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हिंदुत्ववादी जिंदगी भर सत्ता की तलाश में रह गए, राहुल 'राग' का क्या है मतलब

Updated Dec 12, 2021 | 16:37 IST

जयपुर की रैली में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने हिंदू और हिंदुत्ववाद के बीच अंतर को बताया। लेकिन सवाल यह है कि इसका असर अगले साल होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा यह देखने वाली बात होगी।

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हिंदुत्ववादी जिंदगी भर सत्ता की तलाश में रह गए, राहुल 'राग' का क्या है मतलब
मुख्य बातें
  • जयपुर में बीजेपी पर जमकर बरसे राहुल गांधी
  • राहुल गांधी ने हिंदू और हिंदुत्ववाद के बीच अंतर को समझाया
  • हिंदुत्ववादियों को जिंदगी भर सत्ता की तलाश रही

भारत की राजनीति में इस समय हिंदू और हिंदुत्व पर बह छिड़ी है, मसलन राहुल गांधी खुद को हिंदू कहते हैं लेकिन उनकी नजर में वो हिंदुत्ववादी नहीं है। वो कहते हैं कि महात्मा गांधी हिंदू थे लेकिन गोडसे हिंदुत्वादी था। जयपुर में कांग्रेस की रैली वैसे तो महंगाई पर केंद्रित थी। लेकिन राहुल गांधी का भाषण हिंदू और हिंदुत्ववाद पर केंद्रित रहा। 

सत्ता की तलाश में रह गए हिंदुत्ववादी
जयपुर में पार्टी की रैली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि हिंदुत्ववादी अपना पूरा जीवन सत्ता की तलाश में लगा देते हैं। उन्हें सत्ता के अलावा कुछ नहीं चाहिए और इसके लिए वे कुछ भी कर सकते हैं। वे 'सत्याग्रह' नहीं 'सत्ताग्रह' के मार्ग पर चलते हैं। यह देश हिंदुओं का है, हिंदुत्ववादियों का नहीं।देश की राजनीति में दो शब्दों की टक्कर है। एक है हिंदू और दूसरी हिंदुत्ववादी; यह एक चीज नहीं है, यह दो अलग-अलग शब्द हैं।

हिंदू कौन इस तरह समझिए

हिंदू कौन- जो सबसे गले लगता है, जो किसी से नहीं डरता, जो हर धर्म का आदर करता है। आप रामायण पढ़िए, महाभारत पढ़िए, गीता-उपनिषद पढिए और मुझे दिखा दीजिए कि कहाँ लिखा है कि किसी गरीब को मारना है, किसी कमजोर व्यक्ति को कुचलना है।गीता में लिखा है कि सत्य की लड़ाई लड़ो। गीता में श्रीकृष्ण जी ने अर्जुन से ये नहीं कहा कि अपने भाइयों को सत्ता के लिए मारो, श्रीकृष्ण जी ने अर्जुन से कहा कि अपने भाइयों को सच्चाई के लिए मारो।मैं यह आपके बीच इसलिए बता रहा हूं क्योंकि आप हिंदू हो, हिंदुत्ववादी नहीं। ये देश हिंदुओं का देश है, हिंदुत्ववादियों का नहीं।

क्या है जानकारों की राय
अब सवाल यह है कि कांग्रेस पार्टी किस तरह का संदेश देना चाहती है। इस बारे में जानकार कहते हैं कि अगर आप देखें तो 2014 और 2019 के चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह पराजय हुई। दोनों आम चुनाव में कांग्रेस की तरफ से जिस तरह की रणनीति पर काम किया गया उसकी वजह से मतदाताओं को लगा कि कांग्रेस एक तरफ अपने मूल सिद्धांत से भटक गई है। हर वर्ग को साधने की कोशिश में उसे निराशा हाथ मिली। अब जबकि कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी कहती है कि वो तो सिर्फ वोटबैंक की राजनीति करते रहे हैं तो कांग्रेस के रणनीतिकारों को लगने लगा कि अब हिंदु में विभेद करके आम जन और उसके अपने मूल वोटबैंक को समझाया जाए कि हिंदू और हिंदु्त्व में फर्क है। बीजेपी, हिंदुत्व के जरिए समाज को तोड़ने का काम कर रही है जबकि कांग्रेस हिंदू विचार में विश्वास करती है जिसका मकसद सर्वधर्म समभाव है। 

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