- सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस मार्कडेंय काटजू ने भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी के पक्ष में दी गवाही
- काटजू ने शुक्रवार को भारत से लाइव वीडियो लिंक के जरिए लंदन की अदालत में दी गवाही
- नीरव मोदी को भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिलेगा- काटजू
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस मार्केंडेय काटजू ने शुक्रवार को लंदन की एक कोर्ट में भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के पक्ष में वीडियो लिंक के माध्यम से गवाही दी। भारत लगातार भगोड़े नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की कोशिशों में जुटा हुआ है ऐसे में काटजू का मोदी के पक्ष में गवाही देना आश्चर्यचकित भी करता है। लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की कोर्ट में चली सुनवाई दौरान काटजू ने कहा कि नीरव मोदी को भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिलेगा। जस्टिस काटजू की गवाही को भारत सरकार की ओर से अभियोजन पक्ष ने चुनौती दी।
3 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
पांच दिन की सुनवाई के अंतिम दिन, जस्टिस सैमुअल गूजी ने 3 नवंबर को मामले को स्थगित करने से पहले काटजू के बयान को विस्तार से सुना। अब 3 नवंबर को कोर्ट 2 अरब डॉलर के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाला मामले के आरोपी हीरा व्यापारी के खिलाफ धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को लेकर भारतीय अधिकारियों द्वारा प्रदान किए गए सबूतों की स्वीकार्यता पर दलीलें सुनेगा।
काटजू से सवाल
लंदन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) ने भारत सरकार की ओर से बहस करते हुए काटजू के लिखित और मौखिक दावों को चुनौती देने की मांग की है जिनमें काटजू ने कहा है कि नीरव मोदी को भारत में निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिलेगा क्योंकि न्यायपालिका का अधिकांश हिस्सा भ्रष्ट है और जांच एजेंसियां सरकार की ओर झुकाव रखती हैं। काटजू के दावों पर भारत सरकार की ओर से पैरवी कर रही ब्रिटेन की क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने पलटवार किया। बैरिस्टर हेलेन मैल्कम से सवाल किया, 'क्या ऐसा संभव है, आप एक स्व-घोषित गवाह हैं जो प्रेस को आज्ञापत्रित करने के उद्देश्य से कोई भी अपमानजनक बयान देंगे? जिस पर काटजू ने कहा कि आप अपनी राय के हकदार हैं।'
मैल्कम ने इस विचाराधीन मामले में ब्रिटेन की अदालत में पेश किये जाने वाले सबूतों के संबंध में इस सप्ताह की शुरुआत में भारत में मीडिया को साक्षात्कार देने के काटजू के फैसले के बारे में भी सवाल किया, जिसपर काटजू ने कहा कि वह केवल पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे और ''राष्ट्रीय महत्व'' के मामलों पर बोलना उनका कर्तव्य है।