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What is power grid: क्‍या है पावर ग्रिड, जिसके फेल होने से थम गई मुंबई

Updated Oct 12, 2020 | 17:02 IST

Mumbai grid failure: मुंबई में ग्रिड फेल होने से एक बड़े हिस्‍से में बिजली गुल हो गई, जिससे बिजली से संचालित कई गतिविधियां ठप हो गई। आखिर क्‍या है पावर ग्रिड और यह कैसे करता है काम?

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
What is power grid: क्‍या है पावर ग्रिड, जिसके फेल होने से थम गई मुंबई

मुंबई : देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में सोमवार को पावर ग्रिड में गड़बड़ी के कारण एक बड़े हिस्से में बिजली गुल हो गई, जिससे आम जनजीवन ठप हो गया। कालवा-पडगा ट्रांसमिशन लाइन में गड़बड़ी होने से ठाणे, पालघर और नवी मुंबई में बिजली चली गई, जिसके बाद मुंबई-ठाणे और मुंबई उपनगर में बिजली गुल हो गई। अब सवाल है कि आखिर ये पावर ग्रिड होता क्‍या है और ये कैसे फेल हो जाता है कि देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले मुंबई जैसे शहर में भी गतिविधियां ठप हो जाती हैं।

पावर ग्रिड बिजली लाइनों का एक नेटवर्क होता है। इसके माध्‍यम से ही उपभोक्‍ताओं तक बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है। घर हो या दफ्तर इन लाइनों के जरिये ही बिजली का उत्‍पादन कर इन्‍हें उपभोक्‍ताओं तक पहुंचाया जाता है। इसके लिए जिस नेटवर्क का इस्‍तेमाल होता है, उसे ही पावर ग्रिड कहा जाता है, जिसके तीन चरण- पावर जनरेशन (बिजली उत्‍पादन), पावर ट्रांसमिशन (विद्युत संचरण) और पावर डिस्ट्रीब्यूशन (बिजली वितरण) होते हैं।

ऐसे काम करता है पावर ग्रिड

पहले चरण में बिजली का उत्पादन होता है, जो आम तौर पर नदियों पर बांध बनाकर किया जाता है। बिजली निर्माण के बाद इसकी आपूर्ति करार के तहत विभिन्‍न राज्‍यों एवं इलाकों में पावर स्‍टेशन तक की जाती है, जो दूसरा चरण यानी पावर ट्रांसमिशन कहलाता है। इसके बाद अब तीसरे चरण के तहत अलग-अलग पावर स्‍टेशनों से बिजली की आपूर्ति उपभोक्‍ताओं तक की जाती है, जिसे पावर डिस्ट्रीब्यूशन कहा जाता है। इस प्रकार उक्‍त तीनों चरणों में विद्युत आपूर्ति के लिए लाइनों के जिस नेटवर्क का इस्तेमाल होता है, उसे ही पावर ग्रिड कहा जाता है।

देश में कुल पांच पावर ग्रिड हैं - नॉर्थर्न ग्रिड, ईस्टर्न ग्रिड, नॉर्थ-ईस्टर्न ग्रिड, वेस्टर्न ग्रिड और साउदर्न ग्रिड। मुंबई सहित महाराष्‍ट्र के अधिकांश हिस्‍सों में विद्युत की आपूर्ति वेस्‍टर्न ग्रिड से की जाती है। 

क्‍यों फेल हो जाता है पावर ग्रिड?

बिजली का ट्रांसमिशन आम तौर पर 49-50 हर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी पर होता है और जब कभी इसमें बढोतरी या कमी होती है तो पावर ग्रिड फेल होने का खतरा पैदा हो जाता है। फ्रीक्‍वेंसी स्‍तर के उच्‍चतम या न्‍यूनतम स्‍तर पर पहुंच जाने की वजह से कई बार ट्रांसमिशन लाइन पर ब्रेकडाउन हो जाता है, जिससे आपूर्ति ठप हो जाती है। इसे ही पावर ग्रिड फेल होना कहा जाता है।

फ्रीक्‍वेंसी का ध्‍यान खास तौर पर उन स्‍टेशनों पर रखना होता है, जहां से बिजली की आपूर्ति की जाती है। कई बार निर्धारित सीमा से अधिक आपूर्ति होने पर भी ग्रिड फेल होने का खतरा बढ़ जाता है।

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