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भारत-चीन विदेश मंत्रियों की बैठक में हुई थी खूब गर्मागर्मी, भारत के तीखे तेवरों से हैरान और परेशान है चीन

Updated Sep 12, 2020 | 10:37 IST

भारत और चीन के बीच सीमा पर चल रहे तनाव के बीच दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच रूस के मॉस्को में बैठक हुई। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच गर्मागर्मी का माहौल रहा।

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भारत-चीन विदेश मंत्रियों की बैठक में हुई थी खूब गर्मागर्मी
मुख्य बातें
  • भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच रूस के मॉस्कों में हुई द्विपक्षीय बैठक
  • भारत ने चीन को दो टूक कहा- तनाव कम करने के लिए चीन को एलएसी से अपनी पुरानी जगह लौटना होगा वापस
  • भारत ने कहा कि एलएसी पर तनाव का द्विपीक्षीय संबंधों पर पड़ेगा असर

नई दिल्ली: भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में चार महीने से जारी गतिरोध को दूर करने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच गुरुवार शाम मॉस्को में बैठक हुई। बैठक में दोनों देशों ने सुरक्षा बलों को सीमा से ‘जल्द’ पीछे हटाने और तनाव बढ़ाने की आशंका वाली किसी भी कार्रवाई से बचने समेत पांच सूत्री खाके पर सहमति जताई। दोनों देशों ने स्वीकार किया कि सीमा पर मौजूदा स्थिति किसी भी पक्ष के हित में नहीं है।

तीखी बातचीत

जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री के बीच हुई बातचीत के दौरान दोनों पक्षों के बीच तीखी बातचीत भी हुई। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक चीन टाटमटोली वाली स्थिति में था और बार-बार इस बात पर जोर दे रहा था कि सीमा पर जो विवाद है उसे सुलझा लिया जाएगा लेकिन द्विपक्षीय संबंधों को जारी रखा जाए। लेकिन भारत ने दो टूक कहा है कि भारत तब तक अपनै सैनिक नहीं हटाएगा जब क दोनों देशों के बीच एलएसी पर सभी बिंदुओं पर पूर्णता और सत्यापन योग्य डिसइंगेजमेंट नहीं हो जाता।

चीन को दो टूक

बातचीत के दौरान माहौल थोड़ा गर्म भी हो गया जब विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत का पक्ष साफ करते हुए तल्ख लहजे कहा- 'यदि सीमा पर शांति नहीं रहती है, तो इसका असर समग्र भारत-चीन संबंधों को भुगतना पड़ेगा। दूसरा, मौजूदा संकट का "मूल कारण" अप्रैल और मई माह के दौरान चीनी सैनिकों ने बड़े पैमाने पर निर्माण के साथ मौजूदा समझौतों को भंग किया और उन बदलावों ने भारत को वहां और तैनाती के लिए मजबूर किया।'   जयशंकर के कहने का मतलब साफ था कि चीन इस भ्रम में न रहे कि वो सीमा पर तनाव रखेगा और भारत से उसका कारोबार भी फलता फूलता रहेगा। उन्होंने कहा कि एलएसी के हर बिंदु पर चीन को अपनी जगह पर वापस लौटना होगा तभी सीमा पर शांति बहाल हो सकती है।

चीन को जवाब

दिलचस्प बात यह है कि बैठक के दौरान चीन बार-बार रट्टा लगा रहा था कि सीमा विवाद को सुलझा लिया जाएगा लेकिन आपसी संबंध वैसे ही बरकरार रहने चाहिए। चीन बयान के मुताबिक जयशंकर ने कहा "भारतीय पक्ष ने भारत-चीन संबंधों के विकास की सीमा तय करने पर निर्भर नहीं और भारत पीछे नहीं हटना चाहता।" बैठक में शामिल होने वाले भारतीय अधिकारियों ने टीओआई को बताया कि भारत ने इस बात पर जोर दिया था कि संबंध एक शांतिपूर्ण सीमा पर निर्भर करता है। चीनी पक्ष इस विचार को आगे बढ़ा रहा है कि समग्र संबंध सीमा संकट से इतर हो सकते हैं।

मॉस्को में, वांग यी ने कहा था कि भारत और चीन एक "आम सहमति" पर पहुंच गए थे और "एक दूसरे से आधे रास्ते में मिलने" के लिए तैयार थे। भारतीय सूत्रों ने कहा कि जयशंकर ने वांग को बताया कि पूर्वी लद्दाख में हाल की घटनाओं ने द्विपक्षीय संबंधों के विकास को प्रभावित किया है और सभी के हित इसी में है कि विवाद को जल्ट निपटाया जाए।

भारत का सख्त रूख, चीन परेशान

पिछले कुछ महीनों में भारत ने चीन के खिलाफ सख्त रूख अपनाया हुआ है। भारत ने  चीनी ऐप्स, तकनीक, निवेश और परियोजनाओं को लक्ष्य बनाते हुए कईयों पर रोक लगा दी है और ड्रैगन को यह स्पष्ट कर संदेश दिया है कि LAC चल रहे मौजूदा तनाव के कारण द्विपक्षीय संबंध और ज्यादा खराब हो सकते हैं। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि 1981 के भारत-चीन  के रिश्तों के बीच जमी बर्फ पिघलना पिघली थी लेकिन संबंधों के आगे विकास के लिए सीमा क्षेत्रों पर शांति का रखरखाव बेहद आवश्यक है।

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