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वसीयत तैयार करते समय ध्यान में रखने वाली 5 जरूरी बातें

Updated Jul 13, 2022 | 22:05 IST

वसीयत एक कानूनी इंस्ट्रुमेंट है जिसमें उत्तराधिकार के लिए आपकी योजनाओं को दर्ज किया जाता है और उनका उल्लेख किया जाता है और आपकी सम्पत्तियों और देयताओं का बंटवारा आपके परिवार के सदस्यों, कानूनी वारिसों या कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसे आप अपनी सम्पत्ति में से हिस्सा देना चाहते हैं, उसका उल्लेख किया जाता है।

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वसीयत एक कानूनी इंस्ट्रुमेंट है जिसमें उत्तराधिकार के लिए आपकी प्लानिंग को बताता है (तस्वीर- istock)

बिना वसीयत लिखे एकमात्र कमाने वाले या अभिभावक की मृत्यु के बाद परिवारों में कलह होना आम बात है। भारत जैसे देश में, लोगों के लिए विस्तारित परिवार या एक से अधिक कानूनी वारिस होना भी बहुत आम बात है। किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद शांतिपूर्वक उत्तराधिकार के जोखिम मौजूद रहते हैं। लेकिन ऐसे मामलों में जहां पर कानूनी वयीसत बनाई गई, जोखिम कम हो जाता है। 

वसीयत एक कानूनी इंस्ट्रुमेंट है जिसमें उत्तराधिकार के लिए आपकी योजनाओं को दर्ज किया जाता है और उनका उल्लेख किया जाता है और आपकी सम्पत्तियों और देयताओं का बंटवारा आपके परिवार के सदस्यों, कानूनी वारिसों या कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसे आप अपनी सम्पत्ति में से हिस्सा देना चाहते हैं, उसका उल्लेख किया जाता है। इससे परिवार के सदस्यों में से किसे क्या मिलेगा, इस संबंध में कलह से बचने और मुश्किलों का सामना करने से सुरक्षा मिलती है।

इसके अलावा, आपके मन को भी यह जानकर शांति मिलती है कि आपकी कड़ी मेहनत की कमाई और जायदाद- सम्पत्ति, आभूषण, बैंक बैलेंस तथा अन्य सामान- आपकी मृत्यु के बाद आपकी मर्जी के मुताबिक सही हाथों में होगी। इसलिए, वसीयत बनाना बहुत महत्वपूर्ण होता है और हर किसी के लिए एक महत्वपूर्ण ज़रूरत है। इसलिए, यह अक्सर कहा जाता है कि वसीयत न केवल अमीरों के लिए बल्कि हर किसी के लिए ज़रूरी है। यदि सही तरीके से किया जाए तो वसीयत लिखना बहुत ही सरल है। इसमें बहुत अधिक ब्यौरा, स्पष्ट सोच, दूरदर्शिता तथा भावनाओं पर नियंत्रण रखने की योग्यता की आवश्यकता होती है।

वसीयत को लिखते समय याद करने वाली पांच प्रमुख बातों का यहां पर उल्लेख किया गया है।

घोषणाएं

शुरूआत में, आपको यह तय करना चाहिए कि आप अपना पूरा व्यक्तिगत ब्यौरा जैसे नाम, आयु, निवास का पता तथा माता-पिता के नाम की घोषणा करते हैं। किसी भी प्रकार के संक्षिप्त अक्षरों (एब्रिविएशन्स) का इस्तेमाल न करें। बल्कि, वसीयत लिखते समय अपनी पूरी जानकारी दें ताकि इस बात की पुष्टि की जा सके कि आप पूरी तरह से होश में हैं और किसी भी प्रकार का कोई अनुचित प्रभाव आप पर नहीं है। इससे यह पता लगता है कि आप ब्यौरा लिखते समय पूरी तरह से जागरूक थे।

सम्पत्ति की पहचान

अपनी सम्पत्तियों-वित्तीय और भौतिक सम्पत्तियों का व्यापक आंकलन करें। उनकी पहचान सूची बना कर करें ताकि आपको यह पता लग सके कि आपके पास कौन कौन सी सम्पत्ति है। इसमे आपके बैंक खाते, लॉकर्स, बीमा पॉलिसियां, शेयरों मे निवेश, म्यूचल फंड्स या बॉंड्स, और पीपीएफ या ईपीएफ जैसे रिटायरमेंट फंड्स शामिल होने चाहिए।

