समय था कि सपा की तृष्टिकरण नीति के चलते लोग और उद्योग धंधों का यहां से पलायन हो रहा था। लोग अपनी संपत्तियों को बेचकर दिल्ली और अन्य जगहों पर जाने लगे थे। योगी सरकार में इस पर रोक लगी है। लोग और उद्यमी वापस आए हैं। यह बड़ी बात है। विकास कार्यों, भ्रष्टाचार एवं अपराध मुक्त समाज से भाजपा में लोगों का विश्वास बढ़ा है। हम 2022 में ऐतिहासिक विजय के साथ फिर से सरकार बनाएंगे।  

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