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शोपियां में मजदूरों पर ग्रेनेड अटैक, दो गैर स्थानीय मजदूर घायल

Updated Jun 03, 2022 | 23:39 IST

शोपियां के जैनापोरा इलाके में गैर कश्मीरी मजदूरों पर आतंकियों ने ग्रेनेड फेंका है जिसमें दो मजदूर घायल हो गए हैं। बता दें कि गुरुवार को बडगाम के चंडूरा इलाके में भी आतंकियों ने मजदूरों को निशाना बनाया था जिसमें बिहार के रहने वाले एक मजदूर की मौत हो गई थी।  

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शोपियां में मजदूरों पर ग्रेनेड अटैक
मुख्य बातें
  • शोपियां नें गैर स्थानीय मजदूरों पर ग्रेनेड से हमला
  • आतंकी हमले में दो मजदूर घायल
  • 2 जून कोे बडगाम में भी आतंकियों ने मजदूरों को बनाया था निशाना

शोपियां के जैनापोरा इलाके में गैर कश्मीरी मजदूरों पर आतंकियों ने ग्रेनेड फेंका है जिसमें दो मजदूर घायल हो गए हैं। बता दें कि गुरुवार को बडगाम के चंडूरा इलाके में भी आतंकियों ने मजदूरों को निशाना बनाया था जिसमें बिहार के रहने वाले एक मजदूर की मौत हो गई थी।इन सबके बीच जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच शुक्रवार को मुठभेड़ शुरू हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी।पुलिस के एक प्रवक्ता ने ट्वीट किया, “अनंतनाग के ऋषिपोरा में मुठभेड़ शुरू हो गई है। पुलिस और सुरक्षा बल मुकाबला कर रहे हैं। अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।

कश्मीरी, गैर कश्मीरी सबकी होगी हिफाजत
चुनकर की जा रही हत्याओं के बाद कश्मीरी पंडित कर्मियों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की बढ़ती मांग के बीच जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि कर्मियों को घाटी से बाहर नहीं भेजा जाएगा बल्कि उनका सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरण किया जाएगा।अधिकारी ने यह भी कहा कि आतंकवादियों द्वारा लक्षित हिंसा में हाल में वृद्धि से वार्षिक अमरनाथ यात्रा की योजना में कोई बदलाव नहीं होगा और यह निर्धारित समय 30 जून से 11 अगस्त तक चलेगी।

प्रशासन का यह कथन आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि के आलोक में आया। इन घटनाओं में चुनिंदा ढंग से नागरिकों की हत्या की गयी।आतंकियों द्वारा जिन लोगों की चुनकर हत्या की गई उनमें राहुल भट भी शामिल थे। भट कश्मीरी पंडित प्रवासी थे जिन्हें प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नौकरी मिली थी। मध्य कश्मीर में बडगाम के चदूरा में 12 मई को भट को उनके कार्यालय में आतंकवादियों ने मार डाला।उनकी नृशंस हत्या के बाद विभिन्न स्थानों पर 6000 कर्मियों ने प्रदर्शन किया और घाटी के बाहर सुरक्षित स्थानों पर भेजने की मांग की।

जम्मू नहीं भेजे जाएंगे कर्मचारी
लेकिन अधिकारियों ने शुक्रवार को दलील दी कि कश्मीरी पंडित कर्मियों को घाटी के बाहर भेजने की मांग पर राजी होकर जम्मू कश्मीर प्रशासन सीमा पार से लिखी गयी ‘जातीय सफाये’ की किसी पटकथा का हिस्सा नहीं बन सकता।उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवादी संगठनों द्वारा निर्दोष- निरीह लोगों की हत्या से वार्षिक अमरनाथ यात्रा कराने से प्रशासन को डिगा नहीं सकते।उन्होंने कहा कि दो लाख से अधिक श्रद्धालु इस वार्षिक तीर्थाटन के लिए अपना पंजीकरण करवा भी चुके हैं। उन्होंने कहा कि ‘आतंकवाद फैला रहे देशों’ की शह पर काम कर रहे आतंकवादी संगठन घाटी में सामान्य स्थिति के लौटने से चिंतिंत हैं, इसलिए वे लोगों में डर पैदा करने एवं अराजकता फैलाने के लिए निर्दोष निरीह लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर प्रशासन इन हरकतों के सामने झुकने नहीं जा रहा है । उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सुरक्षाबल इन चुनिंदा हत्याओं पर उसी तरह पूर्ण विराम लगायेंगे जिस तरह अक्टूबर 2021 में किया था, तब भी आतंकवादियों ने एक मशहूर केमिस्ट एम एल बिंद्रू और एक सिख अध्यापक की हत्या समेत चुनिंदा ढंग से हमले बढ़ा दिये थे।अधिकारियों ने कहा कि अमरनाथ यात्रा कश्मीर की साझी संस्कृति की प्रतीक है और कुछ खतरे की आशंका के बावजूद यह यात्रा होगी, खतरे की आशंका से निपटा जाएगा।

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