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गलवान के हीरो कर्नल संतोष बाबू को मिलेगा महावीर चक्र, चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के बाद हुए थे शहीद

Updated Jan 25, 2021 | 13:59 IST

चीन के खिलाफ बीते वर्ष लद्दाख की गलवान घाटी में हुई खूनी झड़प में शहीद होने वाले बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अफसर कर्नल संतोष बाबू को इस साल महावीर चक्र से नवाजा जाएगा

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गलवान के हीरो कर्नल संतोष बाबू को मिलेगा महावीर चक्र
मुख्य बातें
  • चीन को मुहंतोड़ जवाब देने के बाद शहीद हुए थे कर्नल संतोष बाबू
  • अब मिलेगा सेना का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान 'महावीर चक्र'
  • कर्नल संतोष बाबू को 15 साल की सर्विस में चार बार प्रमोशन मिल चुका था

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को को चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू (Colonel Santosh Babu) को इस साल महावीर चक्र (मरणोपरांत) से नवाजा जाएगा।  गणतंत्र दिवस के मौके पर हर साल वीरता पुरस्कारों का ऐलान होता है और इस वर्ष दूसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान संतोष बाबू को मिल रहा है। सेना में  परमवीर चक्र के बाद महावीर च्रक दूसरा सबसे बड़ा सम्मान होता है जो अदम्य साहस के परिचय के लिए दिया जाता है।

हर साल मिलता है सैन्य सम्मान

आपको बता दें कि हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर देश के जवानों को सम्मानित करने के लिए विभिन्न प्रकार के सम्मानों से नवाजा जाता है।से ना में दो स्तर पर मेडल दिए जाते हैं जिसमें से एक युद्ध के दौरान वीरता दिखाने पर और दूसरा शांति के दौरान वीरता दिखाने पर। सेना में मिलने वाले इन पुरस्कारों में सबसे शीर्ष पर आता है परमवीर चक्र और उसके बाद क्रमश: अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र आते हैं।

कौन हैं कर्नल संतोष बाबू
पिछले साल जून में लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों और चीनी सैनिकों के बीच जबरदस्त झड़प हो गई थी जिसमें हमारे 20 बहादुर जवान शहीद हो गए थे जिसमें से एक थे कर्नल संतोष बाबू। तेलंगाना निवासी संतोष बाबू बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे। तेलंगाना के सूर्यापेट के रहने वाले कर्नल संतोष बाबू के परिवार में माता-पिता के अलावा दो बच्चे और पत्नी हैं। उनकी पत्नी को कुछ समय पहले ही तेलांगना सरकार ने डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त किया था। 2004 में सेना में शामिल होने वाले कर्नल संतोष बाबू को 15 साल की सर्विस में चार बार प्रमोशन मिल चुका था। 
 

गलवान में चीन की धोखेबाजी  की वजह से हुए थे शहीद
दरअसल चीन के साथ जब तनाव चल रहा था तो उस दौरान कर्नल संतोष बाबू लगातार तनाव कम करन के लिए अपने समकक्ष के संपर्क में बने हुए थे।  20 जून को भी जब वह चीनी समकक्ष से बातचीत करने गए थे तो लौटते वक्त चीनी सैनिकों ने धोखे से हमला कर दिया जिसके बाद दोनों तरफ से भीषण खूनी संघर्ष हुआ जिसमें कर्नल संतोष बाबू सहित देश के 20 जांबाज शहीद हो गए थे। इस दौरान चीन के दोगुने से भी अधिक सैनिक मारे गए थे। कर्नल संतोष बाबू करीब 18 महीने से लद्दाख में तैनात थे और वहां के हालात से भी भली भांति वाकिफ थे।

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