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दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की 'टेंट सिटी' तैयार, राहुल बोले- मिट्टी का कण-कण गूंज रहा है..

Updated Dec 26, 2020 | 11:15 IST

नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन 31वें दिन भी जारी है। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि सरकार को किसानों की बात सुननी ही पड़ेगी।

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मिट्टी का कण-कण गूंज रहा है, सरकार को सुनना पड़ेगा- राहुल
मुख्य बातें
  • अपनी मांगों को लेकर किसानों का धरना लगातार 31वें दिन भी है जारी
  • कांग्रेस नेता राहुल गांधी बोले- सरकार को किसानों की बात सुननी ही होगी
  • किसान संगठनों की आज एक महत्वपूर्ण बैठक होनी है

नई दिल्ली: कड़ाके की ठंड के बीच दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन 31वें दिन भी जारी है। किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। किसान सगंठनों की आज एक बड़ी बैठक होनी है जिसमें आगे की रणनीतिक को लेकर फैसला लिया जाएगा। किसानों को लगातार समाज के विभिन्न वर्गों के अलावा राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिल रहा है। 

राहुल का निशाना
इस बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए आज एक वीडियो ट्वीट किया है। वीडियो शेयर करते हुए राहुल गांधी ने लिखा, 'मिट्टी का कण-कण गूंज रहा है, सरकार को सुनना पड़ेगा।' किसान लगातार दिल्ली से सटी विभिन्न सीमाओं पर डटे हुए हैं। सिंघू बॉर्डर के बाद अब दिल्ली के गाजीपुर स्थित बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों के लिए अब दूसरी टेंट सिटी बनाई गई है।

मांगों पर अटल हैं किसान

अपनी मांगो को लेकर किसान अटल हैं। सिंघु बॉर्डर से एक प्रदर्शनकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'मोदी सरकार से विनती है कि ये 3 काले कानूनों को रद्द करें। जो लोग हमें आतंकवादी कह रहे हैं हम आतंकवादी नहीं हैं.. जब हम हिंदुओं के लिए लड़ते हैं तब हम फरिश्ते और जब हम अपने लिए लड़ रहें तो हमें आतंकवादी बोल दिया जाता है..हम आतंकवादी नहीं किसान हैं।'

किसान संगठनों की आज बैठक

आपको बता दें कि केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान यूनियनों ने बातचीत के लिए सरकार की नयी पेशकश पर विचार के लिए शुक्रवार को बैठक की। संगठनों में से कुछ ने संकेत दिया कि वे मौजूदा गतिरोध का हल खोजने के लिए केंद्र के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला कर सकते हैं। यूनियनों ने कहा कि शनिवार को उनकी एक और बैठक होगी जिसमें ठहरी हुयी बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए केंद्र के न्यौते पर कोई औपचारिक फैसला किया जाएगा।

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