- 2004 से 16 साल तक पुलिस की सेवा से निलंबित रहे सचिन वाझे
- अघाड़ी सरकार बनते ही उद्धव ठाकरे ने निलंबन किया बहाल
- एंटीलिया केस और हिरेन की मौत के मामले में फिर से शक की सुई सचिन वाझे पर
मुंबई: भारत के सबसे अमीर व्यक्ति यानि मुकेश अंबानी के आवास के सामने सुरक्षा खतरे का खुलासा होने के बाद रहस्य गहराता जा रहा है। इस मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारी सचिन वाझे को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। वाझे को लेकर तमाम तरह के खुलासे हो रहे हैं। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट रहे वाझे 2002 के एक केस में ऐेस उलझे कि 2004 में उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। कहा जाता है कि घाटकोपर इलाके में हुए बम धमाके में चार गिरफ्तारियां हुई थी जिसमें से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ख्वाजा युसूफ था जिसकी संदिग्ध हालात में मौत हो गई और आरोप लगा सचिन वाझे पर।
शिवसेना में हुए शामिल
सचिन वाझे जब निलंबित हुए तो कहा जाता है कि वह 2008 में शिवसेना के सदस्य बन गए हैं। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को खुलासा किया कि वर्ष 2014 से 2019 के बीच उनके नेतृत्व में भाजपा सरकार के दौरान वर्ष 2018 में शिवसेना ने वाजे को बहाल करने के लिए दबाव बनाया था, लेकिन उन्होंने गंभीर आरोप होने की वजह से इनकार कर दिया था। जैसे ही महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व में महाराष्ट्र विकास अघाडी की सरकार आई तो विवादित तरीके से सचिन वाझे को बहाल कर दिया गया।
क्या आपने कभी ऐसा सुना
ऐसे में तमाम तरह के सवाल उठते हैं कि आखिर एक पुलिसकर्मी जो 16 साल तक निलंबित रहा चार्जशीट हुआ और उसके बाद शिवसेना का नेता भी बना और नेता बनने के बाद पुलिस में बहाल भी हो गया। शायद आपको यह सुनकर हैरानी भी हो रही होगी क्योंकि शायद ही आपने ऐसे उदाहरणों के बारे में सुना होगा। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर उद्धव ठाकरे की ऐसी क्या मजबूरी थी कि सरकार में आते ही उन्होंने वाझे का निलंबन वापस लेकर उन्हें कई हाईप्रोफाइल केसों का जिम्मा दे दिया।
तो वझे ने ही रखवाई थी जिलेटिन वाली कार
फडणवीस ने आरोप लगाया, ‘जिलेटिन की छड़ों से भरी कार को पुलिस विभाग ने रखा और उसके बाद मनसुख हिरन जो मामले में अहम कड़ी थे, की हत्या कर दी गई। महाराष्ट्र और मुंबई के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। वाझे ‘छोटे आदमी‘ हैं और मामले को केवल उन्हें जिम्मेदार ठहराकर सुलझाया नहीं जा सकता। शिवसेना नेताओं से गहरे संबंध होने की वजह से कनिष्ठ अधिकारी होने के बावजूद वाझे अपराध खुफिया शाखा विभाग में अहम पद दिया गया।’उन्होंने कहा कि मामले में गिरफ्तार मुंबई पुलिस के कर्मचारी सचिन वाझे के ‘राजनीतिक आकाओं’ का पता लगाया जाना चाहिए।
वाझे ने छोड़ी थी कार?
शक है कि एंटीलिया के सामने पीपीई किट पहनकर जो शख्स नजर आया वो सचिन वाझे ही थे जो स्कॉर्पियों को छोड़कर गए थे। ऐसे में बीजेपी के तमाम नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि होती है और अगर ऐसा नहीं होता तो महाराष्ट्र सरकार पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का तबादला क्यों करती? कई सवाल हैं लेकिन सब मिलकर अंत में जुड़ते हैं सचिन वाझे से। कहा जा रहा है कि सचिन वाझे को शिवसेना के शीर्ष नेताओं का सरंक्षण प्राप्त है। उद्धव सरकार ने यह कहकर वाझे का निलंबन वापस लिया था कि राज्य में कोरोना की वजह से संकट गंभीर है ऐसे में वाझे जैसे अफसर की जरूरत है।