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हाथरस DM ने हाई कोर्ट में बताया- आखिर देर रात में क्यों किया गया पीड़िता का अंतिम संस्कार

Updated Oct 12, 2020 | 19:07 IST

Hathras case: हाथरस में कथित सामूहिक बलात्कार और मौत के मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान पीड़ित परिवार ने 3 मांगें रखीं। अगली सुनवाई 2 नवंबर को होनी है।

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इलाहाबाद हाई कोर्ट

नई दिल्ली: हाथरस में 19 साल की दलित लड़की के साथ कथित सामूहिक बलात्कार और मौत के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में आज सुनवाई हुई। इस दौरान पीड़ित परिवार के अलावा अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह विभाग) अवनीश अवस्थी, डीजीपी एचसी अवस्थी और स्थानीय प्रशासन, डीएम और एसपी सहित अन्य अधिकारी भी अदालत में मौजूद रहे। इस मामले मे अगली सुनवाई 2 नवंबर को होनी है।

अदालत में उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट जनरल वीके शाही ने बताया, 'कोर्ट फैसला देगा। सुनवाई की अगली तारीख 2 नवंबर, 2020 है।' हाथरस के जिला अधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने अदालत से कहा कि पीड़िता के शव का रात में अंतिम संस्कार करने का फैसला कानून और व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर किया गया था और ऐसा करने के लिए जिला प्रशासन पर प्रदेश शासन का कोई दबाव नहीं था।

वहीं पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाह ने सुनवाई के बाद मीडिया को बताया कि पीड़ित परिवार ने मांग की है कि सीबीआई की रिपोर्ट्स को गोपनीय रखा जाए। हमने यह भी मांग की थी कि मामला यूपी से बाहर स्थानांतरित कर दिया जाए। तीसरी मांग यह है कि परिवार को तब तक सुरक्षा प्रदान की जाए, जब तक की मामला पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाता। 

पीड़ित परिवार को कड़ी सुरक्षा में हाथरस से लखनऊ ले जाया गया। पीड़िता के परिवार की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश शासन द्वारा नोडल अधिकारी बनाए गए पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) शलभ माथुर ने 'भाषा' को बताया, 'सुबह करीब छह बजे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में पीड़िता के परिजनों को लखनऊ भेजा गया है। इनमें पीड़िता की मां, तीन भाई और पिता शामिल हैं। इनके साथ मजिस्ट्रेट अंजली गंगवार और पुलिस क्षेत्राधिकारी के अलावा, परिवार की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी और पीएसी के जवान भी गए है।' 

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने हाथरस कांड का स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले में आला अधिकारियों को 12 अक्टूबर को तलब किया था। जस्टिस राजन राय और जस्टिस जसप्रीत सिंह ने एक अक्टूबर को प्रदेश के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और अपर पुलिस महानिदेशक को घटना के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए 12 अक्टूबर को अदालत में तलब किया था।

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