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प्रणब मुखर्जी: एक नजर पूर्व राष्ट्रपति के जीवन पर, इंदिरा गांधी ने इंप्रेस होकर राजनीति में दिलाई थी एंट्री

Updated Aug 31, 2020 | 18:20 IST

Pranab Mukherjee political career: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब कुमार मुखर्जी का 84 साल की उम्र में निधन हो गया है। वे दिल्ली में सेना के अनुसंधान एवं रेफरल अस्पताल में भर्ती थे और वेंटिलेटर पर थे।

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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब कुमार मुखर्जी

नई दिल्ली: देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया है। तबियत खराब होने के बाद इस महीने की 10 तारीख को प्रणब मुखर्जी को सेना के रिसर्च और रेफरल (आर एंड आर) अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनके कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई। उनके मस्तिष्क में बने खून के थक्के को हटाने के लिए उनकी सर्जरी की गई थी। सर्जरी के बाद प्रणब मुखर्जी की हालत नाजुक बनी हुई थी, उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। 

एक नजर डालते हैं उनके जीवन पर-

प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के मिराटी में हुआ था। उन्होंने छात्र जीवन में इतिहास में एमए, राजनीतिक विज्ञान में एमए, एलएलबी, डी लिट की उपाधि हासिल की। उन्होंने अपनी शिक्षा विद्यासागर कॉलेज सूरी, कलकत्ता यूनिवर्सिटी पश्चिम बंगाल से पूरी की।
उनकी पत्नी का नाम सुवरा मुखर्जी है। उनके दो बेटे और एक बेटी है। उनके पिता का नाम किंकर मुखोपाध्याय सरानी है और माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी है।

उनके पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे और इंडियन नेशनल कांग्रेस के सक्रिय सदस्य थे। उनकी बेटी कथक डांसर है जबकि बड़े बेटे अभिजीत मुखर्जी जंगीपुर से कांग्रेस सांसद हैं। राजनीति में आने से पहले वे स्थानीय अखबार में पत्रकार का काम करते थे इसके अलावा 1963 के दौरान वे विद्यासागर कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान के शिक्षक भी रहे।

इस तरह राजनीति में हुआ प्रवेश

1969 के मिदनापुर उपचुनाव के दौरान निर्दलीय कैंडिडेट श्री वे के कृष्णा मेनन के लिए कैंपेनिंग कर रहे थे। उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें राजनीति के प्रति जोश और जज्बा देखा तो उन्हें कांग्रेस पार्टी का सदस्य बनने के लिए आमंत्रित किया। बस यहीं से उनका राजनीति में पदार्पण हो गया। 1969 में वे राज्यसभा के सदस्य बनाए गए। 

प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति रहे। करीब 6 दशक तक उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी खेली। इस दौरान उन्होंने वित्त मंत्रालय से लेकर राज्य सभा सदस्य से लेकर कई महत्वपूर्ण पदों पर रहकर अपनी जिम्मेदारी निभाई। 

इंदिरा गांधी की मौत के बाद बनाई अलग पार्टी

वे 2011 से 2012 तक आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक में 24 देशों के समूह के चेयरमैन रहे। इसके अलावा वे मई 1995 से नवंबर 1995 तक South Asian Association for Regional Cooperation (सार्क) के चेयरमैन रहे।

1982 से 1984 तक उन्होंने पहली बार कैबिनेट मंत्री के तौर पर वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला। 1984 में इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद वे राजीव गांधी के प्रतिद्वंदी के तौर पर उभरे। यही समय था जब उन्होंने राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी नामक अपनी एक नई पार्टी बनाई जो बाद में 1989 में कांग्रेस में मिल गई। 

अवॉर्ड व सम्मान

उन्हें एक मैग्जीन के जरिए 1984 में वर्ल्ड के बेस्ट फायनांस मिनिस्टर का सम्मान मिला था। उन्हें 1997 में बेस्ट पार्लियामेंटेरियन का भी अवॉर्ड मिला था। 2008 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 2010 में आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक ने उन्हें फायनांस मिनिस्टर ऑफ द ईयर फॉर एशिया का अवॉर्ड दिया था। 2010 में ही बैंकर ने भी उन्हें फायनांस मिनिस्टर ऑफ द ईयर से सम्मानित किया था।

प्रणब मुखर्जी की लिखी किताबें

1969 में लिखी Mid-Term Poll
1984 में लिखी Beyond Survival - Emerging Dimensions of Indian Economy
1987 में लिखी Off the Track 
1992 में लिखी Challenges Before the Nation
1992 में ही एक और किताब लिखी Saga of Struggle and Sacrifice
 

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