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प्रणब मुखर्जी की नई किताब, 2014 में कांग्रेस की हार के लिए सोनिया और मनमोहन सिंह को बताया जिम्मेदार

Updated Dec 12, 2020 | 06:34 IST

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की एक नई किताब में 2014 में कांग्रेस की हार को लेकर कई बातें कई गई हैं। यह किताब जनवरी 2021 में पाठकों के लिए उपलब्ध होगी

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प्रणब मुखर्जी की नई किताब, कांग्रेस को लेकर किए कई खुलासे
मुख्य बातें
  • प्रणब मुखर्जी की नई किताब से बढ़ सकती हैं कांग्रेस की मुश्किलें
  • मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद पार्टी नेतृत्व ने राजनीतिक दिशा खो दी- प्रणब
  • स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण गत 31 अगस्त को हुआ था उनका निधन

नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी ने अपने संस्मरण में लिखा है कि उनके सर्वोच्च संवैधानिक पद पर चुने जाने के बाद कांग्रेस राजनीतिक दिशा से भटक गयी और कुछ पार्टी सदस्यों का यह मानना था कि अगर 2004 में वह प्रधानमंत्री बनते तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए करारी हार वाली नौबत नहीं आती। मुखर्जी अपने निधन से पहले संस्मरण ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ को लिख चुके थे। रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक जनवरी, 2021 से पाठकों के लिए उपलब्ध होगी।

21 अगस्त को हुआ था प्रणब मुखर्जी का निधन
उनका कोरोना वायरस संक्रमण के बाद हुई स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के करण गत 31 अगस्त को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। पुस्तक में कांग्रेस के संदर्भ में उनकी टिप्पणी उस वक्त सामने आ रही है जब पार्टी आंतरिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है।

मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद कांग्रेस ने खो दी राजनीतिक दिशा

इस पुस्तक में मुखर्जी लिखते हैं, ‘कुछ पार्टी सदस्यों का यह मानना था कि अगर 2004 में वह प्रधानमंत्री बनते तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस करारी हार वाली स्थिति में नहीं आती। हालांकि इस राय से मैं इत्तेफाक नहीं रखता। मैं यह मानता हूं कि मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद पार्टी नेतृत्व ने राजनीतिक दिशा खो दी। सोनिया गांधी पार्टी के मामलों को संभालने में असमर्थ थीं, तो मनमोहन सिंह की सदन से लंबी अनुपस्थिति से सांसदों के साथ किसी भी व्यक्तिगत संपर्क पर विराम लग गया।’

मनमोहन सिंह गठबंधन बचाने में रहे ध्यानमग्न

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ‘मेरा मानना है कि शासन करने का नैतिक अधिकार प्रधानमंत्री के साथ निहित होता है। देश की संपूर्ण शासन व्यवस्था प्रधानमंत्री और उनके प्रशासन के कामकाज का प्रतिबिंब होती है। डॉक्टर सिंह गठबंधन को बचाने में ध्यानमग्न रहे जिसका शासन पर असर हुआ, जबकि नरेंद्र मोदी अपने पहले कार्यकाल में शासन की अधिनायकवादी शैली को अपनाए हुए प्रतीत हुए जो सरकार, विधायिका और न्यायपालिका के बीच तल्ख रिश्तों के जरिए दिखाई दी।’

बचपन के सफर पर डाली गई है रोशनी

इस पुस्तक में पश्चिम बंगाल के एक गांव में बिताए बचपन से लेकर राष्ट्रपति रहने तक उनके लंबे सफर पर रोशनी डाली गई है। रूपा प्रकाशन ने शुक्रवार को ऐलान किया कि मुखर्जी के संस्मरण ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ को जनवरी, 2021 में वैश्विक स्तर पर जारी किया जाएगा। मुखर्जी का आज जन्मदिवस भी है।

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