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Farmers' Protest : आज दिल्‍ली-जयपुर हाइवे जाम करेंगे किसान, इन रास्तों के इस्‍तेमाल से बचें

Updated Dec 12, 2020 | 06:00 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Farmers protest : कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। इसके तहत आज उन्‍होंने दिल्ली-जयपुर राजमार्ग बंद करने का फैसला किया है, जिससे ट्रैफिक संबंधी दिक्‍कतें आ सकती हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
Farmers' Protest : आज दिल्‍ली-जयपुर हाइवे जाम करेंगे किसान, इन रास्तों के इस्‍तेमाल से बचें
मुख्य बातें
  • किसानों ने 12 से 14 दिसंबर के दौरान अपने प्रदर्शन की रूपरेखा तय की है
  • आंदोलनरत किसानों ने दिल्ली-जयपुर हाईवे बंद करने का फैसला किया है
  • किसान आंदोलन को देखते हुए लोगों को ट्रैफिक की परेशानी हो सकती है

नई दिल्ली : केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों ने अपनी आगे की लड़ाई के लिए नई रणनीति तैयार कर ली है। किसानों ने 12 से 14 दिसंबर के दौरान अपने प्रदर्शन की रूपरेखा तय की है। इसके अनुसार, आज (शनिवार, 12 दिसंबर) उन्‍होंने दिल्ली-जयपुर हाईवे बंद करने का फैसला किया है। ऐसे में दक्षिणी दिल्‍ली के कई रास्‍तों में लोगों को ट्रैफिक की परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं।

इन रास्तों का इस्‍तेमाल करने से बचें

किसान आंदोलन की नई रणनीति की जानकारी देते हुए भारतीय किसान यूनियन प्रमुख बलबीर एस राजेवाल ने शुक्रवार को बताया कि 12 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर सड़क मार्ग को अवरुद्ध किया जाएगा। इसे देखते हुए ट्रैफिक की समस्या उत्‍पन्‍न हो सकती है। इसलिए बेहतर है कि गुरुग्राम की तरफ जाने वाले रास्‍तों का इस्‍तेमाल करने से बचें।

ट्रैफिक को लेकर किसी भी तरह की उलझन से बचने के लिए धौलाकुआं से गुरुग्राम जाने वाले मार्ग, एमजी रोड, बिजवासन-गुरुग्राम मार्ग और कापसहेड़ा-गुरुग्राम मार्ग से यात्रा करने से बचें।

क्‍या है आगे की रणनीति?

किसानों ने प्रदर्शन की जो नई रणनीति बनाई है, उसके अनुसार 14 तारीख को उन्‍होंने डीसी कार्यालयों के सामने, भाजपा नेताओं के घरों और रिलायंस/अडानी टोल प्लाजा पर धरना देने का फैसला किया है। भारतीय किसान यूनियन प्रमुख बलबीर एस राजेवाल के मुताबिक, ट्रेनों को रोकने की कोई योजना नहीं है। उन्‍होंने यह भी कहा कि दिल्‍ली में बड़ी संख्‍या में देश के विभिन्‍न हिस्‍सों से किसान धरना-प्रदर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।

यहां उल्‍लेखनीय है कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत क‍िसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा निकलकर सामने नहीं आया है। सरकार ने कृषि कानूनों से जुड़े कुछ प्रावधानों में संशोधन के प्रस्‍ताव दिए हैं। लेकिन किसान संगठन इसे मानने को तैयार नहीं हैं। वे कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लिए जाने की मांग पर डटे हैं, जबकि सरकार ने अब तक इस तरह के कोई संकेत नहीं दिए हैं।

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