- मार्च 2022 में जालंधर में अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी संदीप नंगल अंबियां की हत्या कर दी गई थी।
- अप्रैल 2022 में पटियाला में विश्वविद्यालय के बाहर कबड्डी खिलाड़ी धर्मेंद्र सिंह को गोली मार दी गई।
- साल 2018 में गायक परमीश वर्मा की हत्या कर दी गई थी।
Sidhu Moose Wala Murder: पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद जिस तरह खुलेआम गैंगस्टर एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। उससे तो बॉलीवुड का वह दौर बरबस याद आ जाता है, जब अंडर वर्ल्ड के आगे पुलिस बेबस नजर आती थी। वैसा ही नजारा लॉरेंस बिश्नाई ग्रुप और बंबीहा गैंग मूसेवाला की हत्या को लेकर दिखा रहे हैं। एक तरफ बिश्नोई ग्रुप का गैंगस्टर गोल्डी बराड़ खुलेआम फेसबुक पोस्ट के जरिए यह दावा कर रहा है कि मूसेवाला की हत्या उन लोगों ने की है, तो दूसरी तरफ बंबीहा ग्रुप 2 दिन में बदला लेने की धमकी दे रहा है। गैंग्सटर की ये बेखौफी साफ बता रही है कि उन्हें पुलिस का डर नही है। और उससे यह भी बात साफ हो रही है कि उनका जाल पंजाब में बड़े स्तर पर फैल चुका है।
गैंगस्टर की कबड्डी से लेकर गायकों पर नजर
मूसेवाला की हत्या से ये तो साफ हो चुका है कि यह कोई छोटी-मोटी रंजिश का नतीजा नहीं है। बल्कि इसमें खेल गैंगस्टर के उस लालच का है, जिसमें बड़े पैमाने पर वसूली या रंगदारी की जाती है। गैंग्सटर उन जगहों पर अपना दखल बढ़ा रहे हैं, जहां पर पैसों का वसूली आसानी से की जा सके। अगर पिछले कुछ मामलों को देखा जाय तो गैंगस्टर के निशाने पर कबड्डी से जुड़े लोग और गायक निशाने पर हैं। इसे इन घटनाओं से समझा जा सकता है..
- मार्च 2022 में जालंधर में अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी संदीप नंगल अंबियां की हत्या कर दी गई थी। संदीप की हत्या के पीछे भी गैंगस्टर के शामिल होने की बात थी
- अप्रैल 2022 में पटियाला में विश्वविद्यालय के बाहर कबड्डी खिलाड़ी धर्मेंद्र सिंह को गोली मार दी गई। पुलिस के अनुसार गैंग वॉर में धर्मेंद्र की हत्या की गई।
- इसी तरह साल 2018 में गायक परमीश वर्मा की हत्या कर दी गई थी।
- साल 2018 में पंजाबी गायक गिप्पी ग्रेवाल से वसूली का मामला सामने आया था।
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अभी 30 गैंगस्टर पुलिस के गिरफ्त से दूर
पुलिस भले ही चाहे जो भी दावे कर ले, लेकिन राज्य में गैंगस्टर बेखौफ हैं। उनका नेटवर्क जेल से भी चल रहा है। जो कि सिद्धू मूसावाला की हत्या से साफ पता चलता है। जिसमें लारेंस बिश्वनोई जेल में बैठा हुआ है। और अगर उसके गुर्गों ने मूसावाल की हत्या की है तो यह साफ है कि जेल के अंदर से भी गैंगस्टरों का खेल चल रहा है। खुद राज्य के डीजीपी वी.के.भावरा ने 11 अप्रैल को बताया था 'पुलिस ने 545 गैंगस्टर की पहचान की है। जिन्हें A,B और C कैटेगरी के आधार पर बांटा गया है। और इनमें से अब तक 515 को पकड़ा जा चुका है। जबकि 30 गैंगस्टर अभी पुलिस की पकड़ से दूर है।' डीजीपी के अनुसार जनवरी से मार्च के दौरान यानी 100 दिनों में 158 हत्याएं हुई हैं। इसमें से 6 हत्याएं गैंगस्टर के जरिए की गई। राज्य में गैंगस्टर किस तरह बेकाबू हो रहे हैं इसका अंदाजा पंजाब पुलिस को भी है, इसीलिए अप्रैल में उनके खात्मे के लिए एक SIT का भी गठन किया गया है।
लीडर की हत्या के बाद भी गुर्गे चला रहे हैं गैंग
राज्य में सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि कई ऐसे गैंग अभी भी सक्रिय हैं, जिनके लीडर एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं। मसलन प्रेमा लाहौरिया, सुक्खा काहलवां,जयपाल भुल्लर, रॉकी आदि गैंगस्टर के मारे जाने के बाद भी उसके गुर्गे सक्रिय हैं। और पुलिस बहुत ज्यादा कुछ कर नहीं पा रही है। इस तरह दविंदर बंबीहा के एनकाउंटर के बाद भी बंबीहा गैंग सक्रिय है। और लारेंस बिश्वनोई और बंबीहा ग्रुप में दुश्मनी खुले आम चल रही है। इन दोनों के अलावा जग्गू भगवानपुरिया और मल्ली गैंग का भी राज्य के कई इलाकों में आतंक है। इसके अलावा लारेंस बिश्वनोई ग्रुप हरियाणा, उत्तराखंड और दूसरे उत्तर भारत के राज्यों में भी वहां के स्थानीय गैंगस्टर के साथ मिलकर अपना दायरा बढ़ाने की कोशिश में हैं। उत्तराखंड के देहरादून से STF द्वारा 6 लोगों की गिरफ्तारी इस खतरे का सबूत दे रही है।