एग्जीक्यूटर

आपकी वसीयत आपकी मृत्यु के बाद प्रभावी होगी, इसलिए आप यह नहीं देख पाएंगे कि आपकी वसीयत को सफलतापूर्वक लागू किया जा रहा है। इसलिए, एक व्यक्ति-एग्जिक्यूटर- वसीयत को एग्जिक्यूट करने के लिए चाहिए होता है तथा आपकी मृत्यु के बाद इसमें लिखे निर्देशों को पालन करने के लिए होना चाहिए। एग्जिक्यूटर्स यह तय करने के लिए जवाबदेह होते हैं कि आपकी मृत्यु के बाद वसीयत को लागू किया जाता है। भ्रम से बचने के लिए, वसीयत लिखने वाले को उसके एग्जीक्यूटर का पूरा ब्यौरा जैसे उसका नाम, पता तथा उनके साथ रिश्ते का उल्लेख करना चाहिए। इसके अलावा, यह सलाह दी जाती है कि यदि मूल एग्जीक्यूटर आपकी इच्छाओं के अनुसार वसीयत को लागू करने की इच्छा नहीं रखता या वह ऐसा नहीं कर पाता, तो किसी अन्य (सब्स्टीट्यूट) एग्जीक्यूटर को नियुक्त किया जाना चाहिए।

लाभ प्राप्त करने वाले

परिवार के उन सदस्यों या व्यक्तियों के नाम लिखें जो लाभ प्राप्त करेंगे। यह एक जटिल बात हो सकती है क्योंकि इसके लिए आपको रिश्तों, फाइनेंस तथा अपनी ख़ुद की भावनाओं को समझना होगा। उनके नामों की सूची बनाते समय, इस बात की सिफारिश की जाती है कि लाभ प्राप्त करने वालों के वसीयत में निकनेम की बजाए उनके पूरे नाम का उल्लेख किया जाना चाहिए। उनके नामों के साथ-साथ, उनका पता, जन्म की आधिकारिक तारीख, तथा उनके साथ आपके रिश्ते का ब्यौरा भी शामिल करें। आप सोच-विचार कर, अपनी मर्जी के मुताबिक उनके बीच में सम्पत्तियों को बांट सकते हैं। ऐसा करते समय, यह तय करें कि आपके निर्देश स्पष्ट हैं तथा इस संबंध में अस्पष्टता की कोई गुंजाइश नहीं है, जिसका बाद में गलत अर्थ निकाला जा सकता है। यदि आवश्यक है, तो वित्तीय और कानूनी विशेषज्ञ से पेशेवर सहायता भी प्राप्त कर सकते हैं।

साक्षी

जब आपकी वसीयत तैयार हो जाती है, तो तय करें कि इस पर उचित रूप से हस्ताक्षर किए जाते हैं, तारीख डाली जाती है और कम से कम दो ऐसे व्यक्ति इसके साक्षी बनते हैं जो लाभ प्राप्त करने वाले नहीं हैं। याद रखें कि साक्षियों के लिए आपकी वसीयत को पढ़ना और इसके अंदर लिखी गई बातों को जानना आवश्यक नहीं है। जब आप अपनी वसीयत पर हस्ताक्षर करते हैं, तो कानूनी ज़रूरत के अनुसार उनकी मौजूदगी ज़रूरी होती है जिससे बाद में इसकी सच्चाई को चुनौती न दी जा सके, तथा एग्जीक्यूटर या किसी अन्य प्राधिकारी के पास इस बात का तत्काल साक्ष्य उपलब्ध हो कि वसीयत पर साक्षी गण के हस्ताक्षर हैं। हालांकि वसीयत के प्रत्येक पेज पर आपके हस्ताक्षर और तारीख ज़रूरी होते हैं, लेकिन आपको अंतिम पेज पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जिस पर न केवल आपके हस्ताक्षर होने चाहिए बल्कि साक्षियों के हस्ताक्षर और साथ ही उनके नाम और पता भी होना ज़रूरी है।

वसीयत लिखना जितना ज़रूरी है, उतना ही समय-समय पर इसकी समीक्षा करना भी ज़रूरी है। इससे यह तय किया जाता है कि आपकी सम्पत्तियों में अपडेट्स के अनुसार आपकी वसीयत को अपडेट किया जाता है और इस पर नवीनतम तारीख डाली गई है। हालांकि, ऐसा करते समय आपको अपनी पिछली वसीयत को मिटाना या नष्ट करना होता है, क्योंकि इससे भ्रम पैदा हो सकता है। वसीयत वित्तीय और उत्तराधिकार प्लानिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। याद रखें कि इस पर आपके जाने के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। आपके प्रियजन, विशेष रूप से आश्रित तथा अवयस्क आपसे अपेक्षा रखते हैं कि आप उन्हें अपनी मृत्यु के बाद संभावित जोखिमों से सुरक्षित रखते हैं।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर:  ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)

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